Credit स्‍कोर के बदले नियम, लोन लेना आसान, ये भी हैं फायदे

क्रेडिट स्‍कोर की हिस्‍ट्री के हिसाब से रिपोर्ट तैयार होती है, इसी के आधार पर बैंक तय करते हैं कि लोन देना है या नहीं. आम तौर पर ये रिपोर्ट 30 से 40 दिनों में जारी होता है, लेकिन अब इसके नियम बदल गए हैं. आरबीआई की नई गाइडलाइन से जानें लोगों को क्‍या फायदा होगा.

cibil score को लेकर बदल गए नियम Image Credit: gettyimages

Credit Score new rules: लोन लेने के लिए व्‍यक्ति का क्रेडिट स्‍कोर अच्‍छा होना जरूरी है. आपकी क्रेडिट हिस्‍ट्री के आधार पर ये स्‍कोर तय होता है. इसी से बैंक या वित्‍तीय संस्‍थान फैसला लेते हैं कि आपको कितना लोन मिल सकता है. हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI ने क्रेडिट स्‍कोर के नियम में बदलाव किया है, इसके तहत अब लोगों को लोन लेना और आसान हो जाएगा. इतना ही नहीं इससे फ्रॉड और डिफॉल्ट पर भी लगाम लग सकेगी. तो क्‍या आरबीआई का ये नया नियम और कैसे आपको होगा फायदा जानें पूरी डिटेल.

स्‍कोर जल्‍दी होगा अपडेट

आरबीआई के नए नियम के तहत अब क्रेडिट स्कोर का हिसाब-किताब तेज और सटीक हो जाएगा. पहले अगर लोन की EMI या क्रेडिट कार्ड का बिल टाइम पर चुकाया जाता था तब भी सिबिल स्कोर को अपडेट होने में टाइम लगता था. इससे नया लोन लेने में लोगों को दिक्कत आती थी, लेकिन नए नियम से ये परेशानी दूर हो जाएगी. नई गाइडलाइन के तहब अब बैंकों और फाइनेंशियल संस्थानों को हर 15 दिन में क्रेडिट ब्यूरो को डेटा अपडेट करना पड़ेगा. ये नियम 1 जनवरी 2025 से लागू किया गया है.

क्रेडिट स्‍कोर दिखेगा बेहतर

अगर आपने ईएमआई के लिए आपने टाइम पर पेमेंट किया, तो अब 15 दिन में ही क्रेडिट स्कोर बेहतर दिखने लगेगा. बैंक वाले अब पुराना डेटा नहीं, बल्कि ताजा-ताजा क्रेडिट जानकारी देखकर लोन दे सकेंगे. अगर किसी का क्रेडिट स्‍कोर ज्‍यादा अच्‍छा होगा तो उसे कम इंटरेस्‍ट पर लोन मिलने की संभावना होगी.

एवरग्रीनिंग होगी खत्‍म

जब बैंक पुराने कर्जों का भुगतान करने के लिए उधारकर्ता को नए लोन देती है, जिससे जिससे उधारकर्ता की वास्तविक वित्तीय स्थिति सही से पता नहीं चल पाती है, लेकिन सिबिल स्‍कोर के नए नियम के लागू होने से सही वैल्यूएशन होगा और सबकुछ साफ रहेगा.

फ्रॉड और डिफॉल्ट पर लगेगी लगाम

पहले रिपोर्ट जारी होने में 30 से 40 दिन लग जाते थे, जिसकी वजह से व्‍यक्ति का सही क्रेडिट स्‍कोर पता नहीं चल पाता था, इससे बैंक कई बार गलत फैसले ले लेते थे, लेकिन नई गाइडलाइन से अब ऐसा नहीं होगा. अब बैंकों को ताजा रिपोर्ट से उनके फाइनेंशियल बर्ताव को समझने का मौका मिलेगा.

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कौन जारी करता है क्रेडिट स्‍कोर

क्रेडिट ब्यूरो, जिन्हें क्रेडिट सूचना कंपनियां यानी CIC भी कहा जाता है, ये मध्यस्थ के रूप में कार्य करते हैं. उनका मुख्‍य काम बैंकों, ऋणदाताओं और क्रेडिट कार्ड जारीकर्ताओं जैसे विभिन्न वित्तीय संस्थानों की ओर से लिए गए कर्ज संबंधी फैसलों के लिए जरूरी डेटा मुहैया करना है. क्रेडिट ब्यूरो की देखरेख अक्सर वित्तीय नियामक निकायों की ओर से किया जाता है.

कितना होना चाहिए क्रेडिट स्‍कोर?

क्रेडिट स्कोर 300 से 900 अंकों तक होता है. 700 से ऊपर का स्कोर मतलब बहुत अच्‍छा माना जाता है, इसी तरह दूसरे अंकों का अलग-अलग मतलब होता है, जो इस प्रकार है.

  • 300–579: ये स्‍कोर बहुत खराब माना जाता है, इसमें लोन लेने में बहुत दिक्‍कत आती है.
  • 580–669: ये क्रेडिट स्‍कोर औसत माना जाता है, इसमें व्‍यक्ति को लोन वित्‍तीय संस्‍थानों की शर्तों के आधार पर मिल सकता है.
  • 670–739: ये स्‍कोर अच्‍छा माना जाता है. इसमें लोन मिल जाता है.
  • 740–799: ये क्रेडिट स्‍कोर सामान्‍य से थोड़ा ज्‍यादा अच्‍छा होता है, इसमें आसानी से लोन मिल जाता है.
  • 800+: ये क्रेडिट स्‍कोर सबसे बेहतर होता है. इसमें बैंक आपको हाथों-हाथ लोन देगा और इसमें आपको कुछ छूट भी मिल सकती है.