इन 5 बिजली कंपनियों की होगी स्टॉक मार्केट में एंट्री, IPO लाने की तैयारी में सरकार

सरकार ने बिजली क्षेत्र में बड़े बदलाव की तैयारी कर ली है. पांच सरकारी पावर कंपनियों को स्टॉक मार्केट में लिस्ट करने की योजना बन रही है, जबकि डिस्कॉम के निजीकरण को लेकर भी मंथन जारी है. जानिए इसका आम उपभोक्ताओं पर क्या असर पड़ सकता है!

बिजली कंपनियों की शेयर बाजार में लिस्टिंग की तैयारी Image Credit: Getty Images

Upcoming IPOs: भारत सरकार राज्य संचालित पावर जनरेशन और ट्रांसमिशन कंपनियों को शेयर बाजार में लिस्ट करने की योजना बना रही है. इसका उद्देश्य निवेश जुटाना और क्षमता विस्तार के लिए जरूरी फंडिंग को सुगम बनाना है. इस पहल से कंपनियों को लॉन्ग टर्म पूंजी मिल सकेगी, जिससे ऊर्जा क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को और मजबूत किया जा सके. फाइनेंशियल एक्सप्रेस के हवाले से पावर सचिव पंकज अग्रवाल ने बताया कि पांच सरकारी बिजली कंपनियों को बाजार में लिस्ट किया जाएगा. इनमें आंध्र प्रदेश पावर जेनरेशन कॉरपोरेशन (APGENCO) और गुजरात एनर्जी ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन (GETCO) प्रमुख हैं, जो वर्तमान में मर्चेंट बैंकर्स नियुक्त करने की प्रक्रिया में हैं.

डिस्कॉम के निजीकरण की योजना

सरकार राज्य संचालित वितरण कंपनियों (Discoms) के निजीकरण की संभावनाएं भी तलाश रही है. सरकारी डिस्कॉम्स बढ़ती बिजली खरीद लागत, ट्रांसमिशन और वितरण (T&D) में अधिक नुकसान, तथा उपभोक्ताओं से भुगतान में देरी जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं. राज्यों ने हाल ही में केंद्र सरकार से डिस्कॉम्स के निजीकरण में मदद मांगी है ताकि सेवा की गुणवत्ता और विश्वसनीयता को बढ़ाया जा सके. सरकार ने डिस्कॉम्स की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए मंत्रियों का एक समूह गठित किया है. हालांकि, सरकार ने वित्तीय राहत पैकेज (bailout) देने की संभावना को खारिज कर दिया है.

सरकार कुछ डिस्कॉम्स को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध करने की संभावना भी देख रही है, लेकिन इसके लिए उनका घाटा कम होना जरूरी होगा. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में डिस्कॉम्स का कुल घाटा 6.92 लाख करोड़ रुपये था जबकि उनका बकाया कर्ज 7.53 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया था.

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वित्तीय सुधार की जरूरत

राज्यों ने सब्सिडी भुगतान में सुधार किया है और औसत लागत आपूर्ति (ACS) और औसत राजस्व (ARR) के बीच का अंतर 2022-23 में 45 पैसे प्रति यूनिट से घटकर 2023-24 में 19 पैसे प्रति यूनिट रह गया. जनवरी 2025 तक यह अंतर और घटकर 0.10 पैसे प्रति यूनिट रह गया है.