सेबी ने बोर्ड बैठक में म्यूचुअल फंड लाइट के लिए फ्रेमवर्क को दी मंजूरी, निवेशकों को मिलेंगे ज्यादा विकल्प

बाजार नियामक सेबी ने परोक्ष रूप से प्रबंधित की जाने वाली योजनाओं के लिए म्यूचुअल फंड लाइट (एमएफ लाइट) फ्रेमवर्क को मंजूरी दी है. इसमें प्रायोजकों की पात्रता और अनुपालन संबंधी नियमों को स्पष्ट किया गया है.

ये हैं टॉप 6 फार्मा फंड जिसने पिछले एक साल में दिया तगड़ा रिटर्न Image Credit: warodom changyencham/Moment/ Getty Images

बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को बोर्ड बैठक में म्यूचुअल फंड के क्षेत्र में नए भागीदारों के प्रवेश को असान बनाने के लिए म्यूचुअल फंड लाइट फ्रेमवर्क (एमएफ लाइट ढांचे) को मंजूरी दी. म्यूचुअल फंड लाइट से बाजार में नगदी का प्रवाह बढ़ेगा और नए लोग बाजार का रुख करेंगे. खासतौर पर निवेशकों के पास बेहतर और नए निवेश विकल्प होंगे. सेबी की तरफ से तय किए गए ढांचे में प्रायोजकों के पात्रता मानदंडए अनुपालन की शर्तें तय की गई हैं.

एमएफ लाइट ढांचे के तहत सेबी ने प्रायोजकों के लिए पात्रता मानदंडों से जुड़ी शर्तों में ढील दी है. खासतौर पर इनमें नेटवर्थ, ट्रैक रिकॉर्ड और लाभप्रदता, ट्रस्टियों की जिम्मेदारी, अनुमोदन प्रक्रिया और प्रकटीकरण जैसी शर्तें शामिल हैं. इसके साथ ही बताया गया है कि इस ढांचे का मकसद नए खिलाड़ियों को म्यूचुअल फंड के बाजार में लाना है.

नए नियमों के तहत एक्टिव और पैसिव दोनों तरह की योजनाओं वाली मौजूदा एसेट्स मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) चाहें तो संबंधित पैसिव योजनाओं को किसी अन्य इकाई के तौर पर अलग से संचालित कर सकती हैं. इससे एक सामान्य प्रायोजक के तहत अलग-अलग एएमसी की तरफ से एक्टिव और पैसिव दोनों तरह की योजनाओं का प्रबंधन हो पाएगा.

फ्रेमवर्क में तय किया गया है कि मौजूदा एएमसी अगर पैसिव प्रबंधित योजनाओं को जारी रखना चुनती हैं, तो सूचकांकों के आधार पर पैसिव योजनाओं के लिए प्रकटीकरण और अन्य विनियामकीय शर्तों में जो छूट एमएफ लाइट ढांचे के तहत दी जाएंगी, वे उन भी लागू होंगी.

पिछले सप्ताह शुक्रवार को सेबी अध्यक्ष माधबी बुच ने म्यूचुअल फंड लाइट का एलान करते हुए कहा था कि यह एक साधारण फ्रेमवर्क है, जो केवल पैसिव स्कीम्स जैसे इंडेक्स फंड्स और एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETFs) को मैनेज करेगा. ये फंड्स मार्केट इंडेक्स या पोर्टफोलियो को ट्रैक करते हैं, जिससे इनकी लागत और मैनेजमेंट एक्टिव फंड्स की तुलना में कम होती है. इसके तहत रिटेल निवेशकों को भी फायदा मिलेगा. इससे उनके पास किफायती पैसिव निवेश विकल्प बढ़ेंगे.