Home Loan Approval: जल्दी मिलेगा होम लोन अगर अपना लेंगे ये स्मार्ट ट्रिक्स

होम लोन के लिए आवेदन करते समय आपको अपने क्रेडिट स्कोर, इनकम की स्थिरता, और खर्चों का हिसाब-किताब रखना होता है. लोन देने वाले संस्थान आपके पेमेंट इतिहास, डेवलपर के प्रमाण-पत्र, और प्रोजेक्ट की विश्वसनीयता की जांच करते हैं. एक अच्छा क्रेडिट स्कोर और स्थिर आय आपको लोन के लिए योग्य बनाते हैं.

इन टिप्स से जल्दी होगा होम लोन अप्रूव Image Credit: Freepik

राहुल मेहरोत्रा: घर खरीदना हर किसी के जीवन का एक बड़ा सपना होता है, लेकिन इसे हकीकत में बदलने के लिए सही प्‍लानिंग और जानकारी की जरूरत होती है. इस सफर में सबसे बड़ी चुनौती फाइनेंसिंग यानी होम लोन को लेकर आती है. बहुत से लोग यह समझने में उलझ जाते हैं कि क्या वे लोन के लिए योग्य हैं या नहीं. इसके लिए यह जानना जरूरी है कि लोन देने वाले बैंक या वित्तीय संस्थान किस आधार पर आपकी योग्यता तय करते हैं.

होम लोन की पात्रता तय करने में आपके क्रेडिट स्कोर की अहम भूमिका होती है. क्रेडिट स्कोर यह दर्शाता है कि आप अपने लोन का पेमेंट समय पर कर पाएंगे या नहीं. साथ ही, आपकी आय की स्थिरता और खर्चों का हिसाब-किताब भी लोन अप्रूवल के लिए जरूरी होता है. यदि आपकी मौजूदा आय और कर्ज का अनुपात (डेब्‍ट-टू-इनकम रेशियो) सही नहीं है, तो लोन मिलने की संभावना कम हो सकती है.

लोन मिलने में चुनौतियां

हाल की रिपोर्ट्स के मुताबिक, न्‍यू-टू-क्रेडिट (एनटीसी) यानी पहली बार लोन के लिए आवेदन करने वाले लोगों के लिए लोन की स्वीकृति में कमी आई है. ट्रांसयूनियन सिबिल रिपोर्ट के अनुसार, जून 2023 की तुलना में जून 2024 में एनटीसी उपभोक्ताओं के लिए लोन मिलने की दर 16% से घटकर 12% रह गई है. इसका मतलब है कि पहली बार आवेदन करने वालों के लिए वित्तीय संस्थान अधिक सतर्क हो गए हैं.

किन्हें मिलती है प्राथमिकता?

लोन देने वाले संस्थान उन उपभोक्ताओं को प्राथमिकता देते हैं, जिनकी वित्तीय स्थिरता बेहतर होती है और जिनका क्रेडिट इतिहास मजबूत होता है. अगर आप पहली बार घर खरीद रहे हैं और आपका क्रेडिट स्कोर या फाइनेंशियल बैकग्राउंड उतना मजबूत नहीं है, तो आपको होम लोन के लिए थोड़ा अधिक मेहनत करनी होगी.

कर्ज, इनकम और स्थिरता का है सबसे अधिक महत्‍व

आजकल अधिकांश उपभोक्ता सिबिल स्कोर के महत्व को समझने लगे हैं. सिबिल, भारत का पहला क्रेडिट सूचना ब्यूरो, व्यक्तिगत वित्तीय विश्वसनीयता को परखने का प्रमुख पैमाना है. सिबिल स्कोर, जो आमतौर पर 300 से 900 के बीच होता है, किसी व्यक्ति की क्रेडिट हिस्ट्री और उसकी पेमेंट करने की आदतों का आकलन करता है. 750 से ऊपर का स्कोर लोन के लिए आदर्श माना जाता है और आमतौर पर बेहतर शर्तों पर लोन पाने में मदद करता है. लेकिन यह सोचना गलत होगा कि बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान सिर्फ सिबिल स्कोर पर निर्भर करते हैं. वे कर्जदार की वित्तीय स्थिति और पेमेंट की नियमितता को भी ध्यान में रखते हैं.

क्या देखते हैं लेंडर्स?

लोन देने वाले संस्थान आपके पेमेंट इतिहास की बारीकी से जांच करते हैं. उदाहरण के लिए:

  • क्या आपने अपने मोबाइल बिल और अन्य बिल समय पर चुकाए हैं?
  • क्या आपकी किसी EMI में देरी हुई है?
  • क्या आपके क्रेडिट कार्ड पेमेंट में किसी किस्त का पेमेंट नहीं हुआ या कोई चेक बाउंस हुआ है?

इन सबके आधार पर लोन अप्रूवल का निर्णय लिया जाता है. अगर आपके पास एक भी चूक या खराब रिकॉर्ड है, तो बैंक उस पर गौर करेगा और इसे आपके लोन अप्रूवल में बाधा मान सकता है.

डेवलपर और प्रोजेक्ट की जांच

इसके अलावा, अगर आप किसी प्रॉपर्टी के लिए हाउसिंग लोन ले रहे हैं, तो बैंक डेवलपर के प्रमाण-पत्र और प्रोजेक्ट की विश्वसनीयता की भी जांच करता है. अगर डेवलपर का रिकॉर्ड सही नहीं है या प्रोजेक्ट में कानूनी या तकनीकी खामियां हैं, तो बैंक लोन देने से इनकार कर सकता है.

लोन के लिए आवेदन करने पर, लेंडर्स कर्जदार की विश्वसनीयता का पूरी तरह से आकलन करते हैं. वे न केवल आपकी आय पर ध्यान देते हैं, बल्कि आपके रोजगार इतिहास और दूसरे कर्जों की भी जांच करते हैं. लेंडर्स यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आपकी मासिक आय इतनी हो कि वह आपकी ईएमआई चुकाने में कोई दिक्कत न दे. आमतौर पर, आपकी शुद्ध आय का 40-50% तक ईएमआई के लिए पर्याप्त माना जाता है. अगर आपका खर्च इस अनुपात में है, तो आपके लोन अप्रूवल की संभावना बढ़ जाती है.

स्थिर रोजगार का प्रभाव

इसके अलावा, नौकरी में स्थिरता भी महत्वपूर्ण है. यदि आप एक स्थायी नौकरी में हैं और नियमित वेतन पा रहे हैं, तो आपको कम जोखिम वाला कर्जदार माना जाएगा. इसके विपरीत, अगर आपकी आय में उतार-चढ़ाव होता है या आपने हाल ही में नई नौकरी ज्वॉइन की है, तो लेंडर आपके आवेदन को लेकर थोड़ा सतर्क हो सकता है.

क्या चाहते हैं लेंडर्स?

आसान शब्दों में, लेंडर्स को यह विश्वास चाहिए कि आप अपने कर्ज का पेमेंट समय पर कर सकते हैं. वे एक “मैजिकल रेशियो” की तलाश करते हैं, जिसमें आपकी आय, खर्च और कर्ज की राशि के बीच संतुलन हो. इसलिए, अगर आपकी नौकरी और आय स्थिर है, और आपके दूसरे कर्ज सीमित हैं, तो आपके लोन अप्रूवल के चांस बहुत बेहतर हो जाते हैं.

मैजिकल रेशियो क्‍या होते हैं?

जब आप लोन लेने की प्रक्रिया में होते हैं, तो डेट-टू-इनकम (DTI) और लोन-टू-वैल्यू (LTV) जैसे रेशियो बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। ये रेशियो आपकी वित्तीय स्थिति और विश्वसनीयता को समझने में मदद करते हैं.

डेट-टू-इनकम रेशियो (DTI)

यह आपकी आय के उस हिस्से को दिखाता है, जो कर्ज चुकाने में जाता है. उदाहरण के लिए, यदि आप हर महीने 100 रुपये कमाते हैं और आपके कर्ज चुकाने में 5 रुपये खर्च होते हैं, तो आपका DTI कम होगा, जो एक स्वस्थ संकेत है. 40% से कम का DTI आदर्श माना जाता है. यदि आपका DTI अधिक है, तो छोटे कर्ज (जैसे क्रेडिट कार्ड या पर्सनल लोन) को पहले चुका देना बेहतर होगा. इससे आपका रेशियो कम होगा और आपके लिए बड़ा लोन लेना आसान हो जाएगा.

लोन-टू-वैल्यू रेशियो (LTV)

LTV उस संपत्ति की कीमत का प्रतिशत होता है, जिसे लेंडर फाइनेंस करने के लिए तैयार है. उदाहरण के लिए, अगर आपकी पसंद की संपत्ति 1 करोड़ रुपये की है और बैंक 80% LTV की पेशकश करता है, तो आपको 20 लाख रुपये डाउन पेमेंट के रूप में देने होंगे.

LTV को कैसे सुधारें?

  • ऐसी संपत्तियों का चयन करें जो बाजार की उचित कीमत पर हों.
  • अच्छी लोकेशन और सुरक्षित प्रोजेक्ट्स पर ध्यान दें.
  • प्रतिष्ठित बिल्डर्स या प्रोजेक्ट्स में निवेश करना भी स्वीकृति को आसान बना सकता है.

संपत्ति का मूल्यांकन

लेंडर अक्सर संपत्ति का मूल्यांकन करते हैं. प्रतिष्ठित बिल्डर्स या साफ-सुथरे प्रोजेक्ट्स वाली संपत्तियां आमतौर पर जल्दी स्वीकृत हो जाती हैं, जबकि विवादित या पुरानी संपत्तियों के मामले में यह प्रक्रिया जटिल हो सकती है. इन दोनों रेशियो को समझकर और अपने खर्चों को सही दिशा में प्रबंधित करके, आप लोन स्वीकृति की संभावनाओं को बेहतर बना सकते हैं.

क्या है पूरी बात का निचोड़?

संपत्ति की उम्र के साथ-साथ लोन लेने वाले व्यक्ति की उम्र भी होम लोन पात्रता तय करने में अहम भूमिका निभाती है, लेकिन इसे अकसर अनदेखा कर दिया जाता है. युवा उधारकर्ता, जैसे 20 से 30 साल के लोगों, को आमतौर पर अधिक समय तक लोन चुकाने की सुविधा मिलती है. इससे उनकी ईएमआई कम होती है और साथ ही, भविष्य में उनकी कमाई बढ़ने की संभावना को भी ध्यान में रखा जाता है. दूसरी ओर, 50 साल की उम्र के कर्जदारों के पास लोन चुकाने का समय कम होता है, जिससे उनकी ईएमआई ज्यादा होती है.

इन बातों को समझना और सही समय पर योजना बनाना आपको होम लोन की प्रक्रिया में आत्मविश्वास देगा. अगली बार जब आप घर खरीदने की योजना बनाएं, तो यह याद रखें कि छोटी-छोटी तैयारी बड़े फायदे ला सकती है.

  • क्रेडिट स्कोर सुधारें.
  • छोटे कर्ज पहले चुकाएं.
  • बड़े डाउन पेमेंट के लिए बचत करें.

पूरी जानकारी के साथ तैयार ग्राहक ही सशक्त और आत्मविश्वासी ग्राहक बनते हैं. घर खरीदने का यह सफर समझदारी और सही कदमों के साथ न केवल आसान, बल्कि सफल भी हो सकता है.

(लेखक राहुल मेहरोत्रा RHDFCL के मैनेजिंग डायरेक्‍टर और सीईओ हैं. प्रकाशित विचार उनके निजी हैं.)