GMP क्‍या है? कैसे किया जाता है कैलकुलेट? IPO में पैसे लगाने से पहले इस पर भरोसा कितना उचित

ग्रे मार्केट कहां है और कैसे काम करता है? ग्रे मार्केट प्रीमियम क्या होता है और ये कैसे कैलकुलेट किया जाता है? IPO में पैसा लगाने से पहले क्या जीएमपी देखना चाहिए या इसे निवेश के लिए एक इंडिकेटर माना जाना चाहिए? यहां आपको जीएमपी से जुड़े हर सवाल का जवाब आसान भाषा में मिल जाएगा.

ग्रे मार्केट क्या होता है, क्या ये लीगल है? Image Credit: AI Generated

अगर आप शेयर मार्केट में IPO के जरिए निवेश करने में रुचि रखते हैं, तो आपने ग्रे मार्केट प्रीमियम यानी GMP और ग्रे मार्केट के बारे में जरूर सुना होगा. जिन्‍होंने जीएमपी के बारे में सुना है, वह इस पर इतना भरोसा करते हैं कि इसके आधार पर ही वे तय करते हैं कि आईपीओ में पैसा लगाया जाए या नहीं. लेकिन क्या जीएमपी देखकर आईपीओ को आंकना चाहिए? जीएमपी होता क्या है? ये कैसे कैलकुलेट करते हैं? ग्रे मार्केट क्या होता है? चलिए आपको सब आसान भाषा में विस्तार से बताते हैं.

क्‍या लीगल है ग्रे मार्केट?

हमारे सामने दो शब्द हैं ग्रे मार्केट और ग्रे मार्केट प्रीमियम. ग्रे एक कलर है जो सफेद और काले रंग से मिलकर बना है. यानी दो चीजों की खूबियां या खामियां इसमें मिली है. वो दो चीजें व्‍हाइट और ब्लैक मार्केट है. व्‍हाइट मार्केट यानी जो लीगल है, जिस पर सरकार की नजर होती है. जैसे स्टॉक एक्सचेंज. यहां से शेयर खरीदने पर आपके साथ कभी धोखा या फर्जीवाड़ा नहीं होता और अगर होता है तो मार्केट रेगुलेटर सेबी आपकी मदद के लिए बैठा है. दूसरी तरफ ब्लैक मार्केट जो गैर कानूनी है, यहां से कुछ भी लेने पर अगर फर्जीवाड़ा होता है तो पुलिस भी आपकी मदद नहीं कर सकती उलटा आपको ही जेल भेज दिया जाएगा.

ग्रे मार्केट इसी के बीच का मार्केट है, जो पूरी तरह से लीगल तो नहीं है और तो और रेगुलेटेड तो बिल्कुल नहीं. इस मार्केट में अगर आप खरीदी बिक्री करते हैं तो आपको कोई जेल नहीं भेजेगा लेकिन अगर आप ठगा गए तो आपकी कोई मदद नहीं करेगा, क्योंकि इसका कोई रेगुलेटर नहीं. हर चीज का ग्रे मार्केट नहीं होता, लेकिन आईपीओ का होता है. आईपीओ के लिस्ट होने से पहले इन्हें ग्रे मार्केट में बेचा जाता है.

कहां होता है ग्रे मार्केट?

इसका कोई पता नहीं है. दरअसल यह एक सट्टा बाजार है. यहां ट्रेडर्स का एक समूह किसी आईपीओ के संभावित लिस्टिंग प्राइस को लेकर दांव लगाता है. आपकी किसी ऐसे व्‍यक्ति या समूह से पहचान हो या सूत्र हो तभी आपकी ग्रे मार्केट तक पहुंच बन सकती है.

ग्रे मार्केट प्रीमियम या GMP क्या होता है?

यहां शेयरों की ट्रेडिंग उनके आधिकारिक लिस्टिंग से पहले होती है. ग्रे मार्केट में जब आईपीओ आता है तब वहां उसकी कितनी डिमांड है, उसे कितना पसंद किया जा रहा है यह पता लगता है. अगर यहां कोई 100 रुपये का शेयर बिक रहा हो और ग्रे मार्केट में उसकी मांग में तेजी आ जाए और 100 रुपये का शेयर 110 का बन जाए तो इसका अंतर यानी 10 रुपये इसका GMP यानी प्रीमियम होगा.

मान लीजिए अगर किसी कंपनी का इश्यू प्राइस 100 रुपये है और आपको पता लगा कि GMP 50 रुपये चल रहा है, तो इसका मतलब यह है कि लोग इस शेयर के लिए 150 रुपये (₹100 + ₹50) देने को तैयार हैं. इससे एक आइडिया लगता है कि इसे कितना पसंद किया जा रहा है.

कैसे कैलकुलेट होता है GMP?  

GMP को किसी भी आईपीओ के लिए डिमांड और सप्लाई के आधार पर ही तय किया जाता है. इसमें कोई फॉर्मल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म शामिल नहीं होता क्योंकि ये एक अनौपचारिक बाजार यानी ग्रे मार्केट में होता है.  

हमने आपको ऊपर बताया कि अगर इश्यू प्राइस 100 रुपये है और GMP 50 रुपये चल रहा है, तो इसका मतलब यह है जब आईपीओ लिस्ट होगा तो इसका 100 रुपये का शेयर 150 रुपये पर लिस्ट हो सकता है.

क्या GMP निवेश के लिए सही गाइड करता है?

GMP को आजकल एक इंडिकेटर जरूर मान लिया गया है, लेकिन यह हमेशा सटीक नहीं होता. ये भी एग्जिट पोल की तरह होता है, जो सच साबित हो ये जरूरी नहीं. यह बस मार्केट सेंटिमेंट्स और डिमांड को भांपने की कोशिश करता है. कई बार GMP सही साबित होता है, लेकिन कई बार यह फेल भी हो जाता है.  

क्यों GMP को पूरी तरह भरोसेमंद नहीं माना जाता?

शेयर बाजार बहुत तेजी से बदलता है, जिससे GMP का अनुमान गलत हो सकता है. कभी-कभी IPO की शुरुआती डिमांड के कारण GMP बढ़ जाता है, लेकिन लिस्टिंग के समय कीमत गिर सकती है. GMP सिर्फ ग्रे मार्केट का अनुमान है, न कि कंपनी के असल प्रदर्शन का सबूत.  

GMP कब सफल और कब फेल हुआ?

  • 2021 के Zomato IPO तो याद कीजिए जिसका इश्यू प्राइस ₹76 था और GMP ₹20-22 रुपये. इसके हिसाब से जोमैटो का शेयर 96-98 रुपये पर लिस्ट होना था. लेकिन जोमैटो असल में 126 रुपये यानी 65% के प्रीमियम पर लिस्ट हुआ. अब जीएमपी सटीक तो साबित नहीं हुआ लेकिन ये बताने में सफल हुआ कि आईपीओ प्रॉफिट देगा.
  • अब 2021 के ही Paytm IPO को याद कीजिए जिसका इश्यू प्राइस ₹2,150 रुपये था और GMP ₹30-40 यानी पॉजिटिव था. लेकिन पेटीएम की लिस्टिंग ₹1,950 यानी डिस्काउंट पर लिस्टिंग हुई. 200 रुपये गिरावट के साथ लिस्ट हुआ. नतीजा ये रहा कि GMP पॉजिटिव था, लेकिन लिस्टिंग पर शेयर डिस्काउंट पर खुला और निवेशकों को लिस्टिंग गेन नहीं मिला.  
  • 2022 में LIC IPO के साथ भी ऐसा ही हुआ इश्यू प्राइस ₹949 था और GMP ₹10-15 रुपये लेकिन लिस्टिंग प्राइस ₹867 यानी डिस्काउंट पर लिस्टिंग हुई नतीजा ये रहा कि GMP पॉजिटिव होने के बावजूद लिस्टिंग कमजोर रही.  

निवेशकों के लिए सलाह  

GMP को आप जरूर एक इंडिकेटर के रूप में देख सकते हैं लेकिन इसे अंतिम फैसला लेने का आधार बनाना जोखिम हो सकता है. पैसा लगाने के लिए आपको कंपनी के फंडामेंटल्स, बिजनेस मॉडल और फ्यूचर ग्रोथ पर ही ध्यान देना होगा, इसकी समझ नहीं है तो फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लें. ग्रे मार्केट के आंकड़ों पर पूरी तरह भरोसा न करें क्योंकि यह अनौपचारिक और अस्थिर होता है.