बच्चे को बनाना है चैंपियन, तो जान लीजिए क्रिकेट-शतरंज-टेनिस की ट्रेनिंग का मंथली खर्च
खेल को लेकर भारत में लोगों का माइंडसेट कुछ हद तक काफी बदला है. यहीं कारण है कि खेल की ट्रेनिंग देने वाले संस्थान लगातार फल फूल रहे है. ऐसे में आइए आपको बताते है कि अलग अलग खेल के लिए खुद को या अपने बच्चों को तैयार करने के लिए आपको कितने पैसे खर्च करने पड़ेंगे.

Games Training Costs: पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे तो बनोगे खराब. लेकिन मौजूदा समय में यह लाइन बिल्कुल सटीक नहीं बैठती है. अब आप यह कह सकते है कि पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे तो बनोगे लाजवाब. खिलाड़ियों को मिल रहे सम्मान इस बात की गवाही चीख-चीख कर दे रही है. खेल को लेकर भारत में लोगों का माइंडसेट कुछ हद तक काफी बदला है.
यहीं कारण है कि खेल की ट्रेनिंग देने वाले संस्थान लगातार फल फूल रहे है. एक तरफ जहां ट्रेनिंग संस्थान तेजी से खुल रहे है, वहीं दुसरी तरफ ऐसे संस्थान द्वारा लेने वाली फीस मिडिल क्लास के लिए आसमान से तारे तोड़ना जैसे है. ऐसे में आइए आपको बताते है कि अलग अलग खेल के लिए खुद को या अपने बच्चों को तैयार करने के लिए आपको कितने पैसे खर्च करने पड़ेंगे.
ट्रेनिंग पर आता है बहुत खर्च
खेल के क्षेत्र में भारत में एक नई दिशा दिखाई दे रही है. युवा अपने सपनों को साकार करने के लिए कई खेलों में करियर बनाने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि इन खेलों में करियर बनाने का सपना बहुत महंगा साबित हो सकता है. खिलाड़ियों को अपनी ट्रेनिंग, कोचिंग और अन्य खर्चों के लिए भारी रकम खर्च करनी पड़ती है. भारत में कई खेलों की ट्रेनिंग पर बहुत खर्च आता है.
उदाहरण के लिए एक टेबल टेनिस बैट की रबर की कीमत 15,000 रुपए होती है. इसे हर महीने बदलना पड़ता है. इसके अलावा कोचिंग का खर्च अलग से होते हैं. इसी तरह टेनिस की ट्रेनिंग में भी भारी खर्च होता है. एक प्रोफेशनल टेनिस खिलाड़ी बनाने के लिए हर साल 45 लाख रुपए तक का खर्च करना पड़ सकता है.
खेल | खर्च |
---|---|
क्रिकेट | अकादमी फीस: 7000 प्रति माह पर्सनल ट्रेनर: 6,000 प्रति माह इक्यूपमेंट्स: 30,000 |
टेनिस | सालाना खर्च: 45 लाख रुपए |
चेस | कोच: 5,000 प्रति घंटा (4-5 घंटे प्रति सप्ताह) |
बैडमिंटन | लकड़ी के कोर्ट के लिए प्रति घंटे की कीमत: 354 रुपए सिंथेटिक कोर्ट के लिए प्रति घंटे की कीमत: 472 रुपए |
ट्रेनिंग और प्राइज मनी में जमीन आसमान का अंतर
कई खिलाड़ियों का यह कहना है कि वे अपनी ट्रेनिंग पर जितना खर्च करते हैं उससे कहीं कम प्राइज मनी मिलता हैं. चेस जैसे गेम में भाग लेने की लागत 3-3.5 लाख रुपए तक होती है. खिलाड़ियों के शुरुआती दिनों में अधिक वित्तीय सहायता नहीं मिलती. सरकार के द्वारा दी जाने वाली योजनाओं जैसे कि ‘खेलो इंडिया’ और ‘ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट’ कुछ खिलाड़ियों को सहायता देते हैं. लेकिन यह सहायता उन खिलाड़ियों तक सीमित होती है जो पहले ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर चुके होते हैं.
क्रिकेट और फुटबॉल फिलहाल है काफी
भारत में क्रिकेट और फुटबॉल जैसे खेलों के खिलाड़ी घरेलू लीग्स से अच्छा पैसा कमा सकते हैं. इंडियन सुपर लीग (ISL) और रणजी ट्रॉफी में खेलने वाले क्रिकेट और फुटबॉल खिलाड़ी अच्छे पैसे कमाते हैं. लेकिन टेबल टेनिस या अन्य खेलों में ऐसी स्थिति नहीं है. इस कारण अधिकतर भारतीय परिवार अपने बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ खेल में करियर बनाने के लिए प्रेरित करते हैं. इससे वे किसी दूसरे क्षेत्र में भी सफल हो सके.
उठाने होंगे बड़े और अहम कदम
खेल के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए खिलाड़ी को सिर्फ प्रतिभा ही नहीं बल्कि अच्छा आर्थिक समर्थन भी चाहिए. यह जरूरी है कि सरकार और निजी क्षेत्र नए खिलाड़ियों के लिए अधिक वित्तीय सहायता प्रदान करें ताकि वे अपनी ट्रेनिंग पर खर्च कर सकें और भविष्य में सफलता की ओर बढ़ सकें. भारत में खेल का भविष्य उज्जवल है. इसके लिए खिलाड़ियों को भारी निवेश करना पड़ता है. इसके अलावा सभी ट्रेनिंग और संसाधनों की कमी से युवा खिलाड़ियों के लिए सफलता प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है.
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