12 लाख सैलरी है तो क्या भरना होगा ITR, जानें क्या है नए नियम
बजट 2025 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत देते हुए 12 लाख तक की आय को टैक्स-फ्री कर दिया है. लेकिन, 4 लाख से अधिक आय वाले व्यक्तियों को आईटीआर दाखिल करना अनिवार्य है. 4-8 लाख की आय पर 5% और 8-12 लाख की आय पर 10% टैक्स लगेगा.
ITR : बजट 2025 के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टैक्सपेयर्स को राहत देते हुए ऐलान किया कि 12 लाख तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. सरकार के इस कदम से टैक्सपेयर्स राहत महसूस कर रहे हैं. लेकिन उनके बीच एक कंफ्यूजन भी है कि क्या उन्हें 12 लाख तक की इनकम पर ITR भरना होगा या नहीं. तो आइये जानते हैं विस्तार से की सरकार के नए नियम तहत आपको क्या करना होगा.
ITR भरना है जरूरी
सरकार के नए नियम के तहत 12 लाख तक की इनकम वाले टैक्सपेयर्स को ITR दाखिल करना जरूरी है. नए नियम के तहत सिर्फ 4 लाख तक की इनकम वाले को ITR नहीं दाखिल करना पड़ेगा. इसके बाद मतलब 4 – 12 लाख इनकम वाले लोगों के ITR भरना जरूरी होगा, अगर ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें जुर्माना भरना पड़ सकता है.
4 लाख के बाद कितना लगेगा टैक्स
सिर्फ 4 लाख तक की इनकम वाले पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. इसके बाद 4-8 लाख की इनकम पर 5 फीसदी और 8-12 लाख की इनकम पर 10 फीसदी टैक्स देना होगा और इस इनकम स्लैब में आने वाले लोगों को ITR भी फाइल करना होगा.
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टैक्स स्लैब और टैक्स कैलकुलेशन
- 0-4 लाख, 0 फीसदी टैक्स
- 4-8 लाख, 5 फीसदी टैक्स, राशि 20,000 रुपये
- 8-12 लाख, 10 फीसदी टैक्स, राशि 40,000 रुपये
ITR फाइल करने के फायदे
- अतिरिक्त TDS कटौती का टैक्स रिफंड: अगर किसी व्यक्ति से अधिक TDS (Tax Deducted at Source) कटौती हुई हो, तो वह अपने कर रिफंड का दावा कर सकता है. ऐसा तब होता है जब करदाता की कुल इनकम और टैक्स की स्थिति को सही तरीके से नहीं दिखाया जाता, और इस कारण से अधिक टैक्स काटा जाता है.
- लोन आवेदनों और वीजा प्रोसेसिंग के लिए वित्तीय रिकॉर्ड रखना: जब आप बैंक से लोन या वीज़ा के लिए आवेदन करते हैं, तो आपको अपने वित्तीय रिकॉर्ड (जैसे कि इनकम कर रिटर्न, बैंक स्टेटमेंट्स आदि) प्रस्तुत करने होते हैं. ये रिकॉर्ड आपके वित्तीय स्थिरता और क्रेडिट योग्यता को प्रमाणित करते हैं.
- भविष्य के टैक्स बेनिफिट के लिए घाटे को आगे ले जाना: अगर किसी वित्तीय वर्ष में आपको घाटा हुआ है, तो आप उस घाटे को अगले वर्षों में लाभ के साथ एडजस्ट कर सकते हैं, जिससे भविष्य में कर लाभ मिल सकते हैं. इसे “कैरी फॉरवर्ड” कहा जाता है.
- हाई प्राइस का लेन-देन और इनकम कर विभाग का नोटिस: यदि आप हाई वैल्यू के लेन-देन करते हैं, तो इनकम कर विभाग से नोटिस मिलने की संभावना बढ़ सकती है. ऐसा तब होता है जब इनकम कर विभाग को संदेह होता है कि आपने अपनी इनकम या खर्च को ठीक से रिपोर्ट नहीं किया है.