मैं इनकम टैक्स हूं: 165 साल से चुका रहे हैं भारतीय, इस बार सबको चाहिए बंपर छूट

Budget 2025: भारत में इनकम टैक्स की परंपरा बहुत पुरानी है.अंग्रेज अधिकारी जेम्स विल्सन ने पहली बार इसे लागू किया. भारत में इनकम टैक्स शुरू होने के पीछे 1857 की क्रांति थी. 1947 के बाद टैक्स स्लैब में पहली बार बदलाव तत्कालीन वित्त मंत्री जॉन मथाई ने किया था. 2023-24 में ग्रॉस पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन बढ़कर 12.01 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है.

इनकम टैक्स Image Credit: money9live.com

Budget 2025: सबकी निगाहें 1 फरवरी 2025 को पेश होने वाले बजट पर हैं. मिडिल क्लास को उम्मीद है कि इनकम टैक्स में राहत मिलेगी. सिर्फ मिडिल क्लास ही नहीं, एक्सपर्ट भी इसमें कटौती की मांग कर रहे हैं. हाल ही में पीएम मोदी ने प्रमुख अर्थशास्त्रियों से मुलाकात की थी. इस मीटिंग में अर्थशास्त्रियों ने टैक्स में कटौती की मांग की थी. अब जब जीडीपी ग्रोथ रेट कम हो रहा है, तो इसकी डिमांड बढ़ गई है ताकि कंजम्प्शन को बढ़ाया जा सके.

सिर्फ आम लोग और एक्सपर्ट ही नहीं, बल्कि कई संगठन भी इसमें कटौती की मांग कर रहे हैं. निर्मला सीतारमण अभी बजट पूर्व चर्चा कर रही हैं, जिसमें आरएसएस से जुड़े संगठन भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने पवन कुमार के नेतृत्व में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की. इस संगठन ने कई प्रस्ताव दिए, जिसमें टैक्स छूट की लिमिट बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने की बात कही. बजट जब 1 फरवरी को पेश होगा, सब इनकम टैक्स छूट की घोषणा का इंतजार कर रहे होंगे.

लेकिन क्या आपको इनकम टैक्स की हिस्ट्री पता है—कैसे इसकी शुरुआत हुई और हम इसे आज जिस रूप में देखते हैं, वह कैसे बना? तो चलिए आपको बताते हैं कि इनकम टैक्स की शुरुआत कैसे हुई.

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कब हुई इनकम टैक्स की शुरुआत

भारत में इनकम टैक्स की परंपरा बहुत पुरानी है. इसकी शुरुआत 1860 में हुई थी. अंग्रेज अधिकारी जेम्स विल्सन ने बजट पेश किया और पहली बार इसे लागू किया. उस समय जिनकी इनकम सालाना 200 रुपये थी, उन्हें टैक्स भरने से छूट दी गई. वहीं जिनकी इनकम 200-500 रुपये सालाना थी, उन्हें 2 फीसदी टैक्स देना था, और जिनकी इनकम 500 रुपये से ज्यादा थी, उन्हें 4 फीसदी टैक्स देना होता था. उस दौरान इस टैक्स से कई लोगों को राहत भी दी गई थी, जिनमें सेना, नौसेना और पुलिस शामिल थे.

क्यों शुरू हुआ इनकम टैक्स

भारत में इनकम टैक्स शुरू होने के पीछे 1857 की क्रांति थी. इस लड़ाई में अंग्रेजों को भारी नुकसान उठाना पड़ा. इस लड़ाई ने अंग्रेजों का कर्ज बढ़ा दिया, जो 8 करोड़ 10 लाख पाउंड तक पहुंच गया. इसकी भरपाई करने के लिए 1859 में जेम्स विल्सन को भारत भेजा गया और उन्होंने 1860 में पहला बजट पेश किया. इसमें तीन तरह के टैक्स लगाए गए—इनकम टैक्स, लाइसेंस टैक्स और तंबाकू टैक्स.

1886 में हुआ संशोधन

1886 में नया इनकम टैक्स एक्ट लाया गया, जिसमें कई सुधार किए गए. इसे चार भागों में बांटा गया—सैलरी इनकम/पेंशन, भारत सरकार की सिक्योरिटीज से इंटरेस्ट इनकम, कंपनियों के मुनाफे से इनकम, और अन्य सोर्स से इनकम. फिर 1917 में सुपर टैक्स की शुरुआत की गई, जो ज्यादा इनकम वाले व्यक्तियों या अलग-अलग सोर्स से कमाने वाले लोगों पर लगाया गया. 1918 में बड़ा बदलाव हुआ और नया इनकम टैक्स एक्ट लाया गया, जिसने 1886 के एक्ट का स्थान लिया.

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की शुरुआत

1922 में नया इनकम टैक्स एक्ट पेश किया गया, जिसने 1918 के एक्ट का स्थान लिया. यह वह समय था जब भारत में असहयोग आंदोलन जोर पर था. इसी दौरान इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की विकास यात्रा शुरू हुई. 1946 में पहली बार परीक्षा के जरिए इनकम टैक्स ऑफिसर की भर्ती हुई. इसी परीक्षा को 1953 में इंडियन रेवेन्यू सर्विस (IRS) का नाम दिया गया.

आजादी के समय टैक्स स्लैब

1947 के बाद टैक्स स्लैब में पहली बार बदलाव तत्कालीन वित्त मंत्री जॉन मथाई ने किया था. उस समय 1,500 रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता था. 1,501 से 5,000 रुपये तक की आय पर 1 आना, 5,001 से 10,000 रुपये तक 2 आना, 10,001 से 15,000 रुपये तक 3 आना, और 15,000 रुपये से अधिक की आय पर 5 आना टैक्स देना होता था. पिछले कुछ सालों में टैक्स स्लैब में लगातार बदलाव हुआ है. 1974, 1985 और 1997 में बड़े सुधार किए गए, जिनमें टैक्स रेट को सरल बनाया गया और स्लैब को अधिक सुलभ किया गया. 2010 में 1.6 लाख रुपये तक की इनकम पर छूट दी गई, जिसे 2017 तक बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये कर दिया गया.

वर्तमान टैक्स स्लैब

  • 3 लाख रुपये तक की आय पर शून्य टैक्स.
  • 3-7 लाख रुपये तक की आय पर 5%.
  • 7-10 लाख रुपये तक की आय पर 10%.
  • 10-12 लाख रुपये तक की आय पर 15%.
  • 12-15 लाख रुपये तक की आय पर 20%.
  • 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30%.

अभी कितना है इनकम टैक्स कलेक्शन

कोविड-19 के बाद की चुनौतियों के बावजूद इनकम टैक्स कलेक्शन में लगातार बढ़ोतरी हुई है.

  • 2021-22 में ग्रॉस पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन 7.10 लाख करोड़ रुपये था.
  • 2022-23 में यह बढ़कर 9.67 लाख करोड़ रुपये हो गया.
  • 2023-24 में यह बढ़कर 12.01 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है