मल्टीकैप फंड या फ्लेक्सी कैप फंड, जानें निवेश के लिए कौन सा ऑप्शन बेहतर
फ्लेक्सी कैप और मल्टीकैप फंड ऐसे विकल्प हैं, जो निवेशकों को पोर्टफोलियो डायवर्सिफाई करने और रिस्क कम करने में मदद करते हैं. फ्लेक्सी कैप में कम से कम 65% इक्विटी में निवेश जरूरी है, जबकि मल्टीकैप में 75% निवेश अनिवार्य है.
इंवेस्टमेंट के पारंपरिक साधनों पर रिटर्न कम मिल रहा है, जिसके कारण निवेशकों का क्रेज इस क्षेत्र में घट रहा है. इसके बजाय निवेशक म्यूचुअल फंड की तरफ रुख कर रहे हैं. म्यूचुअल फंड में भी निवेशक खासतौर पर इक्विटी म्यूचुअल फंड को चुनते हैं, क्योंकि यहां रिटर्न ज्यादा मिलता है, हालांकि इसमें रिस्क भी अधिक होता है. ऐसे में कुछ म्यूचुअल फंड में ऐसे ऑप्शन्स हैं जिनका प्रयोग करके निवेशक अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइड कर सकते हैं और रिस्क को कम करके अपना प्रॉफिट बढ़ा सकते हैं, जिनमें फ्लेक्सी कैप और मल्टीकैप ऑप्शन्स शामिल हैं.
आइए जानते हैं कि इन दोनों में क्या अंतर है. फ्लेक्सी कैप में कम से कम 65% इक्विटी या इक्विटी से संबंधित इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करना जरूरी है, जबकि मल्टीकैप में कम से कम 75% इक्विटी में निवेश करना जरूरी है.
मल्टीकैप फंड के फीचर्स
मल्टीकैप फंड में आपका पैसा लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों में बराबरी से निवेश किया जाता है. इसका बेंचमार्क निफ्टी 500 है.
SEBI के नियमों के मुताबिक, मल्टीकैप फंड में तीनों प्रकार की कंपनियों में कम से कम 25-25% निवेश जरूरी होता है. इस प्रकार, इसमें कुल 75% इक्विटी निवेश किया जाता है.
मल्टीकैप फंड में 75% निवेश बाजार में ही होना चाहिए, चाहे बाजार की स्थिति कैसी भी हो. इससे लार्जकैप कंपनियों की स्थिरता का लाभ मिलता है और मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों से अधिक रिटर्न का फायदा भी.
अक्सर, मल्टीकैप फंड के फंड मैनेजर लार्जकैप कंपनियों में ज्यादा निवेश करते हैं और स्मॉलकैप तथा मिडकैप कंपनियों में निवेश को सीमित रखते हैं, जिससे फंड का रिस्क कम हो जाता है और स्थिरता बनी रहती है.
फ्लेक्सी कैप फंड के फीचर्स
फ्लेक्सी कैप फंड भी एक डायवर्सिफाइड इक्विटी म्यूचुअल फंड है, जिसमें फंड मैनेजर अलग-अलग प्रकार की कंपनियों (लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप) में निवेश कर सकते हैं. यह फंड 2017 में SEBI द्वारा लॉन्च किया गया था और नवंबर 2020 में इसे आम निवेशकों के लिए उपलब्ध कराया गया.
SEBI ने इस फंड के लिए मिडकैप, स्मॉलकैप और लार्जकैप कंपनियों में निवेश के अलग-अलग नियम तय किए हैं. हालांकि, फ्लेक्सी कैप फंड में कोई निश्चित निवेश अनुपात नहीं होता है. फंड मैनेजर बाजार की स्थिति के हिसाब से इन कंपनियों में निवेश को घटा या बढ़ा सकते हैं.
फ्लेक्सी कैप फंड में फंड मैनेजर को कम से कम 65% इक्विटी में निवेश करना आवश्यक होता है. यह ओपन-एंडेड फंड होता है, जिसमें फंड मैनेजर किसी भी प्रकार की कंपनी में निवेश कर सकते हैं.
फ्लेक्सी कैप फंड का रिटर्न Nifty 500 या BSE 500 से तुलना किया जाता है. इसमें आमतौर पर 70% लार्जकैप, 18% मिडकैप और 12% स्मॉलकैप कंपनियों में निवेश होता है. फंड मैनेजर ज्यादा रिटर्न पाने के लिए लार्जकैप कंपनियों में ज्यादा निवेश करते हैं और जरूरी होने पर मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों में निवेश घटाते-बढ़ाते हैं.
इसका फायदा यह है कि जब बाजार में उतार-चढ़ाव ज्यादा होते हैं, तो मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों पर ज्यादा असर पड़ता है. फ्लेक्सी कैप फंड में इन दोनों का वेटेज 30% तक रहता है, जिससे रिस्क कम हो जाता है.
फ्लेक्सी कैप फंड लार्जकैप फंड से ज्यादा रिस्क वाला होता है, लेकिन स्मॉलकैप और मिडकैप फंड के मुकाबले इसमें रिस्क कम होता है. फ्लेक्सी कैप फंड के तहत इंटरनेशनल फंड में भी निवेश किया जा सकता है.