TATA Capital IPO: कहां फंसा है पेंच, कब देगा बाजार में दस्तक, जानें सबकुछ

टाटा कैपिटल लिमिटेड नए साल में स्टॉक मार्केट में लिस्टिंग के लिए तैयार है. हालांकि, अगामी आईपीओ पर सांसद के उठाये सवाल और आरबीआई से जुड़े विवाद ने इस लिस्टिंग को चर्चा का विषय बना दिया है. जानें आईपीओ की डिटेल्स और क्या है इससे जुड़ा विवाद.

टाटा कैपिटल आईपीओ Image Credit: money9live.com

TATA Group की फाइंनेंशियल ब्रांच टाटा कैपिटल लिमिटेड नए साल आईपीओ लाने की तैयारी में जुटा हुआ है. RBI के हालिया फैसले के तहत सितंबर 2025 तक कंपनी को अपने आईपीओ की लिस्टिंग करनी होगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी टाटा मोटर फाइनेंस के साथ विलय के बाद अपना IPO फाइल करेगी. मर्जर का यह प्रोसेस फिलहाल नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT), मुंबई में लंबित है. टाटा कैपिटल के लेनदार 17 जनवरी 2025 को हो रही एक बैठक में विलय को मंजूरी दे सकते हैं. मर्जर के बाद बनी कंपनी फिर अपना आईपीओ दाखिल करेगी. यह प्रक्रिया 2025-26 की पहली तिमाही में पूरी होगी.

क्या है वैल्यूएशन?

अक्टूबर 2024 में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने टाटा ग्रुप की दो शीर्ष स्तर की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के विलय को मंजूरी दे दी, जिससे टाटा ग्रुप की एकल NBFC की लिस्टिंग का रास्ता साफ हो गया. विलय के बाद, टाटा संस इस नई कंपनी में 88.49% हिस्सेदारी रखेगा जबकि टाटा मोटर्स समेत अन्य टाटा ग्रुप की कंपनियां इसमें 7.72% हिस्सेदारी की मालिक होंगी.

विलय के बाद टाटा कैपिटल का इक्विटी वैल्यूएशन 3,880.7 करोड़ रुपये होगा, जिसमें 10 रुपये फेस वैल्यू वाले 388.07 करोड़ शेयर शामिल होंगे. टाटा कैपिटल और टाटा फाइनेंस के विलय के समय, टाटा कैपिटल का वैल्यूएशन 248.6 रुपये प्रति शेयर था. इस हिसाब से मर्जर के बाद टाटा कैपिटल का कुल वैल्यू 96,475 करोड़ रुपये होगा.

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सांसद ने उठाया टाटा संस का मामला

इसी दौरान, सांसद कौशलेंद्र कुमार ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर टाटा संस द्वारा सार्वजनिक लिस्टिंग से बचने के प्रयासों पर ध्यान देने की मांग की है. आरोप है कि टाटा संस, जो टाटा कैपिटल की मूल कंपनी है, खुद को एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) के रूप में पंजीकरण समाप्त करके सार्वजनिक लिस्टिंग की अनिवार्यता से बचने की योजना बना रही है. दरअसल, कुछ मीडिया रिपोर्टों में ऐसा जिक्र किया गया है कि टाटा संस सार्वजनिक लिस्टिंग से बचना चाहती है, इसलिए उसे जो एक नॉन-बैंकिंग फाइनेंसियल कंपनी (NBFC) के रूप में रजिस्ट्रेशन मिला है उसे सरेंडर करना चाहता है, जिसके लिए कंपनी ने RBI के पास इसी साल आवेदन भी कर दिया है.

इस महीने की शुरुआत में, एक व्यक्ति ने RBI को कानूनी नोटिस भी भेजा जिसमें टाटा संस को लेकर नियामकीय प्रक्रियाओं में संभावित हस्तक्षेप पर सवाल उठाए गए. साथ ही, टाटा ट्रस्ट के उपाध्यक्ष और टाटा संस के निदेशक वेणु श्रीनिवासन की दोहरी भूमिका भी विवाद का कारण बन रही है. वे RBI में निदेशक के रूप में कार्यरत हैं, जिससे हितों के टकराव की संभावना बनी हुई है. आलोचकों का मानना है कि यह टाटा संस के पक्ष में नियामक फैसलों को प्रभावित कर सकता है.

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