FD से ज्यादा रिटर्न और एग्जिट लोड का झंझट नहीं, जानें क्या हैं लिक्विड फंड जो 7 दिनों में भी दे देते हैं फायदे!
Liquid Funds एक प्रकार का म्यूचुअल फंड ही है जिसमें आप अपने पैसे को कुछ समय के लिए निवेश कर सकते हैं और इसमें आपको सेविंग अकाउंट से बेहतर रिटर्न मिल सकता है. इसमें पैसे निकालने पर कोई एग्जिट लोड नहीं लगता है और पैसा तुरंत मिल जाता है.

Liquid Funds: अगर आप अपने सेविंग अकाउंट में पड़ी रकम से ज्यादा रिटर्न कमाना चाहते हैं, तो एक बेहतर ऑप्शन है. लिक्विड फंड. इस आर्टिकल में हम उसी के बारे में बात करेंगे. ये एक ऐसा फाइनेंशियल प्रोडक्ट है जिसमें आप कुछ समय के लिए अपने पैसे को निवेश कर सकते हैं और सेविंग अकाउंट से बेहतर रिटर्न पा सकते हैं. चलिए समझते हैं सब कुछ.
क्या होते हैं लिक्विड फंड?
आप अपनी जरूरत से ज्यादा रकम को कुछ दिनों के लिए जैसे 7 दिनों के लिए लिक्विड फंड में डाल सकते हैं. खास बात ये है कि इसमें से पैसे निकालने पर कोई एग्जिट लोड नहीं लगता. यानी 7 दिन से कम की इन्वेस्टमेंट पर भी कोई पेनल्टी नहीं होती. अगर आप कट-ऑफ टाइम से पहले रिडेम्प्शन रिक्वेस्ट डालते हैं, तो पैसे अगले वर्किंग डे में आपके बैंक अकाउंट में आ जाते हैं.
कुछ फंड हाउसेस जैसे –
- रिलायंस म्यूचुअल फंड
- डीएसपी ब्लैकरॉक
- आदित्य बिड़ला सन लाइफ
- एसबीआई म्यूचुअल फंड
- यूटीआई
इनमें तुरंत रिडेम्प्शन की सुविधा मिलती है. इनमें आप अपनी इन्वेस्टमेंट का 90% या 50,000 (जो भी कम हो) तक तुरंत निकाल सकते हैं.
लिक्विड फंड का पैसा ट्रेजरी बिल्स, कॉल मनी और बैंकों के डिपॉजिट सर्टिफिकेट्स में लगाया जाता है, जिनकी मैच्योरिटी अधिकतम 91 दिन की होती है. इसी कारण ये फंड सेफ माने जाते हैं और इनका रिटर्न भी स्थिर रहता है. आमतौर पर लिक्विड फंड का रिटर्न बैंक एफडी से थोड़ा ज्यादा होता है, और यहां पैसे निकालना भी आसान होता है. न कोई पेनल्टी, न कोई लंबा इंतजार.
पिछले एक साल में इन फंड्स ने औसतन करीब 7.27% रिटर्न दिया है, जो बैंक एफडी के बराबर या उससे थोड़ा बेहतर है.
कब करें लिक्विड फंड का इस्तेमाल?
अगर आप नौकरीपेशा हैं और हर महीने EMI, किराया या क्रेडिट कार्ड बिल चुकाने के लिए सेविंग अकाउंट में पैसा रखते हैं, तो उसे आप लिक्विड फंड में डाल सकते हैं. EMI या बिल की ड्यू डेट से एक दिन पहले पैसे बैंक में ट्रांसफर कर लीजिए. इससे आपको बेहतर ब्याज मिलेगा.
अगर आप घर खरीदने की सोच रहे हैं और पैसे को बहुत कम समय में इस्तेमाल करने की जरूरत है, तो वो रकम भी सेविंग अकाउंट में रखने की बजाय लिक्विड फंड में रखी जा सकती है.
इसके अलावा, अगर आप एकमुश्त पैसा इक्विटी म्यूचुअल फंड में लगाने की सोच रहे हैं, तो सीधे लगाने की बजाय पहले उस रकम को लिक्विड फंड में डालिए और वहां से सिस्टेमैटिक ट्रांसफर प्लान (STP) के जरिए धीरे-धीरे पैसा ट्रांसफर कीजिए. इससे आप बाजार की उतार-चढ़ाव से थोड़ा बच सकते हैं.
अगर आपने अपने गोल पूरे होने पर इक्विटी फंड से पैसा निकाला है या अपने पोर्टफोलियो को री-बैलेंस कर रहे हैं, तो वो पैसा भी आप कुछ समय के लिए लिक्विड फंड में रख सकते हैं.
इसमें टैक्स को लेकर क्या मामला है?
लिक्विड फंड को टैक्स के लिहाज से डेब्ट फंड माना जाता है. मतलब ये कि उस पर आपकी इनकम टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्स लगेगा, चाहे आपने उसे कितने भी समय के लिए रखा हो. हां, अगर आपने 1 अप्रैल 2023 से पहले निवेश किया था और वो दो साल पूरे कर चुका है, तो उस पर 12.5% का फ्लैट टैक्स लगेगा.
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कैसे करें निवेश?
आज के समय में ऑनलाइन बैंकिंग और म्यूचुअल फंड ऐप्स की मदद से लिक्विड फंड में निवेश और रिडेम्प्शन करना बहुत आसान हो गया है. आप अपने स्मार्टफोन से कभी भी, कहीं से भी ये ट्रांजैक्शन कर सकते हैं. बिल्कुल वैसे ही जैसे आप कोई ईमेल भेजते हैं. यानी अगर आप स्मार्ट तरीके से अपने पैसों को थोड़े समय के लिए बेहतर रिटर्न पर लगाना चाहते हैं, तो लिक्विड फंड एक समझदारी भरा विकल्प है.
लेखक एक टैक्स और इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट हैं. यहां व्यक्त विचार उनके निजी हैं. आप उन्हें jainbalwant@gmail.com पर या ट्विटर हैंडल @jainbalwant पर संपर्क कर सकते हैं.
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