“iPhone खरीद कर बचाएं 36000 रुपये तक का GST”, क्या है इस दावे का सच, समझिए ITC के नियम
सोशल मीडिया साइट्स पर एक्टिव रहने वाले लोग अकसर तमाम ऑफर और सेविंग स्कीम के बारे में सुनते रहे होंगे. उसी तर्ज पर एक और जीएसटी सेविंग हैक सोशल मीडिया पर खूब वायरल है जिस पर लोग भरोसा भी कर रहे हैं. आइए बताते हैं हैक की बारीकी.
GST Hack on iPhone: अगर आप सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं तब आपने तरह तरह के ऑफर, सेविंग स्कीम के बारे में जरूर पढ़ा और सुना होगा. उसी तर्ज पर पिछले कुछ दिनों से टैक्स सेविंग हैक्स का नया पैंतरा खूब लाइक बटोर रहा है. हैक यह है कि पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि “2 लाख रुपये का iPhone खरीदें और 18 फीसदी GST इनपुट क्रेडिट का दावा करें. आप 36,000 बचा लेंगे.”
सुनने और पढ़ने के बाद आपको लग सकता है कि कम कीमत में iPhone का लुत्फ उठाने का यह शानदार मौका है ,असल में मामला काफी पेंचिदा है. टैक्स से जुड़ी अधिकतर चीजों की तरह यह हैक भी काफी उलझा हुआ है.आइए समझते हैं इस GST इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का असल मतलब साथ ही आंख बंद कर इनको सच मानने से आपको कितना नुकसान पहुंच सकता है.
गैजेट्स पर GST ITC के क्या हैं शर्त?
सबसे पहले यह समझने की जरूरत है कि आईटीसी कोई डिस्काउंट या छूट नहीं है. यह आपकी जीएसटी लायबिलिटी यानी देयता को कम करने वाला क्रेडिट है. इसका फायदा केवल जीएसटी रजिस्टर्ड बिजनेस ही उठा सकते हैं. अगर आपका कोई भी बिजनेस नहीं है तब यह हैक का फायदा आप नहीं उठा सकते हैं. इससे इतर, अगर आप जीएसटी रजिस्टर्ड हैं, फिर भी आईटीसी का दावा ऑटोमैटिक नहीं है. इसमें आईटीसी की गारंटी भी नहीं है.
क्या है जीएसटी रजिस्टर्ड बिजनेस की शर्त?
अगर आप जीएसटी आईटीसी का दावा कर कोई गैजेट खरीदते हैं, तब यह सुनिश्चित करना होगा कि उस गैजेट का इस्तेमाल केवल बिजनेस के लिए ही हो. फोन का इस्तेमाल काम के लिए कॉल, क्लाइंट ईमेल, मीटिंग के लिए ही किया जाना चाहिए. लेकिन जैसे ही आप इंस्टाग्राम या नेटफ्लिक्स पर चिल करने जाते हैं, यह इस्तेमाल आपके बिजनेस और व्यक्तिगत से मिक्स हो जाती है. ऐसे मामलों में आप बिजनेस के इस्तेमाल के अनुपात में क्रेडिट का दावा कर सकते हैं.
ऐसे में टैक्स ऑफिसर आपसे तमाम सबूत की भी मांग कर सकते हैं. अगर आप बिजनेस के काम के लिए कॉल या ईमेल का इस्तेमाल अपने गैजेट से नहीं कर रहे हैं तब आपका आईटीसी दावा अस्वीकार किया जा सकता है. ऐसी स्थिति में आपको ब्याज और पेनल्टी के साथ क्रेडिट के रकम को वापस करना पड़ सकता है.
क्या है जीएसटी आईटीसी के नियम?
आईटीसी को लेकर जीएसटी का नियम थोड़ा पेचीदा है लेकिन हम उसे आसान किए देते हैं. जीएसटी कानून के अन्तर्गत, जब भी कोई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट जैसे फोन या लैपटॉप की खरीदारी की जाती है आमतौर पर उसे लॉन्ग टर्म एसेट्स के तौर पर देखा जाता है. लेकिन अगर आप 5 साल से पहले उन गैजेट्स की बिक्री कर देते हैं, तब आपको जीएसटी आईटीसी का कुछ हिस्सा वापस करना पड़ेगा.
iPhone वाले उदाहरण से समझते हैं
इस कानून को 2 लाख रुपये वाले iPhone के उदाहरण से समझते हैं. आपने 2 लाख रुपये का iPhone खरीदा और उसपर 36,000 रुपये के आईटीसी दावा किया. लेकिन तीन साल के बाद आपको मन हुआ कि उसे अपग्रेड कर दें. ऐसी स्थिति में नियम के हिसाब से आपको बचे हुए समय तक (इस स्थिति में 2 साल के लिए) आपको हर तिमाही में 5 फीसदी (क्लेम किए गए राशि- 36,000) के आधार पर वापस करना होगा. यानी 8 तिमाही में 36,000 रुपये का 40 फीसदी हिस्सा जो 14,400 रुपये बनता है, उसे वापस करना होगा.
कहानी अभी खत्म नहीं हुई!
इसमें एक और पेंच है. अगर आपने 2 लाख रुपये के आईफोन को 1 लाख रुपये में 18 फीसदी जीएसटी ऑन सेल के आधार पर बेच दिया और आपको 18,000 रुपये मिले हैं. तब आपको आईटीसी भुगतान करने की जो भी राशि बड़ी है (इस मामले में 18,000>14,400) उसे लौटाना होगा.