8th Pay Commission: कर्मचारियों की सैलरी हाइक के लिए क्या है सरकार का प्लान, तैयार हो रहा है ड्राफ्ट

केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारियों के लिए अहम अपडेट! 8वें वेतन आयोग को लेकर सरकार ने बड़ी पहल शुरू कर दी है. क्या इस बार कर्मचारियों को बड़ा वेतन लाभ मिलेगा? सरकार और कर्मचारी संगठनों के बीच चर्चा जोरों पर है.

8वां वेतन आयोग Image Credit: Getty Image

8th Pay Commission: केंद्र सरकार के 8वें वेतन आयोग की अंतिम रिपोर्ट आने में एक वर्ष या उससे अधिक का समय लग सकता है, लेकिन सरकार और कर्मचारियों के बीच बातचीत की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. ड्राफ्ट की रूपरेखा तैयार करने की कड़ी में में राज्य सरकारों और प्रमुख मंत्रालयों, विशेष रूप से रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के अधिकारी आपस में अनौपचारिक तौर पर विचार विमर्श शुरू कर चुके हैं. सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले महीनों में वेतन आयोग की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया जाए.

हालांकि, सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आयोग की सिफारिशें आगामी वित्तीय वर्ष पर प्रभाव नहीं डालेंगी, क्योंकि अंतिम रिपोर्ट तैयार होने में एक वर्ष या उससे अधिक का समय लग सकता है. बिजनेस टुडे से बात करते वक्त इस बात की जानकारी व्यय सचिव (Expenditure Secretary) मनोज गोविल ने दी.

कर्मचारियों की मांगें और बैठक के मुख्य मुद्दे

हाल ही में केंद्र सरकार ने वेतन आयोग की रूपरेखा को लेकर केंद्रीय कर्मचारियों के प्रतिनिधियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की. इस बैठक में कर्मचारी संगठनों ने कई प्रमुख मांगें सरकार के सामने रखीं.

  1. पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ

कर्मचारी संगठनों ने सरकार से यह मांग की कि पेंशन का जो हिस्सा सेवानिवृत्ति के समय निकाला जाता है, उसे 15 वर्षों के बजाय 12 वर्षों में पुनः बहाल किया जाए. इसके अलावा, उन्होंने संसद की स्थायी समिति की उस सिफारिश को लागू करने की मांग की जिसमें हर पांच साल में पेंशन की समीक्षा और वृद्धि का सुझाव दिया गया है.

  1. पुरानी पेंशन योजना की बहाली

कर्मचारियों की ओर से सबसे महत्वपूर्ण मांगों में से एक थी कि 1 जनवरी 2004 के बाद भर्ती हुए कर्मचारियों के लिए पुरानी गैर-अंशदायी पेंशन योजना (non-contributory Pension Scheme) को बहाल किया जाए. कर्मचारी संगठनों का कहना है कि नई अंशदायी पेंशन योजना (NPS) कर्मचारियों के लिए लाभकारी नहीं है.

  1. न्यूनतम वेतन निर्धारण

कर्मचारी प्रतिनिधियों ने न्यूनतम वेतन निर्धारण की प्रक्रिया में बदलाव की मांग की. उनका कहना था कि वर्तमान गणना एक परिवार के तीन सदस्यों के आधार पर की जाती है जबकि इसे बढ़ाकर पांच सदस्यीय परिवार के आधार पर किया जाना चाहिए. यह मांग माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण से जुड़े 2022 के कानून के अनुरूप की गई.

  1. बच्चों की शिक्षा भत्ता और छात्रावास सब्सिडी

कर्मचारियों ने बच्चों की शिक्षा भत्ते (Children Education Allowance) और हॉस्टल सब्सिडी (Hostel Subsidy) को पोस्ट ग्रेजुएट लेवल (Postgraduate Level) तक बढ़ाने की मांग रखी जिससे सरकारी कर्मचारियों के बच्चों को उच्च शिक्षा हासिल करने में सहायता मिल सके.

  1. अंतरिम राहत और महंगाई भत्ता (DA) का विलय

कर्मचारी संगठनों ने वेतन आयोग लागू होने से पहले अंतरिम राहत दिए जाने और महंगाई भत्ते के 50 फीसदी हिस्से को मूल वेतन में जोड़ने की मांग की. उन्होंने तर्क दिया कि पहले के वेतन आयोगों के दौरान भी ऐसा किया गया था जिससे कर्मचारियों को आर्थिक राहत मिली थी.

  1. ज्यादा कर्मचारियों को शामिल करने की मांग

कर्मचारी संगठनों ने ग्रामीण डाक सेवकों (Gramin Dak Sevaks) और चुनाव आयोग (Election Commission) के कर्मचारियों को भी 8वें वेतन आयोग के दायरे में लाने की मांग की.

सरकार की प्रतिक्रिया

गोविल के दिए जानकारी के मुताबिक, बैठक में शामिल डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (DoPT) की सचिव ने कर्मचारियों की मांगों को सुना और आश्वासन दिया कि इन बिंदुओं पर आगे और चर्चा की जाएगी. उन्होंने कहा कि यह बैठक सरकार के लिए कई मुद्दों को स्पष्ट करने में सहायक रही और आगे की नीति तय करने में मदद करेगी.

कर्मचारी संगठनों ने सरकार से यह भी अपील की कि पिछले JCM की बैठकों में सहमत मुद्दों को वेतन आयोग पर न टालते हुए जल्द लागू किया जाए ताकि कर्मचारियों को देरी का सामना न करना पड़े. अब कर्मचारी संगठनों की ओर से एक विस्तृत ज्ञापन तैयार किया जा रहा है जिसमें प्रत्येक मांग को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया जाएगा. इसके लिए सभी संबंधित संगठनों को सुझाव देने के लिए अलग से परिपत्र भेजा गया है.

यह भी पढ़ें: यूपी में शराब ठेके के लिए खुल गई विंडो, ऐसे करें ऑनलाइन अप्लाई, जानें सारी डिटेल

8वें वेतन आयोग की अहमियत

8वां वेतन आयोग एक बार औपचारिक रूप से गठित हो जाने के बाद केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन, भत्ता, पेंशन योजनाओं और अन्य लाभों की समीक्षा करेगा. इस प्रक्रिया में राज्य सरकारों और विभिन्न मंत्रालयों के साथ विस्तृत परामर्श किया जाएगा. यह आयोग करोड़ों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की वेतन संरचना को प्रभावित करेगा.