HSBC म्यूचुअल फंड ने निर्यात अवसरों पर केंद्रित एनएफओ किया लॉन्च
इस फंड के जरिये मुख्य रूप से भारत के बाहर से 20% से अधिक निर्यात राजस्व अर्जित करने वाले क्षेत्रों की कंपनियों की इक्विटी में निवेश किया जाएगा.
देश के निर्यात क्षेत्र में हो रहे विस्तार और वृद्धि का फायदा निवेशकों तक पहुंचाने के लिए HSBC म्यूचुअल फंड ने इंडिया एक्सपोर्ट ऑपर्चुनिटीज फंड लॉन्च किया है. यह एक निर्यात केंद्रित ओपन एंडेड इक्विटी योजना है. इसमें नए फंड का ऑफर (एनएफओ) 5 सितंबर 2024 से 19 सितंबर 2024 को तक खुला है. फंड लॉन्च किए जाने पर एचएसबीसी म्यूचुअल फंड के सीईओ कैलाश कुलकर्णी ने कहा कि भारत सरकार 2030 तक निर्यात को 2 लाख करोड़ डॉलर तक बढ़ाना चाहती है. निर्यात देश के लिए हमेशा विकास के नए अवसर देने वाला होता है. इसके अलावा देश के लिए विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने में अहम योगदान देता है. देश के पास वस्तुओं और सेवाओं दोनों तरह के निर्यात की अपार क्षमताएं व संभावनाएं है. इनका पूरा लाभ लिया जा सके इसके लिए यह फंड बनाया गया है.
इसी तरह एचएसबीसी म्यूचुअल फंड में इक्विटी के सीईओ वेणुगोपाल मंघट कहते हैं कि इस फंड के लिए स्टॉक्स का चयन व्यवसाय की मूलभूत बातों सहित कई मानदंडों को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा. खासतौर पर उद्योग की संरचना, दूसरे समान व्यावसायों की क्षमता, प्रबंधन की गुणवत्ता, आर्थिक कारकों के प्रति संवेदनशीलता, कंपनी की वित्तीय स्थिति, कमाई के प्रमुख आधार और मूल्यांकन पर गौर किया जाएगा. यह फंड निवेश के लिए हमारे बॉटम-अप दृष्टिकोण के साथ संभावित निवेशकों के लिए मध्यम से लंबी अवधि के लिए शानदार रिटर्न दे सकता है.
एचएसबीसी म्यूचुअल फंड के फिलहाल करीब 1.24 लाख करोड़ रुपये की संपत्तियों का प्रबंधन कर रहा है. एक्सपोर्ट ऑपर्चुनिटीज फंड का लक्ष्य वस्तुओं या सेवाओं के निर्यात से जुड़ी या उससे लाभान्वित होने वाली कंपनियों में निवेश कर लंबी अवधि के लिए अच्छे रिटर्न लाना है. इस योजना का प्रबंधन अभिषेक गुप्ता करेंगे, जो इक्विटी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट हैं. उनके साथ सोनल गुप्ता भी इसके प्रबंधन से जुड़ी रहेंगी, जो कि कंपनी के लिए इक्विटी की प्रमुख शोधकर्ता हैं.
इस फंड के जरिये मुख्य रूप से भारत के बाहर से 20% से अधिक निर्यात राजस्व अर्जित करने वाले क्षेत्रों की कंपनियों की इक्विटी और इक्विटी संबंधित प्रतिभूतियों में निवेश करना है. खासतौर पर ऑटोमोबाइल, ऑटो कंपोनेंट्स, औद्योगिक उत्पाद, विद्युत उपकरण, फार्मा और जैव प्रौद्योगिकी, रसायन, टेक्सटाइल्स और परिधान, निर्माण, कृषि खाद्य और अन्य उत्पाद, पेट्रोलियम उत्पाद व धातुओं के विनिर्माण और निर्यात से जुड़ी कंपनियों में निवेश किया जाएगा. विनिर्माण के अलावा आईटी सॉफ्टवेयर और सेवाएं, दूरसंचार सेवाएं, परिवहन सेवाएं, स्वास्थ्य सेवाएं निर्यात करने वाली कंपनियों में भी निवेश किया जाएगा.