पेट्रोल-मोबाइल-जिम-टैक्सी बिल के नाम पर नहीं बचेगा इनकम टैक्स, Part-B पर चलेगी कैंची !
Income Tax Salary Perquisites: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025 के बजट में सैलरी संबंधित अधिनियम, पर्क्स और वेतन के बदले बेनिफिट्स की परिभाषा को बदलने का प्रस्ताव रखा है. इनकम टैक्स बिल में इसको लेकर चीजें और अधिक स्पष्ट होने की उम्मीद है.
Income Tax Salary Perquisites: मोदी सरकार ने भारत के मिडिल क्लास के मतदाताओं की शिकायतों का जवाब टैक्स कटौती के जरिए धमाकेदार तरीके से दिया है. 12 लाख रुपये तक की कमाई पर जीरो टैक्स ग्रोथ की रणनीति का एक मुख्य बिंदु है. इनकम टैक्स में छूट में तो ठीक है, लेकिन सरकार सैलरीड क्लास के लिए एक और बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है, जिसका असर सीधा उनकी जेब पर पड़ेगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025 के बजट में सैलरी संबंधित अधिनियम, पर्क्स और वेतन के बदले बेनिफिट्स की परिभाषा को बदलने का प्रस्ताव रखा है. इसका सीधा मतलब यह है कि आपकी सैलरी से पार्ट-बी वाला हिस्सा खत्म हो जाएगा.
हालांकि, अभी इसको लेकर स्थिति पूरी तरह से साफ नहीं है. इसलिए उम्मीद है कि अगले सप्ताह संसद में पेश होने वाले इनकम टैक्स बिल से सबकुछ साफ हो जाएगा.
टैक्सेबल इनकम में शामिल नहीं है पर्क्स
अभी तक सैलरी में शामिल 50 हजार रुपये तक के पर्क्स को टैक्सेबल इनकम में शामिल नहीं किया जाता है. टैक्स फ्री पर्क्स में कंपनी द्वारा दिए जाने वाले लैपटॉप और कंप्यूटर, सोडेक्सो, फ्री घर, कार, रियायती नाश्ता, फूड, मेडिकल सुविधा, क्लब की मेंबरशिप, लैपटॉप और ट्रैवल अलाउंस जैस टैक्स फ्री लाभ शामिल होते हैं. इसके अलावा, टेलीफोन या मोबाइल बिल, प्रोविडेंट फंड, एंटरटेनमेंट और फ्री मेडिकल सुविधाएं आदि भी टैक्स फ्री पर्क के रूप में गिनी जती हैं. इस नए नियम 1 अप्रैल 2026 से लागू करने की घोषणा की गई है. हालांकि, कुछ नियम 1 अप्रैल 2025 से भी लागू हो सकते हैं.
बदलाव का प्रस्ताव
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसी पर्क्स में बदलाव करने का प्रस्ताव रखा है. अगर सरकार सैलरी से पर्क्स का हिस्सा खत्म करती है, तो वो सीधे कर्मचारी की कुल सैलरी का हिस्सा बन जाएगा. इस तरह कर्मचारी की कुल टैक्सेबल इनकम बढ़ जाएगी. अभी ज्यादातर कंपनियां अपने कर्मचारियों को पर्क्स का लाभ देती हैं. अब अगर इसे आसान भाषा में समझें, तो सीधा सीधा मतलब यह कि कंपनियों की तरफ से मिलने वाले पर्क्स के चलते कर्मचारियों की टैक्सेबल इनकम कम होती है.
आसान भाषा में समझिए
मान लीजिए कि अमित एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं. उनकी सैलरी CTC के अनुसार, 13 लाख रुपये सालाना है. अब अगर नए टैक्स स्लैब के हिसाब से देखें, तो 75 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को जोड़कर 12 लाख 75 हजार रुपये तक की इनकम टैक्स फ्री होगी. साथ ही अगर कंपनियों की तरफ से मिलने वाले 50 हजार रुपये तक के पर्क्स को सैलरी से घटा दें, तो फिर 13 लाख रुपये की कमाई टैक्सेबल नहीं रह जाती है. लेकिन अगर सरकार ने फर्क्स हटा लिया, तो फिर 13 लाख रुपये की कमाई टैक्सेबल हो जाएगी. इस तरह सैलरीक्लास की जेब ढीली हो सकती है.
खर्च से मिलेगी जीडीपी को रफ्तार
सरकार ने 12 लाख रुपये तक की कमाई को टैक्स फ्री करके मिडिल क्लास को कुल मिलाकर खर्च करने के लिए करीब 1 लाख करोड़ रुपये दिए हैं. यह वह पैसा है जिसे सरकार इन बदलावों के जरिए इनकम टैक्स में छोड़ रही है. यह वित्त वर्ष 25 के इनकम टैक्स कलेक्शन का करीब 10 फीसदी के बराबर है. यह पैसा अब लोगों के पास अतिरिक्त खर्च के लिए उपलब्ध होगा. अगर लोगों के पास ज्यादा पैसा होगा, तो वे ज्यादा खर्च करेंगे और इससे अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा.