8th Pay Commission Salary Formula: अगर लागू हुआ ये फॉर्मूला, तो कम से कम डबल हो जाएगी सैलरी! 7 वें में किया था कमाल
8वें वेतन आयोग के गठन के बाद, सैलरी कैलकुलेशन के लिए उस फॉर्मूले को फिर से लागू करने की मांग हो रही है जो 7वें वेतन आयोग में इस्तेमाल किया गया था. यह डॉ आयक्रॉइड फॉर्मूला है. अगर यही फॉर्मूला 8वें वेतन आयोग में लागू किया गया तो कम से कम वेतन डबल हो जाएगा.
8th Pay Commission Salary Formula: 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी मिलने के बाद सैलरी कैलकुलेशन के लिए फिटमेंट फैक्टर पर सबसे ज्यादा बात हो रही है. लेकिन असल में 7वें वेतन आयोग में जिस फॉर्मूले को लागू किया गया था अगर वही फॉर्मूला 8वें वेतन आयोग में लागू किया गया तो वेतन कम से कम डबल हो ही जाएगा. इंडस्ट्री की ओर से इस फॉर्मूले की डिमांड भी की जा रही है. ये फॉर्मूला है आयक्रॉइड फॉर्मूला. चलिए समझते हैं क्या है आयक्रॉइड फॉर्मूला और सैलरी पर कितना असर डाल सकता है.
नेशनल काउंसिल-जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (NC-JCM) के नेता एम राघवैया ने एनडीटीवी प्रॉफिट से बातचीत में उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों की मिनिमम सैलरी 36,000 रुपये तक संशोधित हो सकती है. बता दें कि, NC-JCM एक आधिकारिक मंच है जहां सरकार और कर्मचारियों के बीच बातचीत के जरिए समाधान निकाला जाता है.राघवैया ने कहा कि, “हम चाहते हैं कि 8वां वेतन आयोग डॉ आयक्रॉइड के फॉर्मूले का इस्तेमाल करे. मैं उम्मीद करता हूं कि मिनिमम सैलरी कम से कम 36,000 रुपये तक बढ़ाई जाए.”
क्या है डॉ आयक्रॉइड का फॉर्मूला?
डॉ आयक्रॉइड का फॉर्मूला अमेरिकी न्यूट्रिशनिस्ट वॉलिस रुडेल आयक्रॉइड के नाम पर है. डॉ आयक्रॉइड फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (FAO) के न्यूट्रिशन विभाग के निदेशक थे. यह फॉर्मूला उन चीजों की कीमतों में तेजी पर ध्यान में रखता है जो एक आम आदमी के जीवन में जरूरी होती हैं. इन चीजों के दामों की समीक्षा समय-समय पर शिमला में स्थित श्रम ब्यूरो करता है.
डॉ आयक्रॉइड का सुझाव देश की जनता के भोजन और कपड़ों की जरूरतों पर आधारित थे. यह फॉर्मूला आम आदमी के लिए जरूरी चीजों की कीमतों में बदलाव को हैंडल कर सकता है जो भविष्य में उन पर असर डाल सकते हैं.
7वें वेतन आयोग ने इसी फॉर्मूले का इस्तेमाल कर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए 18,000 रुपये की मिनिमम सैलरी तय की थी.
कैसे काम करता है ये फॉर्मूला?
आयक्रॉइड फॉर्मूला के अनुसार, जो मिनिमम सैलरी का कैलकुलेशन होता है वह पे मैट्रिक्स के शुरुआती पॉइंट से होता है. अब, पे मैट्रिक्स में कई स्तर होते हैं, यानी कर्मचारी पद के हिसाब से आगे बढ़ते हैं, एक स्तर से दूसरे स्तर पर जाते हैं.
अब मान लीजिए कि एक कर्मचारी लेवल 1 पर है और उसकी सैलरी 10,000 रुपये है. अब एक साल बाद, उसे 3% का हाइक मिलता है, तो उसकी सैलरी 10,300 हो जाती है. अब, अगर वह लेवल 2 में प्रमोट हो जाता है, तो उसकी सैलरी लेवल 2 पर पे मैट्रिक्स के हिसाब से बढ़ेगी जैसे अगर लेवल 2 में सैलरी 15,000 रुपये है, तो वह अब 15,000 रुपये की सैलरी से शुरू करेगा.
कितना हो सकता है फिटमैंट फैक्टर?
अगर मान लीजिए कि जैसा कि राघवैया ने कहा कि 36,000 रुपये मिनिमम सैलरी होनी चाहिए और 8वां वेतन आयोग इसे स्वीकार कर लेता है, तो इसका मतलब होगा कि आयोग 2.0 के फिटमेंट फैक्टर की सिफारिश करेगा.