देसी म्यूचुअल फंडों को सेबी की हरी झंडी, इन विदेशी फंडों में लगा सकेंगे पैसे
बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को म्यूचुअल फंड (एमएफ) को विदेशी म्यूचुअल फंड या यूनिट ट्रस्ट में निवेश करने की अनुमति दी है. देसी म्यूचुअल फंड ऐसे विदेशी फंडों में निवेश कर पाएंगे, जिन्होंंन अपने फंड का एक हिस्सा भारतीय प्रतिभूतियों में निवेश कर रखा है.
सेबी ने देसी म्यूचुअल फंडों को भारतीय प्रतिभूतियों में निवेश रखने वाले विदेशी फंड में निवेश करने की अनुमति दी है. इस कदम का मकसद विदेशी म्यूचुअल फंड या यूनिट ट्रस्ट में निवेश को आसान बनाना है. इसके अलावा निवेश के तरीके में पारदर्शिता लाना और म्यूचुअल फंड को अपने विदेशी निवेश में विविधता लाने में सक्षम बनाना है.
सेबी ने इसके संबंध में जारी अपने सर्कुलर में बताया है देसी म्यूचुलअ फंड ऐसे विदेशी फंडों में निवेश कर पाएंगे, जिनकी अधिकतम 25% हिस्सेदारी भारतीय प्रतिभूतियों में है. सेबी ने कहा कि यह नई व्यवस्था तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है. इसके साथ ही म्यूचुअल फंड योजनाओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि विदेशी फंड में सभी निवेशकों का योगदान बिना किसी अतिरिक्त साधन के एक ही निवेश साधन में समाहित हो.
इसके साथ ही सेबी ने साफ किया है कि यह निवेश जिन विदेशी म्यूचुअल फंड्स में किया जाए, वे ब्लाइंड पूल होने चाहिए. इसका मतलब है कि इनमें कोई अलग-अलग पोर्टफोलियो नहीं हो, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी निवेशकों के पास फंड में समान और आनुपातिक अधिकार हों. सेबी ने कहा कि विदेशी फंड के सभी निवेशकों के पास फंड में समान और आनुपातिक अधिकार होना जरूरी है, ताकि उसमें योगदान के अनुपात में फंड से रिटर्न का पूरा लाभ मिलता रहे.
हितों के टकराव से बचाव
नियामक ने हितों के टकराव को रोकने के लिए भारतीय फंड और विदेशी फंड के बीच सलाहकार समझौतों पर रोक लगाई है. इसके साथ ही साफ किया है कि भारतीय म्यूचुअल फंड केवल उन्हीं विदेशी फंड में निवेश कर सकते हैं, जिनका भारतीय प्रतिभूतियों में निवेश हो, लेकिन यह निवेश उनकी कुल परिसंपत्तियों के 25 फीसदी से अधिक नहीं हो.
इस बात का रखना होगा ध्यान
सेबी ने अपने सर्कुलर में भारतीय फंडों को यह जिम्मेदारी दी है कि वे यह तय करें कि जब वे निवेश करें, तो विदेशी फंड की भारतीय प्रतिभूतियों में हिस्सेदारी 25 फीसदी से ज्यादा नहीं हो. बाद में जब भी फंड में निवेश बढ़ाएं, तो लगातार इसका ध्यान रखें. अगर निवेश के बाद इस सीमा का उल्लंघन होता है, तो 6 महीने की भीतर विदेशी फंड से पोर्टफोलियो में संतुलन बनाने का समय दिया जाएगा, लेकिन इस दौरान उसमें कोई नया निवेश नहीं किया जाएगा.