Diffusion Engineers IPO का तीसरे दिन भी जलवा कायम, 43 गुना ज्यादा हुआ सब्सक्राइब
डिफ्यूजन इंजीनियर्स लिमिटेड के आईपीओ के तीसरे दिन भी जमकर बोलियां लगीं, इसे अपने प्राइस बैंड से अभी तक करीब 43 गुना ज्यादा सब्सक्राइब किया गया है. ग्रे मार्केट में भी यह मजबूत स्थिति में है.
डिफ्यूजन इंजीनियर्स लिमिटेड के आईपीओ का जादू निवेशकों के सिर चढ़कर बोल रहा है. यही वजह है कि तीसरे दिन भी इसका जलवा कायम रहा. बोली लगाने वालों ने जमकर इसमें हिस्सा लिया. बिडिंग यानी बोली के आखिरी दिन अब तक यह आईपीओ करीब 43 गुना से ज्यादा सब्सक्राइब किया जा चुका है. इसमें गैर-संस्थागत निवेशकों ने सबसे ज्यादा दिलचस्पी दिखाई.
इस आईपीओ को एनआईआई की ओर से 43.26 गुना सब्सक्राइब किया गया, जबकि रिटेल इंवेस्टर्स ने 48.79 गुना सब्सक्राइब किया. इस बीच योग्य संस्थागत खरीदारों (क्यूआईबी) के लिए आरक्षित हिस्से को 0.50 गुना सब्सक्राइब किया गया. डिफ्यूजन इंजीनियर्स ने अपने शेयरों के लिए 159-168 का प्राइस बैंड तय किया है. बता दें डिफ्यूजन इंजीनियर्स के शेयरों का अलॉटमेंट 1 अक्टूबर, 2024 को होगा, जबकि इसके शेयर बीएसई, एनएसई पर 4 अक्टूबर, 2024 को लिस्ट होंगे.
कितना है जीएमपी?
डिफ्यूजन इंजीनियर्स के आईपीओ का प्रदर्शन ग्रे मार्केट में भी जबरदस्त है. कंपनी के शेयर 58 के ग्रे मार्केट प्रीमियम (जीएमपी) के साथ कारोबार कर रहे हैं. यह अपने 168 रुपए के प्राइस बैंड से लगभग 35% ज्यादा के प्रीमियम पर चल रहा है. ऐसे में कंपनी के शेयरों की मार्केट में दमदार लिस्टिंग की उम्मीद की जा रही है. डिफ्यूजन इंजीनियर्स ने आईपीओ से पहले ही एंकर निवेशकों से 47.15 करोड़ रुपए जुटा लिए हैं. कंपनी आईपीओ फंड का इस्तेमाल अपनी कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं और सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए करेगी.
क्या करती है कंपनी?
डिफ्यूजन इंजीनियर्स की स्थापना 1982 में हुई थी. यह कंपनी वेल्डिंग में इस्तेमाल होने वाली चीजें, वियर प्लेट्स और कोर उद्योगों के लिए भारी मशीनरी का निर्माण करती है. कंपनी भारी मशीनरी और उपकरणों के लिए विशेष मरम्मत और रीकंडीशनिंग सेवाएं भी प्रदान करती है. वित्त वर्ष 24 में, कंपनी का राजस्व साल-दर-साल 10% बढ़कर 285 रुपए करोड़ हो गया, जो वेल्डिंग उपभोग्य सामग्रियों, वियर प्लेट और ट्रेडिंग गतिविधियों से राजस्व में वृद्धि के कारण हुआ. इसी अवधि के दौरान इसका शुद्ध लाभ सालाना 39% बढ़कर 30.8 करोड़ रुपए हो गया.