मात्र 20 हजार का करें निवेश, 8-4-3 के इस आसान गणित से बनें करोड़पति

Mutual Fund: 8-4-3 नियम पहले से ही आजमाया हुआ एक तरीका है, जो निवेशकों को उनके म्यूचुअल फंड निवेश की संभावित बढ़ोतरी को समझने में मदद करता है. यह नियम कंपाउंड इंट्रेस्ट के सिद्धांत पर काम करता है.

कंपाउंडिंग की ताकत समझ जाएंगे तो निवेश करना आसान बन जाएगा. Image Credit: Freepik

म्यूचुअल फंड में निवेश कर कुछ सालों में करोड़पति बनने का सपना देखने वालों को बस बेसिक नियमों की समझ होनी चाहिए. अगर उन्हें वह समझ मिल जाए तो करोड़पति बनने से कोई रोक सकता. अगर आपकी सैलेरी 50,000 रुपये भी है तो भी ऐसा करना संभव है. दरअसल कंपाउंडिंग है ही ऐसी चीज जो नामुमकिन को मुमकिन बना सकती है. आपको 15 सालों में का टारगेट लेकर चलना है और अनुशासन रखना है. ये नियम है 8-4-3 का नियम, चलिए आपको इसकी ताकत बताते हैं?

क्या है 8-4-3 नियम?

8-4-3 नियम पहले से ही आजमाया हुआ एक तरीका है, जो निवेशकों को उनके म्यूचुअल फंड निवेश की संभावित बढ़ोतरी को समझने में मदद करता है. यह नियम कंपाउंड इंट्रेस्ट के सिद्धांत पर काम करता है.

इस नियम के अनुसार:

15 साल में आपका निवेश 4 गुना हो जाएगा और 21 साल में यह निवेश 8 गुना तक बढ़ सकता है. यह नियम दिखाता है कि समय के साथ कंपाउंड इंट्रेस्ट आपके पैसे को कितनी तेजी से बढ़ा सकता है.

कंपाउंडिंग की ताकत

कंपाउंड इंट्रेस्ट वह प्रक्रिया है, जिसमें आपके मूलधन और उस पर मिलने वाले ब्याज पर भी ब्याज मिलता है. यह आपके पैसे को तेजी से बढ़ने की ताकत देता है.

एक उदाहरण से समझाते हैं:

मान लीजिए किसी व्यक्ति की सैलरी 50,000 रुपये प्रति माह है. वह अपनी सैलरी का 40% यानी 20,000 रुपये हर महीने एक ऐसी योजना में निवेश करता है, जहां उसे 12% सालाना ब्याज मिल जाता है. तो,

निवेश जारी रखने और समय देने से आपका पैसा तेजी से बढ़ता है. लंबी अवधि में निवेश करने पर कंपाउंडिंग का जादू सबसे अधिक प्रभाव डालता है.

डिसक्लेमर: किसी भी प्रकार के निवेश (जैसे शेयर, म्यूचुअल फंड, बॉन्ड, एफडी, गोल्ड आदि) से पहले सर्टिफाइड इनवेस्टमेंट एडवाइजर से सलाह लें. निवेश का उद्देश्य और समय सीमा स्पष्ट रखें. सही स्कीम चुनने के लिए संभावित जोखिम और रिटर्न को समझें.