SEBI ने क्यों रद्द किया Trafiksol का IPO, अब कैसे वापस मिलेगा पैसा, जानें हर सवाल का जवाब
Trafiksol ITS Technologies IPO 10 से 12 सितंबर, 2024 के बीच खुला, इसे 345. गुना सब्सक्रिप्शन मिला. 13 सितंबर को शेयर्स का अलॉटमेंट भी हुआ, GMP भी 100% से ज्यादा के रिटर्न के संकेत दे रहा था. लेकिन फिर SEBI के पास एक शिकायत आई और 17 सितंबर को होने वाली लिस्टिंग टल गई.
Trafiksol ITS Technologies का IPO सिक्यॉरिटीज एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI ने रद्द कर दिया है और कंपनी को आदेश दिया है कि उसे निवेशकों का पूरा पैसा वापस करना होगा. इस आईपीओ को ओवरसब्सक्राइब किया गया था लेकिन फिर SEBI की ये कार्रवाई कंपनी के संदिग्ध लेन-देन और एक फर्जी कंपनी के साथ संबंधों की शिकायत पर की है. पूरा मामला आपको डिटेल में बताएंगे, पैसे कैसे वापस मिलेंगे, चलिए सब जानते हैं.
SEBI तक कैसे पहुंची शिकायत?
ट्रैफिकसोल एक ऐसी कंपनी है जो स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम बनाती है, यह यातायात को सुरक्षित और कुशल बनाने में मदद करते हैं. ये सॉफ्टवेयर बनाते हैं, एडवाइसरी सर्विस देते हैं. 10 से 12 सितंबर, 2024 के बीच खुले इस IPO को 345.65 गुना सब्सक्राइब किया गया. इसका प्राइस बैंड 66 से 70 रुपये रखा गया. 13 सितंबर को शेयर्स का अलॉटमेंट हुआ, जीएमपी भी 100 फीसदी से ज्यादा के रिटर्न के संकेत दे रहा था. सब अच्छा था लेकिन फिर Small Investors’ Welfare Association (SIREN) ने SEBI और BSE से एक शिकायत की और 17 सितंबर को लिस्ट होने वाले आईपीओ की लिस्टिंग टाल दी गई.
कंपनी पर क्या आरोप लगे?
कपनी पर आरोप लगे कि इसने 17.70 करोड़ का सॉफ्टवेयर एक ऐसे वेंडर से खरीदने का दावा किया, जिसकी वित्तीय स्थिति संदिग्ध थी और जिसने अपने एनुअल वित्तीय दस्तावेज भी कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय में दाखिल नहीं किए थे.
कैसे वापस मिलेगा पैसा?
SEBI के होल टाइम डायरेक्टर अश्वनी भाटिया ने आदेश में कहा कि, “मैं इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकता कि IPO में निवेशकों का पैसा करीब तीन महीने तक फंसा रहा. इसलिए, अन्य जांच पूरी होने का इंतजार किए बिना कंपनी को निवेशकों का पैसा वापस करना होगा.” इसके बाद कंपनी निवेशकों का पैसा वापस उनके अकाउंट में भेजेगी और जो भी प्रोसेस होगा उससे जुड़ा अलर्ट भी निवेशकों को मिलता रहेगा.
SEBI ने की जांच
निवेशकों के हित की सुरक्षा के लिए बने SEBI ने तुरंत इसकी जांच की और फिर अपना 16-पेज का आदेश जारी किया. आदेश में कहा गया कि, “जांच में पाया गया कि जिस वेंडर से खरीदारी की गई वह एक ‘शेल कंपनी’ है यानी फर्जी है. साइट निरीक्षण के दौरान उसका ऑफिस बंद भी पाया गया. उस वेंडर के वित्तीय दस्तावेज वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2024 तक संदिग्ध परिस्थितियों में जमा किए गए थे. इन दस्तावेजों पर उसी दिन हस्ताक्षर हुए, जिस दिन उन्हें BSE को सौंपा गया.”
क्या गड़बड़ियां पाई गईं?
SEBI ने अपने आदेश में कहा कि, “डायरेक्टर्स की दी गई जानकारी और क्लाइंट लिस्ट भी फर्जी पाई गई है. एक पूर्व निदेशक के बयान के अनुसार, कंपनी केवल 20,000 में बेची गई थी. इससे यह साफ होता है कि उस वेंडर के पास टेक्निकल एक्सपर्टीज और ऑपरेशनल कैपेसिटी नहीं थी कि वह ICCC सॉफ्टवेयर जैसा कॉम्प्लेक्स प्रोजेक्ट पूरा कर सके.”
SEBI ने कहा कि, “यह सवाल अभी भी बना रहेगा कि क्या उस वेंडर का कोटेशन IPO फंड को डायवर्ट करने के लिए था या नहीं. लेकिन इससे यह सच नहीं बदलता कि कंपनी ने एक फर्जी एंटिटी पर भरोसा किया और जांच के दौरान इसे छिपाने की कोशिश की.”
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SEBI ने कहा, “कंपनी SEBI की वर्तमान जांच प्रक्रिया पूरी होने और आवश्यक निर्देशों के बाद ही दोबारा बाजार में आ सकती है.”