अब फ्री नहीं रहा Google Pay, इन पेमेंट पर देनी पड़ेगी फीस: रिपोर्ट में दावा

Google Pay ने अब बिजली, एलपीजी सिलेंडर जैसे बिल के पेमेंट पर कनविनियंस फीस लगाना शुरू कर दिया है. यह फीस क्रेडिट और डेबिट कार्ड के जरिए पेमेंट करने पर लगाई जा रही है, और इसमें GST भी शामिल है. तो क्या UPI ट्रांजेक्शन अब फ्री नहीं रहा? कितना वसूल रहा है गूगल पे?

UPI पर Google pay वसूल रहा कनविनियंस चार्ज! Image Credit: Tv9 Gujarati

Google Pay Charging Convenience Fee: क्या UPI पेमेंट प्लेटफॉर्म गूगल पे ने अब कनविनियंस फीस (सुविधा चार्ज) लगाना शुरू कर दिया है? मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दिग्गज यूपीआई प्लेटफॉर्म Google Pay ने बिजली, एलपीजी सिलेंडर जैसे बिल के पेमेंट पर कनविनियंस फीस लगाना शुरू कर दिया है. जैसे जोमैटो और अन्य ऐप अपने प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल के लिए कनविनियंस चार्ज वसूलते हैं वैसे ही गूगल पे ने भी इस चार्ज को अपने ग्राहकों से वसूलना शुरू कर दिया है.

कितना चार्ज ले रहा Google Pay

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, गूगल पे पर पहले छोटे ट्रांजेक्शन पर कोई अतिरिक्त फीस या चार्ज नहीं वसूला जाता था, लेकिन अब क्रेडिट और डेबिट कार्ड के जरिए पेमेंट करने पर 0.5% से 1% तक की फीस लगाई जा रही है. इस चार्ज पर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी GST भी शामिल होगा.

हालांकि ये इस खबर की मनी9लाइव ने स्वतंत्र रूप से पुष्टी नहीं की है. इसके साथ ही गूगल पे ने अभी तक आधिकारिक रूप से इस पर कोई घोषणा नहीं की है.

डेबिट-क्रेडिट कार्ड पर प्रोसेसिंग फीस?

इकोनॉमिक टाइम्स (ET) की रिपोर्ट के अनुसार, गूगल पे ने इससे पहले मोबाइल रिचार्ज पर 3 रुपये की कनविनियंस फीस लगाना भी शुरू किया था, जो एक साल पहले शुरू हुआ था. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, एक ग्राहक ने जब क्रेडिट कार्ड से बिजली का बिल भरा, तो उसे लगभग 15 रुपये की “कनविनियंस फीस” देनी पड़ी है. यह फीस “डेबिट और क्रेडिट कार्ड के ट्रांजेक्शन के लिए प्रोसेसिंग फीस” के रूप में दिखाई गई है और इसमें GST भी जोड़ा गया है.

UPI ट्रांजेक्शन पर लगेगा चार्ज?

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में एक जानकार के हवाले से बताया गया है कि “गूगल पे का बिल पेमेंट पर प्लेटफॉर्म फीस लगाना यह बताता है कि अब UPI ट्रांजेक्शन को मॉनेटाइज किया जा रहा है ताकि पेमेंट को प्रोसेस करने की लागत का पैसा यहां से निकाला जा सके.”

ग्लोबल सर्विस फर्म PwC के एक विश्लेषण के अनुसार, स्टेकहोल्डर्स को UPI के जरिए ट्रांजेक्शन की प्रक्रिया में लगभग 0.25% खर्च करना पड़ता है, जिसे कवर करने के लिए फिनटेक कंपनियां अब नए रेवेन्यू मॉडल अपना रही हैं.

हालांकि अभी तक UPI ट्रांजेक्शन पूरी तरह से फ्री है, सरकार इस पर कोई चार्ज नहीं वसूलती जबकि बैंकों को इस ट्रांजेक्शन पर खर्च करना पड़ता है. समय-समय पर स्टेकहोल्डर्स की ओर से ये मांग उठाई गई है कि UPI ट्रांजेक्शन पर चार्ज लगाया जाना चाहिए लेकिन सरकार ने इसे अब तक फ्री रखा है.