Budget 2025: Income Tax में मिलेगी टैक्‍सपेयर्स को राहत? जानें एक्‍सपर्ट्स की क्‍या है राय

मिडिल क्‍लास को आगामी बजट से काफी उम्‍मीदें हैं. वित्‍त मंत्री से वे उम्‍मीद लगाए बैठे हैं कि उनकी टैक्‍स देनदारी कम हो. PHDCCI और CII जैसे उद्योग संगठनों ने भी ऐसा ही कुछ सुझाव दिया है. आइए, एक्‍सपर्ट्स से जानते हैं कि इनकम टैक्‍स को लेकर बजट से उनकी क्‍या आस है.

Income Tax में मिलेगी टैक्‍सपेयर्स को राहत Image Credit:

Budget 2025 Income Tax: आगामी बजट को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं. देश के अर्थशास्त्री और उद्योग जगत सरकार से मांग कर रहे हैं कि मिडिल क्लास को इनकम टैक्स में राहत दी जाए. PHDCCI और CII जैसे उद्योग संगठनों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात में सुझाव दिया है कि 15 लाख से 20 लाख तक की सालाना आय वालों को टैक्स के दायरे से बाहर रखा जाए. इसके साथ ही 30 फीसदी की अधिकतम टैक्स रेट को घटाकर 25 फीसदी तक करने की मांग भी जोर पकड़ रही है.

मिडिल क्लास के लिए राहत की मांग

PHDCCI के चेयरमैन मुकुल बागला ने मनी 9 को बताया कि 50 लाख के सालाना इनकम वाले लोगों के लिए अधिकतम टैक्स रेट 25% तय होनी चाहिए. उनका कहना है कि वर्तमान में मिडिल क्लास को अपनी पूरी इनकम पर टैक्स देना पड़ता है, जबकि कॉरपोरेट टैक्स को 2018 में 35% से घटाकर 25% कर दिया गया था. उन्होंने सरकार से अपील की कि मिडिल क्लास को भी समान राहत दी जानी चाहिए.

टैक्स छूट बनाम टैक्स दर

नई टैक्स व्यवस्था को लेकर भी चर्चा हो रही है. इस व्यवस्था में छूट नहीं दी जाती, लेकिन टैक्स दरें कम हैं. दूसरी ओर, पुरानी व्यवस्था में छूट तो है, पर टैक्स दरें ज्यादा हैं. मुकुल बागला ने कहा कि नई टैक्स व्यवस्था को और आकर्षक बनाने के लिए होम लोन और बीमा पर छूट दी जानी चाहिए. हालांकि, सरकार का मानना है कि ऐसा करने से पुरानी व्यवस्था का महत्व समाप्त हो जाएगा.

15 लाख तक की आय पर टैक्स छूट संभव नहीं

हाल ही में एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि सरकार 15 लाख तक की आय पर टैक्स छूट देने पर विचार कर रही है. हालांकि, मुकुल बागला ने इसे असंभव बताया. उन्होंने कहा कि ऐसा करने से टैक्स भरने वाले लोगों की संख्या में भारी कमी आ जाएगी, जिससे सरकार का टैक्स बेस प्रभावित होगा.

टैक्स दरों में कटौती की संभावना

मुकुल बागला ने बताया कि सरकार धीरे-धीरे टैक्स दरों में बदलाव कर सकती है. 50 लाख तक की आय वाले लोगों के लिए टैक्स दर को 25 फीसदी तक सीमित करना और निचले स्लैब की दरों को और कम करना, संभावित कदम हो सकते हैं. उन्होंने कहा सरकार के कुल टैक्स कलेक्शन का बड़ा हिस्सा जीएसटी और इनकम टैक्स से आता है. साथ ही मौजूदा महंगाई के दौर में मिडिल क्लास को राहत देना आवश्यक है ताकि उनकी क्रय शक्ति बढ़ सके और अर्थव्यवस्था को गति मिल सके. टैक्स दरों में कटौती से न केवल लोगों को राहत मिलेगी, बल्कि टैक्स कलेक्शन पर भी इसका नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा अब देखना यह होगा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी बजट में इन सुझावों पर कितना ध्यान देती हैं और मिडिल क्लास को राहत देने के लिए क्या कदम उठाती हैं.