Budget 2025: Income Tax छूट पर भारी महंगाई, जानें आपको कैसे देना पड़ रहा ज्यादा टैक्स

Budget 2025 Income Tax: भारत का टैक्सपेयर महंगाई से जूझ रहा है और इस समय 15 लाख रुपये से अधिक कमाई करने वाले लोग 30 फीसदी की दर से मैक्सिमम टैक्स चुका रहे हैं. इकोनॉमी पर दबाव 2024 में ही साफ नजर आने लगा था, क्योंकि खपत की गति धीमी हो गई थी.

इनकम टैक्स छूट पर भारी महंगाई. Image Credit: Freepik

Budget 2025 Income Tax: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना आठवां बजट एक फरवरी को पेश करने वाली हैं, यह बजट ऐसे समय में पेश होगा जब ट्रंप सत्ता में आ चुके हैं और दुनिया भर में टैरिफ वार का डर है, इसी तरह भारतीय इकोनॉमी में सुस्ती का दौर है और भारत का टैक्सपेयर महंगाई से जूझ रहा है. तो वित्त मंत्री से अर्थशास्त्री से लेकर मिडिल क्लास सभी इनकम टैक्स में बड़ी राहत की उम्मीद कर रहे हैं. यह मांग इसलिए भी जायज हो गई है, क्योंकि चाहे ओल्ड टैक्स रिजीम हो या फिर न्यू टैक्स रिजीम सभी में टैक्सपेयर को मौजूदा छूट, महंगाई के आधार पर जायज नजर नहीं आ रही है. महंगाई कैसे टैक्स छूट को अप्रभावी बना रही हैं, इसे आज हम आपको बता रहे हैं.

महंगाई टैक्स छूट पर भारी

मिंट के अनुसार, पांच साल पहले इनकम टैक्स छूट की बेस लिमिट 2.5 लाख रुपये तय की गई थी. लेकिन इस छूट को महंगाई दर एडजस्टमेंट और समान परचेजिंग पावर के आधार पर बढ़कर अब तक 3.1 रुपये लाख हो जाना चाहिए था. इसी तरह नई टैक्स रिजीम में 7 लाख से अधिक कमाई वाले भी टैक्स छूट का महंगाई के आधार पर पूरा फायदा नहीं हासिल कर पा रहे हैं. ऐसा इसलिए हैं क्योंकि अभी 7 लाख रुपये तक की इनकम पर 3 लाख रुपये की शुरूआती छूट मिल जाती है. लेकिन यह छूट महंगाई दर को पूरी तरह से एडजस्ट नहीं कर पाती है और प्रभावी रूप से टैक्स का बोझ बढ़ाती है.

हालांकि पिछले 5 साल में 7 लाख से 15 लाख रुपये बीच कमाने वाले व्यक्तियों के लिए, महंगाई दर एडजस्टमेंट करने पर स्थिति में थोड़ा सुधार दिखता है. पर फिर उससे ज्यादा कमाने वालों की स्थिति बुरी है. इस समय 15 लाख रुपये से अधिक कमाई करने वाले लोग 30 फीसदी का मैक्सिमम टैक्स रेट चुका रहे है. जिसमें 2020-21 से कोई बदलाव नहीं हुआ है. जबकि यहां पर अगर बढ़ती महंगाई को एडजस्ट किया जाय तो समान परचेजिंग पावर को बनाए रखने के लिए 18.6 लाख रुपये से ज्यादा की इनकम 30 फीसदी के दायरे में आनी चाहिए.

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परचेजिंग पावर कमजोर

इसके अलावा जुलाई 2024 के बजट में सीमित राहत और वेतन वृद्धि में कमी ने शहरी भारतीयों की परचेजिंग पावर की स्थिति को कमजोर कर दिया है. मिंट अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार, एमके ग्लोबल द्वारा हाल ही में किए गए लिस्टेड कंपनियों की वास्तविक वेज ग्रोथ पर एनालिसिस से पता चलता है कि हाल की तिमाहियों में इसमें गिरावट आई है. फिलहाल वेज ग्रोथ अब महामारी से पहले के स्तरों से काफी नीचे है.

GST ग्रोथ कम लेकिन इनकम टैक्स कलेक्शन ज्यादा

इकोनॉमी पर दबाव 2024 में ही साफ नजर आने लगा था, क्योंकि खपत की गति धीमी हो गई थी. वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही में स्थिर कीमतों पर प्राइवेट फाइनल कंज्यूमर एक्सपेंडिचर में 5.96 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि पिछली तिमाही में यह 7.45 फीसदी थी. यह सुस्ती सरकार के गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) कलेक्शन में भी नजर आई, जो घरेलू खपत का एक अहम संकेतक है. जीडीपी के हिस्से के रूप में 2024-25 में GST कलेक्शन, 2022-23 के 3.15 फीसदी मुकाबले मामूली बढ़त के साथ 3.28 फीसदी होने का अनुमान है. हालांकि, जीडीपी के हिस्से के रूप में इनकम टैक्स कलेक्शन दो साल पहले के 3 फीसदी से 2024-25 में 3.55 फीसदी तक होने का अनुमान है.

इनकम टैक्स सरकार की कमाई का बड़ा जरिया

हालांकि, धीमी खपत को ट्रैक पर वापस लाने के लिए इनकम टैक्स दरों में कटौती करने में एक दुविधा है. हाल के वर्षों में, इनकम टैक्स सरकारी रेवेन्यू का एक मजबूत सोर्स बन गया है. दूसरी तरफ कॉरपोरेट टैक्स और एक्साइज ड्यूटी जैसी अन्य सोर्स में सीमित बढ़ोतरी देखने को मिली. इसलिए इनकम टैक्स में कटौती सरकारी खजाने को प्रभावित कर सकती है. जबकि बढ़ी हुई खपत और मजबूत आर्थिक ग्रोथ के जरिए अधिक GST कलेक्शन को प्रोत्साहन मिल सकता है. इससे पॉलिसी बनाने वाले के बीच एक संभावित समझौते की राह बन सकती है.

तेजी से बढ़ा इनकम टैक्स कलेक्शन

इनकम टैक्स कलेक्शन हाल के वर्षों में न केवल तेजी से बढ़ा है, बल्कि लगातार केंद्र सरकार के अनुमान को भी पार कर गया है. यह ट्रेंड मौजूदा वित्त वर्ष में भी जारी रह सकती है, जिसमें जीडीपी के प्रतिशत के रूप में अनुमानित कलेक्शन संभावित रूप से अनुमानित 3.55 फीसदी से अधिक है. वास्तविक इनकम टैक्स कलेक्शन वित्त वर्ष 22, वित्त वर्ष 23 और वित्त वर्ष 24 में क्रमश बजट अनुमानों से 24 फीसदी, 19 फीसदी और 16 फीसदी अधिक रहा. अकेले वित्त वर्ष 25 के पहले सात महीनों में इनकम टैक्स कलेक्शन बजट लक्ष्य के 61 फीसदी तक पहुंच गया है. अगर यह रफ्तार बनी रहती है, तो वित्तीय वर्ष के अंत तक कुल कलेक्शन 12 ट्रिलियन को पार कर सकता है.

इनकम टैक्स विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में कुल 86 मिलियन इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल किए गए, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 11 फीसदी अधिक है. यह संख्या वित्त वर्ष 2014 के बाद से दोगुनी से भी अधिक हो गई है. तब केवल 40 मिलियन रिटर्न दाखिल किए गए थे. हालांकि, बढ़ते टैक्सपेयर्स बेस ने ‘हाई टैक्स’ के प्रति असंतोष को भी बढ़ाया है. इससे सरकार पर टैक्स राहत उपायों को पेश करने का दबाव बढ़ा दिया है.