Stallion India IPO में पैसा लगाने का आखिरी मौका, GMP तेज; निवेश करें या नहीं – ये आंकड़े सुलझाएंगे गुत्थी

Stallion India IPO आज बंद हो रहा है, जिसमें कंपनी 199.45 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही है. स्टैलियन इंडिया को 70 गुना सब्सक्रिप्शन मिल चुका है और यह ग्रे मार्केट में भी बढ़िया परफॉर्म कर रही है.

Stallion IPO में निवेश करें या नहीं? Image Credit: Freepik/Canva

Stallion India IPO GMP: Stallion India के आईपीओ में आज पैसा लगाने का आखिरी दिन हैस कंपनी का सब्सक्रिप्शन और GMP दोनों जबरदस्त है. लेकिन अभी भी आप इसमें पैसा डालने को लेकर उलझन में हैं तो यहां कुछ आंकड़े पढ़कर आप अपनी उलझन को दूर कर सकेंगे. कंपनी को 70 गुना सब्सक्रिप्शन मिल चुका है. ये कंपनी क्या करती है, जिस सेक्टर में काम कर रही है उस सेक्टर की दूसरी कंपनियों की तुलना में इसका प्रदर्शन कैसा है और इसकी वित्तीय स्थिति क्या बताती है.

फ्लोरोकेमिकल्स के बिजनेस में Stallion India

Stallion India का काम समझना है तो आप फ्रिज में रखे बर्फ को देखें जो ठंडी हवा के सहारे जम जाता है. लेकिन ये असल में काम कैसे करता है? दरअसल ये ठंडक फ्लोरोकेमिकल्स की वजह से आती है. Stallion India कंपनी फ्लोरोकेमिकल्स के बिजनेस में ही है.

फ्लोरोकेमिकल्स के बिजनेस की बात करें तो, एक एयर कंडीशनर को देखें. इसके अंदर फ्लोरोकेमिकल्स घूमते हैं. पहले ये आपके कमरे की गर्मी को सोखते हैं और गैस में बदल जाते हैं. फिर बाहर गर्मी छोड़ते समय ये वापस तरल रूप में आ जाते हैं. यही प्रक्रिया कमरे के अंदर ठंडक पैदा करती है. फ्रिज में भी यही होता है, जो अंदर से गर्मी निकालकर खाना ताजा रखने का काम करता है. इसके अलावा फ्लोरोकेमिकल्स सेमीकंडक्टर निर्माण में माइक्रोचिप्स को साफ और उकेरने में भी मदद करते हैं. फ्लोरोकेमिकल्स हेल्थकेयर इंडस्ट्री के लिए भी काम आता है.

यह कंपनी 2002 में शुरू हुई थी. यह रेफ्रिजरेंट्स, इंडस्ट्रियल गैस और उनसे जुड़े प्रोडक्ट को बेचने में विशेषज्ञ है. इसके भारत में चार मैन्युफैक्चरिंग प्लांट हैं. महाराष्ट्र, राजस्थान और हरियाणा में. कंपनी सेमीकंडक्टर्स से लेकर फार्मास्यूटिकल्स तक कई इंडस्ट्री को सर्विस देती है.

इसका मुख्य ऑपरेशन, बड़े पैमाने पर रेफ्रिजरेंट्स और इंडस्ट्रियल गैसों को छोटे हिस्सों में बांटना है, इन्हें खास जरूरतों के अनुसार मिलाना है और कई उद्योगों के उपयोग के लिए प्रोसेस करना है. उदाहरण के लिए, ये गैसें AC और रेफ्रिजरेशन यूनिट्स में इस्तेमाल होती हैं या प्री-फिल्ड कंटेनरों में उद्योगों को बेची जाती हैं.

कंपनी के फाइनेंशियल्स

कंपनी का 70% रेवेन्यू महाराष्ट्र और दिल्ली से आता है. 82% रेवेन्यू गैसों की बिक्री से होता है, जबकि बाकी सिलेंडर, स्पेयर पार्ट्स और वैक्यूम पंप जैसे प्रोडक्ट से होता है. कंपनी भारत के फ्लोरोकेमिकल्स और विशेष गैस उद्योग में 10% बाजार हिस्सेदारी रखती है.

स्टैलियन इंडिया IPO 20 जनवरी को बंद हो रहा है, प्राइस बैंड ₹85-₹90 प्रति शेयर है, कुल साइज ₹199.45 करोड़ है. कंपनी फंड का उपयोग वर्किंग कैपिटल की जरूरतें पूरी करने के लिए, महाराष्ट्र में सेमीकंडक्टर और विशेष गैस डिबल्किंग व ब्लेंडिंग सुविधा का विकास करने के लिए और आंध्र प्रदेश में रेफ्रिजरेंट डिबल्किंग व ब्लेंडिंग सुविधा को शुरू करने के लिए करेगी.

कंपनी का रेवेन्यू (₹ लाख):

  • FY22: ₹18,588
  • FY24: ₹23,623 (21% की वृद्धि FY23 में, लेकिन FY24 में केवल 5%)
  • प्रॉफिट (₹ लाख):
  • FY22: ₹2,111
  • FY24: ₹1,479

कंपनी के सेल्स के आंकड़ों पर नजर डालेंगे तो उसमें भी बढ़ोतरी देखेंगे. साल 2021 में सेल्स 1143 करोड़ थी वह साल 2024 में बढ़कर 3239 करोड़ हो गई है.

सोर्स: कंपनी RHP

सेक्टर की दूसरी कंपनियों की तुलना में कैसी है Stallion India

स्टैलियन का स्केल इसके प्रतिस्पर्धियों जैसे SRF और गुजरात फ्लोरोकेमिकल्स से छोटा है, लेकिन इसका रिटर्न ऑन नेट वर्थ (RoNW) 12% है, जो इसे प्रतिस्पर्धात्मक बनाए रखता है. वित्त वर्ष 2024 में कंपनी का नेट प्रॉफिट 147.8 करोड़ रहा जबकि SRF का 13740.7 करोड़, नवीन फ्लोराइन इंटरनेशनल का 2,351 करोड़ और गुजरात फ्लोरोकैमिकल्स का 4,187 करोड़. रेवेन्यू के मामले में भी स्टैलियन चौथे नंबर पर है.

Stallion India IPO GMP

कंपनी का GMP ₹43 है, इस हिसाब से इसकी अनुमानित लिस्टिंग प्राइस ₹133 हो सकती है और लिस्टिंग गेन 47.78%.

कंपनी के फायदे और जोखिम

वैल्यू रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी के फायदों में 20 साल का अनुभव और बाजार में मजबूत उपस्थिति, उच्च वृद्धि वाले उद्योगों (इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोटिव, हेल्थकेयर) में काम करना शामिल है. रिस्क की बात करें तो रेवेन्यू गर्मी के मौसम में ही सबसे ज्यादा है, रेफ्रिजरेंट्स और गैसों पर कंपनी ज्यादा निर्भर है. कच्चे माल और ग्राहकों के साथ लॉन्गटर्म कॉन्ट्रैक्ट्स की कमी और पर्यावरण और सुरक्षा मानकों का पालन करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है.

भविष्य की संभावनाओं पर बात करें तो, फ्लोरोकेमिकल्स बाजार का विस्तार 2024 से 2029 के बीच 16-18% की वार्षिक वृद्धि दर्ज कर सकता है. क्लाइंट के साथ औसतन 3-4 साल की साझेदारी हो सकती है.

हालांकि, कंपनी के साथ रिस्क मौजूद हैं, लेकिन स्टैलियन की वृद्धि योजनाएं और बाजार में अवसर इसे एक आकर्षक निवेश विकल्प बनाते हैं.

डिसक्लेमर: इस खबर में GMP संबंधित जानकारी दी गई है. मनी9लाइव का GMP तय करने से कोई संबंध नहीं है. मनी9लाइव निवेशकों को यह भी सचेत करता है कि केवल जीएमपी के आधार पर निवेश पर फैसला नहीं करें.