Budget 2025: इनकम टैक्स पर एक से ज्यादा तरीकों से छूट देने पर विचार, जानें कहां-कहां मिल सकता है फायदा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट 2025 में आयकर में राहत देने की संभावना है. ये बदलाव घरेलू खर्च और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करेंगे. CII और FICCI ने भी व्यक्तिगत आयकर दरों में कटौती की मांग की है.
Personal income tax: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केंद्रीय बजट 2025 में पर्सनल इनकम टैक्स में छूट दे सकती है. सरकार का उद्देश्य आयकर में छूट देकर घरेलू खर्च को बढ़ावा देना और आर्थिक विकास को गति देना है. उसे उम्मीद है कि ये बदलाव घरेलू खर्च और उपभोग को प्रोत्साहित करेंगे, जो देश की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार हैं. वर्तमान में, आर्थिक वृद्धि दर 6.4% तक सीमित रहने की उम्मीद है. जो कोरोना महामारी के बाद के औसत से कम है. इसलिए इस बात की संभावना जताई जा रही है कि सरकार यह कदम उठा सकती है. सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय की टीम कई तरीके से छूट देने के विकल्पों पर विचार कर रही हैं.
ये बदलाव हो सकते हैं
- स्टैंडर्ड डिडक्शन में बढ़ोतरी: वर्तमान में ₹75,000 की कटौती का लाभ मिल रहा है, जिसे और बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है.
- बेसिक टैक्स छूट सीमा: वर्तमान में ₹3 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं है. इसे बढ़ाकर अधिक छूट देने पर चर्चा हो रही है ताकि लोग ज्यादा बचत कर सकें.
- टैक्स स्लैब में बदलाव: ₹12-15 लाख की आय वालों के लिए टैक्स दरों में बदलाव संभव है. वर्तमान में इस आय वर्ग पर 20% टैक्स लगता है, जिसे कम करने की योजना है. इस कैटेगरी को सबसे ज्यादा राहत देने की मांग उद्योग जगत से लेकर एक्सपर्ट कर रहे हैं.
वर्तमान आयकर स्लैब:
- ₹3-7 लाख आय पर 5% कर
- ₹7-10 लाख आय पर 10% कर
- ₹10-12 लाख आय पर 15% कर
- ₹12-15 लाख आय पर 20% कर
- ₹15 लाख से अधिक आय पर 30% कर
पर्सनल टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी
रिपोर्ट के मुताबिक, पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन तेजी से बढ़ रही है और यह कॉर्पोरेट टैक्स से प्राप्त इनकम से अधिक है. FY24 में 25% की वार्षिक वृद्धि के बाद, इस वित्तीय वर्ष में पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन ₹11.87 ट्रिलियन तक बढ़ने का अनुमान है, जो 9.7% की अनुमानित वास्तविक GDP वृद्धि दर से अधिक है.
अमीर लोग ज्यादा टैक्स दे रहें
हालांकि पिछले पांच वर्षों में, मध्यम आय वर्ग के लोगों द्वारा दिए गए कर का हिस्सा घटा है. इसका मतलब है कि इस वर्ग के लोग, जो औसत आय वाले होते हैं, पहले की तुलना में कम टैक्स दे रहे हैं. इसके विपरीत, अमीर या उच्च आय वाले लोगों का टैक्स योगदान बढ़ा है. यह वृद्धि इसलिए हो सकती है क्योंकि उन्हें अधिक आय होने के कारण अधिक टैक्स देना पड़ता है, या उनके लिए लागू टैक्स दरें बढ़ी हैं.
CII और FICCI की मांग
भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (FICCI) ने व्यक्तिगत आयकर दरों में कटौती की मांग की है ताकि व्यक्तियों की डिस्ट्रीब्यूशन योग्य आय बढ़ सके और घरेलू खर्च को प्रोत्साहन मिल सके.