SME IPO पर सख्त हुआ सेबी, बैन हो सकता है OFS; नए नियमों से इन कंपनियों पर लगेगी लगाम

SEBI ने SME IPO के लिए नए नियमों का प्रस्ताव दिया है. छोटे निवेशकों और प्रमोटर ग्रुप पर इसका सीधा असर पड़ सकता है. जानिए इन नियमों से कौन-कौन होगा प्रभावित.

SME IPO पर सेबी की कड़ी नजर Image Credit: FreePik

देश के मार्केट रेगुलेटर सेबी (Securities and Exchange Board of India) ने मंगलवार को कंसल्टेशन पेपर जारी किया है. इस पेपर के तहत SME IPO के नियमों में सुधार के लिए कुछ नए नियम सुझाए गए हैं. सेबी ने SME सेगमेंट में IPO से जुड़े कई बड़े बदलावों का प्रस्ताव दिया है. इन नियमों के लागू होने के बाद रिटेल निवेशकों की भागिदारी पर प्रभाव पड़ सकता है.

सेबी का क्या है प्रस्ताव?

सेबी ने SME IPO में आवेदन की न्यूनतम राशि को ₹2 लाख या ₹4 लाख करने का सुझाव दिया है. सेबी ने यह कदम SME IPO में निवेश को ज्यादा यूनिफाइड और पारदर्शी बनाने के लिए उठाया है. अगर ऐसा होता है तो छोटे निवेशकों के लिए ऐसे आईपीओ में निवेश की राह मुश्किल हो जाएगी.

इसके साथ ही सेबी ने बड़े निवेशकों के लिए रिजर्व पोर्शन को दो भागों में बांटने का प्रस्ताव दिया है. इसमें एक-तिहाई हिस्सा उन निवेशकों के लिए आरक्षित होगा जो ₹10 लाख तक का निवेश करेंगे जबकि बाकी दो-तिहाई हिस्सा अन्य बड़े निवेशकों के लिए रखा जाएगा. सेबी के नए सुझाव के मुताबिक SME IPO के लिए न्यूनतम निवेशकों की संख्या जो अभी 50 है उसे बढ़ाकर 200 कर दिया जाएगा. यह कदम IPO की भागीदारी बढ़ाने के लिए उठाया गया है. इसके साथ ही सेबी ने OFS को पूरी तरीके से बंद करने का सुझाव भी दिया है. हालांकि, OFS को कुल इश्यू साइज का 20 से 25 फीसदी तक सीमित करने का विकल्प भी रखा गया है.

लॉक-इन अवधि और जनरल कॉर्पोरेट फंड्स में बदलाव

इसके अलावा, प्रमोटर्स के लिए लॉक-इन अवधि को वर्तमान 3 साल से बढ़ाकर 5 साल करने का सुझाव दिया गया है. इससे निवेशकों को अधिक भरोसा मिलेगा और बाजार में स्थिरता आएगी. साथ ही जनरल कॉर्पोरेट पर्पज के लिए फंड्स की सीमा को अधिकतम 10% या 10 करोड़ रुपए (जो भी कम हो) तक सीमित किया गया है.

सेबी ने कंसल्टेशन पेपर में सुझाव दिया है कि 20 करोड़ रुपये से अधिक के SME IPO में फंड मॉनिटरिंग अनिवार्य करनी होगी. साथ ही ऑफर फॉर सेल (OFS) को कुल इश्यू साइज का 20% तक सीमित करने का प्रस्ताव रखा है.

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विलफुल डिफॉल्टर्स पर सख्त प्रतिबंध

सेबी ने प्रस्ताव दिया है कि अगर किसी SME कंपनी के प्रमोटर्स में से कोई भी विलफुल डिफॉल्टर, भगोड़ा, आर्थिक अपराधी या पहले से बैन की गई संस्था हो तो उस पूरे प्रमोटर ग्रुप को SME IPO में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा. सेबी ने यह भी सुझाव दिया है कि SME IPO का इस्तेमाल प्रमोटर ग्रुप या संबंधित पार्टियों के ऋण चुकाने के लिए नहीं किया जा सकेगा.