Credit Score ऐसे हो जाता है खराब, बिल न भरना या EMI चूकना ही नहीं हैं कारण

क्रेडिट स्कोर बैंक से लोन लेने वाले व्यक्ति का एक तरह का क्रेडिट इतिहास होता है. ऐसे किसी व्यक्तियों के लिए क्रेडिट स्कोर 300 से 900 के बीच होता है. लेकिन 750 या इससे अधिक क्रेडिट स्कोर होने पर बैंक बिना किसी समस्या के किसी भी शख्स को लोन दे देता है.

क्रेडिट स्कोर को कैसे करें हाई. (सांकेतिक फोटो) Image Credit: tv9

लोन लेकर कारोबार करने वाले लोगों के लिए क्रेडिट स्कोर बहुत मायने रखता है. कोई भी बैंक लोन देने से पहले सामने वाले शख्स का क्रेडिड स्कोर देखता है. अगर आपका क्रेडिट स्कोर ठीक नहीं है, तो बैंक से लोना मुश्किल हो जाएगा. ऐसे में आपको हाई क्रेडिट स्कोर न बना पाने का पछतावा होगा, क्योंकि आपका क्रेडिट स्कोर आपके लोन ऑप्शन को प्रभावित कर सकता है. ऐसे में आज हम जानेंगे कि आखिर वे कौन से कारण हैं, जिनकी वजह से क्रेडिट स्कोर खराब हो जाता है.

क्या है क्रेडिट स्कोर

क्रेडिट स्कोर बैंक से लोन लेने वाले व्यक्ति का एक तरह का क्रेडिट इतिहास होता है. ऐसे किसी व्यक्तियों के लिए क्रेडिट स्कोर 300 से 900 के बीच होता है. लेकिन 750 या इससे अधिक क्रेडिट स्कोर होने पर बैंक बिना किसी समस्या के किसी भी शख्स को लोन दे देता है. अगर एक शब्द में कहें, तो क्रेडिट स्कोर, लेंडर्स को यह आकलन करने में मदद करता है कि आपको पैसे उधार देने में कितना जोखिम है. हालांकि, समय पर बैंक को लोन का भुगतान कर हम क्रेडिट स्कोर को सही कर सकते हैं.

क्रेडिट स्कोर कैसे हो जाता है खराब

1. पेमेंट हिस्ट्री: समय पर लोन और क्रेडिट कार्ड का भुगतान नहीं करने के चलते क्रेडिट स्कोर में गिरावट आती है. हालांकि समय पर भुगतान करने पर क्रेडिट स्कोर में सुधार भी होता है. इसी तरह आप समय पर नियमित भुगतान कर के अपने क्रेडिट स्कोर को बढ़ा भी सकते हैं.

    2. क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेशियो: क्रेडिट यूटिलाइज़ेशन रेशियो का मतलब है कि किसी व्यक्ति के पास मौजूद कुल क्रेडिट में से उसका कितना हिस्सा वह इस्तेमाल कर रहा है. यह आपके द्वारा उपयोग किए जा रहे कुल उपलब्ध क्रेडिट का 30 प्रतिशत होता. हाई क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेशियो, क्रेडिट स्कोर को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है, क्योंकि यह दर्शाता है कि आप अपने क्रेडिट का प्रबंधन ठीक से नहीं कर रहे हैं. ऐसे कुल उपलब्ध क्रेडिट का 30 फीसदी उपयोग आदर्श माना जाता है.

    3. एरर इन क्रेडिट रिपोर्ट: आपको अपनी क्रेडिट रिपोर्ट में दर्ज की गई किसी भी एरर के प्रति सचेत रहना चाहिए. यदि कोई जानकारी जैसे कि EMI डिफ़ॉल्ट, लोन रिकॉर्ड, क्रेडिट कार्ड की संख्या, आदि गलत बताई गई है, तो यह आपके क्रेडिट स्कोर पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी. इससे बचने के लिए, आपको अपनी क्रेडिट रिपोर्ट को नियमित रूप से ट्रैक करना चाहिए और किसी भी एरर की रिपोर्ट जल्द से जल्द संबंधित क्रेडिट सूचना ब्यूरो को देनी चाहिए.

    4. ड्यूरेशन ऑफ क्रेडिट हिस्ट्री: नए स्थापित क्रेडिट की प्रामाणिकता भी क्रेडिट खातों की उमर के कारण आपके स्कोर को प्रभावित करती है. हालांकि, एक लंबा क्रेडिट इतिहास का मतलब है कि आप क्रेडिट का प्रबंधन करने में सक्षम हैं और इसलिए अपने स्कोर को बढ़ा सकते हैं.

    5. हार्ड और सॉफ्ट इंक्वायरी: हार्ड इंक्वायरी तब होती है जब कोई लेंडर लो, क्रेडिट कार्ड या क्रेडिट लाइन को मंजूरी देने के लिए आपके क्रेडिट इतिहास की जांच करता है , जो आपके स्कोर को कम करता है. सॉफ्ट इंक्वायरी, जो आपकी क्रेडिट रिपोर्ट पर तब दिखाई देती है जब कोई व्यक्ति गैर-उधार उद्देश्यों के लिए आपके क्रेडिट की जांच करता है. यह आपके क्रेडिट स्कोर को प्रभावित नहीं करती है. इनमें किसी के अपने क्रेडिट या प्री-अप्रूवल अनुरोध की जांच करना भी शामिल है.

    6. क्रेडिट लिमिट में वृद्धि: यदि आपकी क्रेडिट कार्ड कंपनी क्रेडिट कार्ड के उचित उपयोग के कारण क्रेडिट सीमा बढ़ाने का निर्णय लेती है, तो आपको सहमत होना चाहिए. अधिक सीमा क्रेडिट उपयोग अनुपात में कमी का कारण बनती है, इसलिए एक अच्छा स्कोर होता है.

    7. फ्रीक्वेंट न्यू क्रेडिट अकाउंट: कुछ महीनों के अंतराल में अलग-अलग जगहों पर क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करना भी एक बुरा संकेत है जो आपके क्रेडिट स्कोर को कम कर सकता है.

    8. क्रेडिट मिक्स: एक अच्छा क्रेडिट स्कोर सुरक्षित और असुरक्षित क्रेडिट सुविधाओं के बीच संतुलन का मतलब है. क्रेडिट क्वालिटी जिम्मेदारी दिखाती है और कई प्रकार के क्रेडिट स्कोर अच्छे माने जाते हैं.