EPF, ESIC और EPS में बड़े बदलाव की तैयारी में सरकार, बढ़ा सकती है बेसिक सैलरी लिमिट
सूत्रों के मुताबिक सरकार जल्द ही कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) योजनाओं के तहत श्रमिकों की न्यूनतम बेसिक सैलरी लिमिट को बढ़ा सकती है. सरकार के इस फैसले से लोग भविष्य के लिए ज्यादा बचत कर सकेंगे.
केंद्र सरकार कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) की वेतन सीमा को बढ़ाने पर विचार कर रही है. इसे मौजूदा 15,000 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 21,000 रुपये प्रति माह किया जा सकता है. इस सिलसिले में साल की शुरुआत में केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा था, जो अब अंतिम चरण में है. सूत्रों के मुताबिक सरकार जल्द ही कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) योजनाओं के तहत श्रमिकों की न्यूनतम बेसिक सैलरी लिमिट को बढ़ा सकती है.
सरकार के इस फैसले से लोग भविष्य के लिए ज्यादा बचत कर सकेंगे. 15000 रुपये से अधिक वेतन वाले कर्मचारियों के पास यह विकल्प होगा कि वे अपनी सैलरी का कितना हिस्सा पेंशन और रिटायरमेंट बेनेफिट के लिए बचाना चाहते हैं. इसके अलावा सैलरी लिमिट बढ़ाने से दूसरे लोग भी इसके दायरे में आ सकेंगे. बता दें ईपीएफओ भविष्य निधि और पेंशन योजना (EPS 95) दोनों का प्रबंधन करता है और पेंशन के लिए भुगतान 58 वर्ष की आयु से शुरू होता है. EPFO में अभी अनिवार्य अंशदान यानी कॉन्ट्रिब्यूशन के लिए 15000 रुपये महीने तक की बेसिक सैलरी सीमा है. EPFO से जुड़ी लिमिट पहले 6500 थी जिसे 2014 में बढ़ाया गया. वहीं ESIC में 21000 रुपये महीने तक की लिमिट है.
कर्मचारियों की सैलरी से कटता है अंशदान
सरकारी नियमों के तहत 20 से ज्यादा कर्मचारियों वाले फर्म के लिए पीएफ के तहत अंशदान यानी कॉन्ट्रिब्यूशन जरूरी होता है. ऐसे में कर्मचारी की सैलरी का कम से कम 12% और इतना ही हिस्सा एंप्लॉयर की ओर से अनिवार्य रूप से प्रॉविडेंट फंड में जमा किया जाता है. इससे कर्मचारी को भविष्य में पेंशन की सुविधा मिलती है. सरकार की ओर से इसी बेसिक सैलरी की लिमिट को बढ़ाए जाने से कॉन्ट्रिब्यूशन बढ़ाना पड़ेगा.
ईएलआई योजना जल्द होगी शुरू
केंद्रीय श्रम मंत्रालय रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन (ELI) योजना को बहुत जल्द शुरू करेगा, इसके लिए पूरी तैयारी की जा रही है. इस योजना की घोषणा इस साल के बजट 2024-25 में की गई थी. इसका मकसद नए रोजगार के मौके बनाना, रोजगार को बढ़ावा देना और श्रम को औपचारिक बनाना है. इसके लिए कुल बजट खर्च 1.07 लाख करोड़ रुपये तय किया गया था. योजना का भाग ए औपचारिक क्षेत्र में किसी प्रतिष्ठान के पहली बार पात्र कर्मचारियों को प्रोत्साहित करता है और तीन किस्तों में 15,000 रुपये तक का एक महीने का वेतन वापस करेगा. वहीं योजना का भाग बी रोजगार के पहले 4 वर्षों में उनके ईपीएफओ योगदान के संबंध में विनिर्माण क्षेत्र में अतिरिक्त रोजगार को प्रोत्साहित करेगा. योजना का भाग सी नियोक्ताओं को 2 वर्षों के लिए प्रत्येक अतिरिक्त कर्मचारी के लिए प्रति माह ₹3,000 तक का प्रोत्साहन देगा.