UPS चुनने वाले सरकारी कर्मचारियों की कितनी मिलेगी ग्रेच्युटी, जानें- एक अप्रैल से क्या-क्या बदल जाएगा
UPS vs NPS: UPS नई और पुरानी पेंशन योजना दोनों के एलिमेंट्स को जोड़ती है. इसे वित्तीय वर्ष 2026 यानी 1 अप्रैल से लागू किया जाना है. सरकारी कर्मचारियों को दोनों स्कीम्स में से किसी एक को चुनने का ऑप्शन मिलेगा. दोनों के अपने-अपने रिस्क और रिटर्न फैक्टर हैं.

UPS vs NPS: इस साल के पहले महीने यानी जनवरी में मोदी सरकार ने नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के तहत इंट्रीग्रेटेड पेंशन स्कीम (UPS) को नोटिफाई किया था. इस पेंशन स्कीम के ऐलान के छह महीने से भी कम समय बाद इसे लागू करने के लिए सरकार ने कदम उठाया. अब इसे वित्तीय वर्ष 2026 यानी 1 अप्रैल से लागू किया जाना है.
UPS नई और पुरानी पेंशन योजना दोनों के एलिमेंट्स को जोड़ती है और इस स्कीम का उद्देश्य रिटायर्ड लोगों को गारंटीड पेंशन प्रदान करना है. यह योजना एक सुनिश्चित पेंशन. सुनिश्चित पारिवारिक पेंशन, सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन, मुद्रास्फीति इंडेक्स के साथ ग्रेच्युटी और इसके अलावा सुपरएनुएशन पर एकमुश्त भुगतान प्रदान करती है.
किसे मिलेगा लाभ?
यह पेंशन स्कीम उन केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों पर लागू होगी, जो एक जनवरी 2004 से पहले सर्विस में शामिल हुए हैं. मोदी सरकार ने सोमवार को कहा कि UPS मौजूदा पेंशन योजनाओं से अलग है, क्योंकि इसमें सुनिश्चित भुगतान के रूप में परिभाषित बेनिफिट्स के साथ कंट्रीब्यूशन का एलिमेंट शामिल है. यह कर्मचारियों को बाजार से जुड़े रिटर्न की अनिश्चितता से बचाता है और फिस्कल प्रूडेंस का मेंटेनेंस सुनिश्चित करता है.
ग्रेच्युटी का फॉर्मूला
कुछ मामलों में गारंटीड भुगतान के साथ, यूनिफाइड पेंशन स्कीम हर छह महीने की सर्विस के लिए रिटायरमेंट की तारीख पर मंथली इमोल्यूमेंट्स (वेतन+डीए) के 1/10वें हिस्से की दर से ग्रेच्युटी के अलावा रिटायरमेंट पर एकमुश्त भुगतान प्रदान करती है. इससे सुनश्चित भुगतान की लिमिट कम नहीं होगी.
रिटर्न फैक्टर
एक अप्रैल 2025 से केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों को (सशस्त्र बलों को छोड़कर) अपनी रिटायरमेंट के बाद की वित्तीय सुरक्षा के लिए NPS और UPS के बीच चयन करना होगा. हर योजना के अलग-अलग फायदे और नुकसान हैं. इसके लिए आपको पर्सनल फाइनेंशियल टार्गेट पर विचार करना आवश्यक है. UPS के तहत, कर्मचारी सरकार द्वारा समर्थित गारंटीड पेंशन की उम्मीद कर सकते हैं, जबकि NPS बाजार से जुड़े रिटर्न प्रदान करता है.
UPS की खासियत
यूपीएस को चुनने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर गारंटीड पेंशन के रूप में पिछले 12 महीनों के औसत मूल वेतन का 50 फीसदी प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है. NPS के विपरीत, UPS एक गारंटीड पेंशन राशि प्रदान करती है. इसके अतिरिक्त, NPS से रिटर्न लंबी अवधि में अधिक होने की उम्मीद है, क्योंकि योजना में निवेश के एक हिस्से का उपयोग इक्विटी बाजारों से वेल्थ जेनरेट करने के लिए किया जा सकता है.
यूपीएस उन लोगों के लिए डिजाइन की गई है, जो वित्तीय स्थिरता और कम जोखिम की तलाश में हैं. इस योजना में सरकार कर्मचारी के मूल वेतन और महंगाई भत्ते (डीए) का 18.5 फीसदी योगदान देती है, जिसमें कर्मचारी 10 फीसदी कंट्रीब्यूट करता है. पेंशन का कैलकुलेशन जॉब के अंतिम 12 महीनों में औसत मूल वेतन के 50 फीसदी के रूप में की जाती है.
मिनिमम रिस्क पर फोकस
उदाहरण के लिए, 25 वर्ष की आयु में नौकरी शुरू करने वाला और 60 वर्ष की आयु में रिटायर होने वाला कर्मचारी, जिसकी अनुमानित औसत बेसिक सैलरी 1.8 लाख रुपये प्रति माह है. वह 90,000 रुपये मंथली की गारंटीड पेंशन की उम्मीद कर सकता है. अगर सालाना 4.5 फीसदी की महंगाई दर को एडजस्ट किया जाता है, तो पेंशन राशि 61 वर्ष की आयु तक थोड़ी बढ़कर 94,050 रुपये हो जाएगी. UPS मुख्य रूप से सरकारी बॉन्ड में निवेश करके मिनिमम रिस्क पर फोकस करती है.
NPS की खासियत और रिटर्न
दूसरी ओर NPS में रिस्क अधिक है, लेकिन संभावित रूप से रिटर्न भी अधिक है. इसमें रिटर्न मार्केट के प्रदर्शन पर निर्भर है. कर्मचारी अपने वेतन का 10 फीसदी कंट्रीब्यूट करता है.इस 14 फीसदी सरकारी योगदान से पूरा किया जाता है.
1.8 लाख रुपये की मंथली की अनुमानित औसत बेसिक आय के साथ, कर्मचारी और सरकार दोनों का योगदान कुल 16,800 रुपये मंथली है. 9 फीसदी की वार्षिक रिटर्न दर मानते हुए, 35 वर्षों में कुल निवेश 70.6 लाख रुपये होगा, जिससे 3.79 करोड़ रुपये का रिटर्न मिलेगा। रिटायरमेंट पर, यह राशि 4.5 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है. एन्युटी में 40 फीसदी आवंटन, 6 फीसदी रिटर्न पर 90,000 रुपये मंथली प्राप्त करने पर 2.7 करोड़ रुपये की एकमुश्त निकासी का विकल्प उपलब्ध होता है.
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