इन 9 बड़े ट्रांजेक्शन के बाद अगर नहीं भरा ITR, तो इनकम टैक्स की जांच के लिए हो जाएं तैयार

सरकार कर चोरी रोकने के लिए डेटा एनालिटिक्स और विभिन्न एजेंसियों की मदद से हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शन पर पैनी नजर रख रही है. अगर कोई व्यक्ति अपने बैंक खातों, निवेश या संपत्ति की खरीद-फरोख्त में बड़ी रकम का लेन-देन कर रहा है लेकिन अपनी आयकर देयता को सही तरीके से पूरा नहीं कर रहा है, तो उसे विभाग से नोटिस मिलने की संभावना बढ़ जाती है.

क्या आप भी करते हैं 20 हजार से ज्यादा का लेन-देन? Image Credit: Bloomberg Creative Photos/Getty Images

High-Value Transactions Income Tax Rule: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट टैक्स चोरी रोकने और टैक्स नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अब पहले से ज्यादा सतर्क हो गया है. ऐसे लोग जो या तो आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल नहीं कर रहे हैं या अपनी वास्तविक आय से कम दिखा रहे हैं, वे विभाग की निगरानी में आ सकते हैं. इसके लिए विभाग ने डेटा एनालिटिक्स और विभिन्न सरकारी एजेंसियों से मिली जानकारी का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.

डिपार्टमेंट कि नजर खासतौर पर उन व्यक्तियों पर है जिनके बैंक खाते में भारी लेन-देन हो रहा है लेकिन वे टैक्स नहीं चुका रहे हैं, हाल ही में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने बैंकों, डाकघरों, सहकारी समितियों, फिनटेक कंपनियों और म्यूचुअल फंड हाउसों जैसी स्वयं-रिपोर्टिंग संस्थाओं (SROs) को निर्देश दिया है कि वे प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किए गए हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शन की विस्तृत जानकारी अगली 31 मई तक आयकर विभाग को उपलब्ध कराएं.

हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शन क्या होते हैं?

बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान कुछ निश्चित सीमा से ज्यादा के बड़े वित्तीय लेन-देन की जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को देते हैं. विभाग ऐसे लेन-देन पर नजर रखता है और अगर कोई व्यक्ति अपनी आय के मुकाबले अत्यधिक खर्च कर रहा है लेकिन ITR दाखिल नहीं कर रहा तो उसे नोटिस भेजा जा सकता है.

कौन-कौन से ट्रांजेक्शन आयकर विभाग की निगरानी में आते हैं?

विभाग स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन (SFT) के तहत फॉर्म 61A या रिपोर्टेबल अकाउंट के रूप में फॉर्म 61B के माध्यम से हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शन का रिकॉर्ड रखता है. ये रिपोर्टिंग संस्थाओं द्वारा दिए गए आंकड़ों पर आधारित होते हैं. नीचे उन लेन-देन की सूची दी गई है जिन पर विभाग विशेष ध्यान देता है:

  1. बैंक ड्राफ्ट, पे ऑर्डर, बैंकर्स चेक या प्रीपेड आरबीआई इंस्ट्रूमेंट की खरीद

अगर कोई व्यक्ति नकद में 10 लाख रुपये या उससे अधिक की राशि का भुगतान करके बैंक ड्राफ्ट, पे ऑर्डर या अन्य प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट खरीदता है तो बैंक या सहकारी समिति को इसकी सूचना फॉर्म 61A के माध्यम से आयकर विभाग को देनी होगी.

  1. बचत खाते में नकद जमा

यदि किसी व्यक्ति के बचत खाते में 10 लाख रुपये या उससे अधिक की नकद जमा होती है तो बैंक, सहकारी बैंक या डाक विभाग इसे रिपोर्ट करेगा.

  1. चालू खाते से नकद जमा या निकासी

अगर किसी व्यक्ति के चालू खाते (करंट अकाउंट) से 50 लाख रुपये या उससे अधिक की राशि जमा या निकाली जाती है तो बैंक या सहकारी बैंक को इसकी रिपोर्ट देनी होगी.

  1. संपत्ति की खरीद या बिक्री

अगर किसी व्यक्ति द्वारा 30 लाख रुपये या उससे अधिक मूल्य की संपत्ति खरीदी या बेची जाती है तो संपत्ति रजिस्ट्रार या उप-पंजीयक (सब-रजिस्ट्रार) को इस ट्रांजेक्शन की जानकारी देनी होगी.

  1. शेयर, म्यूचुअल फंड, बॉन्ड और डिबेंचर में निवेश

अगर कोई व्यक्ति 10 लाख रुपये या उससे अधिक की राशि का निवेश शेयर, म्यूचुअल फंड, डिबेंचर या बॉन्ड में नकद रूप से करता है तो संबंधित कंपनी या म्यूचुअल फंड ट्रस्टी को इसकी सूचना आयकर विभाग को देनी होती है.

  1. क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान नकद में

अगर कोई व्यक्ति 1 लाख रुपये या उससे अधिक का क्रेडिट कार्ड बिल नकद में चुकाता है तो बैंक या सहकारी समिति को इसकी जानकारी देनी होगी.

  1. क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान अन्य माध्यमों से

अगर कोई व्यक्ति 10 लाख रुपये या उससे अधिक का क्रेडिट कार्ड बिल नकद के अलावा किसी अन्य माध्यम से चुकाता है तो भी बैंक या सहकारी समिति को इसकी रिपोर्ट देनी होगी.

  1. विदेशी मुद्रा से जुड़े लेन-देन

यदि कोई व्यक्ति 10 लाख रुपये या उससे अधिक की राशि विदेशी मुद्रा की खरीद, फॉरेक्स कार्ड में क्रेडिट, डेबिट/क्रेडिट कार्ड के माध्यम से विदेशी खर्च या ट्रैवलर्स चेक आदि के जरिए खर्च करता है, तो विदेशी मुद्रा अधिनियम (FEMA) के तहत अधिकृत व्यक्ति को इसकी सूचना देनी होती है.

  1. फिक्स्ड डिपॉजिट या रिकरिंग डिपॉजिट में नकद जमा

यदि कोई व्यक्ति 10 लाख रुपये या उससे अधिक की नकद जमा फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) या रिकरिंग डिपॉजिट (RD) खाते में करता है, तो बैंक, सहकारी बैंक, निधि कंपनी (Nidhi Company) या गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान (NBFC) को इसकी सूचना आयकर विभाग को देनी होती है.