इन गलतियों से रिजेक्ट हो जाता है बीमा क्लेम, ये दिग्गज बोले कभी न करें चूक
बीमा लेते वक्त सिर्फ पॉलिसी के फायदे ही नहीं उसके पीछे छिपी शर्तें जानना भी जरूरी है. जेरोधा के सीईओ नितिन कामथ ने बीमा क्लेम रिजेक्शन से बचने के खास उपाय बताए.
बीमा लेना एक सुरक्षा कवच की तरह होता है लेकिन यह हमेशा गारंटी नहीं देता कि आपका बीमा क्लेम पास हो जाएगा. कभी-कभी क्लेम खारिज होने पर लोगों को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. खासतौर पर जब आप मुश्किल समय में बीमा क्लेम करते हैं और वह रिजेक्ट हो जाए.
हाल ही में, जेरोधा के सीईओ नितिन कामथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए इस विषय पर बात की. उन्होंने कहा कि सिर्फ बीमा खरीदना काफी नहीं है. यह समझना भी बेहद जरूरी है कि बीमा क्लेम क्यों रिजेक्ट होते हैं और इससे बचने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं.
क्लेम रिजेक्ट होने के मुख्य कारण
कामथ ने अपने पोस्ट में बीमा क्लेम रिजेक्ट होने के कई आम कारण बताए. आइए इन्हें आसान भाषा में समझते हैं:
- वेटिंग पीरियड की वजह से रिजेक्शन
कई बीमा कंपनियां कुछ बीमारियों या पहले से मौजूद स्वास्थ्य स्थितियों (प्रि-एग्जिस्टिंग कंडीशन्स) के लिए वेटिंग पीरियड लागू करती हैं. यह अवधि पूरी होने से पहले किए गए क्लेम को रिजेक्ट कर दिया जाता है. बीमा लेते समय यह जानकारी बीमा एजेंट या एडवाइजर से जरूर लेनी चाहिए.
- बीमा कवर में शामिल न होना
कुछ इलाज जैसे कि नशा मुक्ति उपचार, बीमा पॉलिसी में कवर नहीं होते. पॉलिसी खरीदने से पहले यह जान लें कि कौन-कौन सी बीमारियां या स्थितियां इसमें कवर नहीं हैं.
- गलत जानकारी देना
अगर आपने अपनी मेडिकल हिस्ट्री या बीमारियों की जानकारी छुपाई है तो आपका क्लेम खारिज हो सकता है. हमेशा सही जानकारी दें.
- ब्लैकलिस्टेड अस्पताल में इलाज
बीमा कंपनियां कुछ अस्पतालों को ब्लैकलिस्ट कर देती हैं. अगर आपने ऐसे अस्पताल में इलाज कराया है तो आपका क्लेम पास नहीं होगा. इसलिए बीमा कंपनी की अस्पतालों की सूची चेक करें.
- गैर-जरूरी अस्पताल में भर्ती होना
अगर बीमारी गंभीर नहीं है और अस्पताल में भर्ती की जरूरत नहीं है तो बीमा कंपनी इसे गैर-जरूरी मानकर क्लेम रिजेक्ट कर सकती हैं.
- क्लेम प्रक्रिया में देरी
कैशलेस क्लेम के लिए सही दस्तावेज न होने पर बीमा कंपनी जांच में समय ले सकती है जिससे प्रक्रिया में देरी हो सकती है.
क्या करें अगर क्लेम रिजेक्ट हो जाए
नितिन कामथ ने बीमा स्टार्टअप डिट्टो के आंकड़ों का जिक्र करते हुए बताया कि 31 फीसदी क्लेम वेटिंग पीरियड के कारण, 28 फीसदी गैर-जरूरी अस्पताल में भर्ती के कारण और 19 फीसदी इलाज पॉलिसी में शामिल न होने के कारण रिजेक्ट होते हैं.
ब्रोकरेज हाउस के सीईओ ने सलाह दी कि क्लेम करते समय सभी जरूरी मेडिकल दस्तावेज जमा करें, अगर फिर भी क्लेम रिजेक्ट हो तो बीमा एडवाइजर की मदद लें. अगर समस्या का समाधान नहीं हो तो बीमा लोकपाल (ओम्बड्समैन) के पास शिकायत दर्ज कराएं.