हुंडई मोटर के IPO पर लगाने वाले हैं पैसा, तो पहले चेक कर लीजिए GMP, कंपनी के सामने ये हैं चुनौतियां
हुंडई मोटर इंडिया घरेलू पैसेंजर व्हीकल मार्केट की बड़ी कंपनी है, लेकिन टाटा मोटर्स, मारुति सुजुकी और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धी माहौल में काम करती है. आईपीओ के ओपन होने से पहले ही इसका GMP तेजी से गिरकर 111 रुपये प्रति शेयर पर आ गया था.
हुंडई मोटर इंडिया का इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO), मंगलवार 15 अक्टूबर को लॉन्च होने जा रहा है. 27,756 करोड़ रुपये के इस मेगा इश्यू को भारत का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ कहा जा रहा है. इस आईपीओ का प्राइस बैंड 1,865-1,960 रुपये प्रति शेयर तय किया गया है और इसका लॉट साइज सात शेयरों का है.
कितना चल रहा है GMP
इस आईपीओ के ओपन होने से पहले ही इसका ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) तेजी से गिरकर 111 रुपये प्रति शेयर पर आ गया था. हालांकि, अब इसमें थोड़ी तेजी देखने को मिली है और यह 170 रुपये पर पहुंच गया है. हालांकि, कुछ दिन पहले जीएमपी 270 रुपये प्रति शेयर था, जबकि इस महीने की शुरुआत में यह लगभग 400 रुपये था.
एंकर निवेशकों से जुटाए पैसे
निवेशक कम से कम 7 शेयरों के लिए बोली लगा सकते हैं. मिनिमम रिटेल निवेश 13,720 रुपये और अधिकतम 1,92,080 रुपये तक है. हुंडई ने 42,424,890 शेयरों के आवंटन के जरिए एंकर निवेशकों से 8,315.28 करोड़ रुपये जुटाए हैं. ये शेयर लॉक-इन पीरियड के तहत हैं, जिसमें 50 फीसदी 17 नवंबर, 2024 तक और बाकी शेयर 16 जनवरी, 2025 तक लॉक हैं.
कंपनी के सामने चुनौतियां
हुंडई मोटर इंडिया घरेलू पैसेंजर व्हीकल मार्केट की बड़ी कंपनी है, लेकिन टाटा मोटर्स, मारुति सुजुकी और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धी माहौल में काम करती है. किआ मोटर्स और एमजी जैसी कंपनियों के आने से मार्केट में कंपटीशन और बढ़ गया है. निवेशकों को संभावित हितों के टकराव के बारे में सावधान रहना चाहिए, क्योंकि हुंडई उसी सेगमेंट में काम करती है, जिसमें किआ कॉरपोरेशन और किआ इंडिया शामिल हैं, जो दोनों हुंडई मोटर कंपनी (HMC) का हिस्सा हैं.
हुंडई मोटर इंडिया पार्ट्स और रिसर्ट एंड डेवलपमेंट के लिए हुंडई मोटर पर निर्भर है. इसलिए अगर बाकी की कंपनियों के साथ तनाव की स्थिति में हुंडई मोटर इंडिया के कारोबार पर नेगिटव असर डाल सकता है. इसके अलावा सप्लाई चेन रिस्क कंपनी के लिए चिंता का विषय है.
स्टील जैसे कच्चे माल की बढ़ती लागत हुंडई की ऑपरेशनल लागत और प्रॉफिट मार्जिन को और प्रभावित कर सकती है. हुंडई मोटर्स पार्ट्स और मैटेरियल्स के लिए सीमित संख्या में सप्लायर पर निर्भर है. पार्ट्स और मैटेरियल्स की उपलब्धता में रुकावट इसके ऑपरेशन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है.
बिक्री में गिरावट
कंपनी को बिक्री के मोर्चे पर भी संघर्ष करना पड़ रहा है, क्योंकि उसकी इन्वेंट्री एक साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई है. आईपीओ के बाद हुंडई के शेयर का प्रदर्शन व्यापक बाजार स्थितियों से प्रभावित होगा. ऑटोमोटिव सेक्टर वर्तमान में इन्वेंट्री पाइल-अप और डिमांड में मंदी का सामना कर रहा है, जो स्टॉक वैल्यूएशन को प्रभावित कर सकता है.