आधार कार्ड नहीं दिया तो होगी वोटर की पेशी, यहां जानें क्या है चुनाव आयोग का नया प्रस्ताव
Election Commission ने एक प्रस्ताव तैयार किया है जिसमें कहा गया है कि अगर कोई वोटर अपना आधार नंबर नहीं देना चाहता है, तो उसे चुनाव पंजीकरण अधिकारी यानी ERO के सामने पेश होकर इसका कारण बताना होगा. चलिए जानते हैं ऐसा क्यों?
Aadhar Card Election Commission: आधार कार्ड फिलहाल सरकारी सेवाओं और कोई फाइनेंशियल लेन-देन में काम आता है, इसके अलावा आधार दिखाना या देना अनिवार्य नहीं है. यही नियम वोट देते वक्त भी लागू होता है. वोट देने के लिए आधार होना अनिवार्य नहीं है. लेकिन अब आगे से, अगर कोई वोटर अपना आधार नंबर चुनाव आयोग (EC) को नहीं देना चाहेगा या नहीं देता है तो उसे खुद जाकर चुनाव पंजीकरण अधिकारी यानी ERO के सामने पेश होना पड़ेगा और आधार न देने का कारण भी बताना होगा.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में ये सामने आया है. हालांकि फिलहाल ये चुनाव आयोग का प्रस्ताव है. रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव आयोग कारण इसलिए जानना चाहता है ताकि वह कोर्ट में यह साबित कर सके कि आधार नंबर देना पूरी तरह स्वैच्छिक है.
कौन होता है ERO?
ERO आमतौर पर एक सिविल सर्विस या रेवेन्यू अधिकारी होता है, जिसे चुनाव आयोग राज्य सरकारों की सलाह से नियुक्त करता है. इसका काम विधानसभा क्षेत्रों की वोटर लिस्ट तैयार करना है, अपडेट करना और उसमें सुधार करना होता है.
फिलहाल आधार अनिवार्य नहीं
2023 तक, चुनाव आयोग ने 66 करोड़ से ज्यादा वोटरों के आधार नंबर इकट्ठा किए हैं. लेकिन इन वोटरों के आधार नंबर और वोटर डेटा को लिंक नहीं किया गया है. इसका मतलब यह है कि अभी तक आधार का इस्तेमाल डुप्लीकेट वोटर्स हटाने या वोटर लिस्ट को साफ करने के लिए नहीं किया गया है. फिलहाल देश में कुल अनुमानित 98 करोड़ रजिस्टर्ड वोटर्स हैं.
अब क्या बदल सकता है?
अगर कोई वोटर अपना 12-अंकों का आधार नंबर नहीं देना चाहता, तो उसे खुद जाकर ERO के सामने इसकी वजह बतानी होगी. रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रस्ताव पर 18 मार्च को एक उच्च-स्तरीय बैठक में चर्चा हुई, जिसमें गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय, आईटी मंत्रालय और UIDAI के अधिकारी शामिल थे. इस बदलाव को फॉर्म 6B में जोड़ा जाएगा, जो आधार नंबर इकट्ठा करने के लिए बनाया गया था.
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क्या है फॉर्म 6B?
वोटर लिस्ट ऑथेंटिक हो सके इसके लिए ये फॉर्म आधार संख्या के लिए लेटर ऑफ इंफॉर्मेशन है. इसका इस्तेमाल वोटर लिस्ट में आधार संख्या की जानकारी देने के लिए किया जाता है.
पहले इस फॉर्म में वोटर के पास सिर्फ दो ऑप्शन होते थे: आधार नंबर देना या यह घोषित करना कि “मेरे पास आधार नंबर नहीं है”.
इसका मतलब यह था कि अगर कोई वोटर आधार नहीं देना चाहता था, तो उसे झूठी घोषणा करनी पड़ती थी कि उसके पास आधार नंबर नहीं है. अब अगर नियम बदलता है तो इस फॉर्म को हटा दिया जाएगा.