SEBI ने माना, IPO से जुटाई रकम का हुआ गलत इस्‍तेमाल; इन्‍वेस्‍टमेंट बैंकर्स को सब होता है पता

SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच का कहना है कि IPO से जुटाई गई रकम का गलत इस्तेमाल हो रहा है. इन्वेटमेंट बैंकर्स को इसके बारे में पता होता है. बुच ने कहा कि इन्वेस्टमेंट बैंकर्स को ऐसी कंपनियों को बाजार में प्रवेश करने में मदद नहीं करनी चाहिए.

SEBI प्रमुख माधवी बुच Image Credit: PTI Photos

SEBI ने माना है कि तमाम कंपनियां IPO के तहत जुटाई गई रकम का गलत तरीके से इस्तेमाल करती हैं. मंगलवार को इन्वेस्टमेंट बैंकर्स संघ की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में बुच ने कहा कि IPO से जुटाई गई रकम का गलत इस्तेमाल हो रहा है और इन्वेटमेंट बैंकर्स को इसके बारे में पता है. बुच ने कहा कि सेबी की नजर में कुछ ऐसी कंपनियों आई हैं, जिन्होंने आईपीओ के जरिये जुटाई धनराशि गलत इस्तेमाल किया है. इसके साथ ही कहा कि इन्वेस्टमेंट बैंकरों को भी यह पता होता है. ऐसे में इन्वेस्टमेंट बैंकरों से आग्रह है कि वे ऐसी कंपनियों को शेयर बाजार तक पहुंचने में मदद करने से बचें.

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक माधबी पुरी ने कहा, “इन्वेस्टमेंट बैंकर अच्छी तरह जानते हैं कि वे कब और कौनसी पंप एंड डंप कंपनी को बाजार में ला रहे हैं. आपको ऐसी खराब कंपनियों को बाजार में नहीं लाना चाहिए” इसके साथ ही उन्होंने कहा, ऐसे मामलों का पता चल जाता है. बैंकर को दी जाने वाली ज्यादा फीस, कंपनी में कम कर्मचारी होना या बिल्कुल भी कर्मचारी न होना, बैंकरों की तरफ से कंपनी का दौरा नहीं करना. ये सभी ऐसे संकेत हैं, जो साफ दर्शाते हैं कि आईपीओ से पंप एंड डंप का मुद्दा जुड़ा है.

भाग जाते हैं प्रमोटर्स

एसएमई बोर्ड के संदर्भ में बोलते हुए बुच ने कहा कि पंप एंड डंप इश्यू के मामले में आईपीओ में हाई सब्सक्रिप्शन होता है, जिससे स्टॉक की प्राइस बढ़ जाती है. आमतौर पर प्रमोटर अपने शेयर बेचकर कंपनी से निकल जाते हैं. इसके अलावा बुच ने कहा कि सेबी ने कुछ कंपनियों की तरफ से आईपीओ फंड के दुरुपयोग को पकड़ा है, जिसमें मूल रूप से संबंधित पार्टी लेनदेन शामिल है, ताकि पैसे को सुरक्षित ठिकानों या प्रमोटर से संबंधित संस्थाओं तक पहुंचाया जा सके. बुच ने कहा कि कई बार विदेशी बाजारों में भी फंड की रूटिंग की जाती है. इसमें सॉफ्टवेयर या ऐप जैसी चीजों के अधिग्रहण या खरीद के नाम पर फंड को खपा दिया जाता है.

सेबी की भूमका डॉक्टर की तरह

सेबी की भूमिका की तुलना अस्पताल के डॉक्टर से करते हुए बुच ने कहा कि नियामक ने कंपनियों की तरफ से कई गलत काम देखे हैं. बुच ने कहा कि भारतीय बाजार इस तरह से परिपक्व हो गए हैं कि कानून का अक्षरश पालन किया जा रहा है, लेकिन इसका भावना से पालन करने के लिए प्रयास किए जाने की जरूरत है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि अच्छे कॉर्पोरेट गवर्नेंस वाली बहुत सी कंपनियां हैं, जो तमाम कंपनियों के लिए रोल मॉडल की तरह हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि फिलहाल इसके लिए नए नियम बनाने की जरूरत नहीं है. लेकिन, कंपनियों को अपने पीयर ग्रुप की कंपनियों से सीखना चाहिए.