Digital पेमेंट को ऐसे करें सेफ, जानें डिजिटल अरेस्ट जैसी धोखाधड़ी से बचने के आसान टिप्स
Digital Payment: डिजिटल पेमेंट में क्रांति के साथ इसमें होने वाली धोखाधड़ी के भी कई सारे नए-नए तरीके आ चुके हैं. अगर डिजिटल पेमेंट को सुरक्षित बनाना है तो यहां कुछ आसान तरीके दिए हैं.
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कुणाल वर्मा: डिजिटल पेमेंट ने हमारा जीवन बदल दिया है. बिलों को बांटने से लेकर खरीदारी तक सब कुछ सहज बना दिया है. हालांकि, इस सुविधा के साथ एक दिक्कत भी है – डिजिटल धोखाधड़ी का खतरा, जो बढ़ रहा है. अगर हम सावधान नहीं रहे तो मोबाइल पर किया हर टैप, स्वाइप या क्लिक धोखेबाजों के लिए आमंत्रण बन सकता है. जैसे-जैसे भारत डिजिटल पेमेंट की सुविधा को अपना रहा है, ये घटनाएं चिंताओं को बढ़ा रही है. ऐसे में आप कैसे सुनिश्चित करेंगे कि आपकी मेहनत की कमाई सुरक्षित रहे?
यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और किफायती इंटरनेट एक्सेस पर संचालित भारत की डिजिटल पेमेंट क्रांति ने हमारे लेन-देन के तौर-तरीकों को पूरी तरह बदल दिया है. अकेले यूपीआई ने दो साल में 137% की वृद्धि की है. यह सालाना 200 लाख करोड़ के लेन-देन को संभालता है. यह प्रगति स्पष्ट संकेत है इसकी वजह से साइबर अपराधियों को अनजान उपयोगकर्ताओं को टारगेट करने के नए तरीके भी मिल रहे हैं.
फर्जी “निवेश अवसरों” से लेकर एडवांस शेयर बाजार स्कैम तक, ये स्कीम तेजी से अपना स्वरूप बदल रही है और नए नकाब ओढ़कर सामने आती जा रही हैं. यह नए और अनुभवी दोनों तरह के यूजर्स को अपना शिकार बना रही हैं.
घोटालेबाज आपके भरोसे का फायदा कैसे उठाते हैं
इन घोटालों में शामिल दो प्रमुख फेक्टर है- भरोसा और तत्परता. उदाहरण के लिए, “डिजिटल अरेस्ट” स्कैम को ही लें, धोखेबाज ED या CBI अधिकारी बनते हैं, फर्जी वीडियो कॉल सेटअप का उपयोग करते हैं जो वास्तविक पुलिस स्टेशनों की तरह दिखते हैं. पीड़ितों पर मनगढ़ंत आरोपों के तहत केस दर्ज करने की धमकी दी जाती है जब तक कि वे तुरंत पैसे ट्रांसफर न करें.
इसी तरह फेस्टिव सेल के दौरान फिशिंग अटैक्स, फर्जी स्टॉक ट्रेडिंग ऐप और गारंटेड हायर रिटर्न के वादे हमारी भावनाओं – भय, लालच और सुविधाओं का फायदा उठाते हैं.
धोखेबाजी के आंकड़े परेशान करने वाले हैं. नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर इस साल सिर्फ चार महीनों में 7.4 लाख से ज्यादा शिकायतें दर्ज हुई हैं. यह सिर्फ संख्याएं नहीं हैं – ये असली लोग हैं जो अपनी जीवन भर की बचत या कड़ी मेहनत से कमाया पैसा खो रहे हैं.
जैसे-जैसे तकनीक विकसित हो रही है, धोखेबाजों की रणनीति भी बदल जाती है, जो अक्सर साधारण यूजर्स की जागरूकता से आगे निकल जाती है.
अपने पैसे को सुरक्षित रखने के लिए सरल उपाय
खुद को सुरक्षित रखने के लिए विशेषज्ञ स्तर के साइबर सुरक्षा ज्ञान की आवश्यकता नहीं है. यह जागरूकता और कुछ सरल आदतों से शुरू होती है:
ठहरें और मूल्यांकन करें: किसी भी संदिग्ध संचार का मूल्यांकन करने के लिए हमेशा कुछ समय निकालें. धोखेबाज यदि दहशत पैदा करने पर भरोसा करते हैं – तो आप शांत रहें और दबाव में न आएं. असली सरकारी एजेंसियां या बैंक कभी भी कॉल या मैसेज पर संवेदनशील डिटेल्स या पेमेंट नहीं मांगेंगे.
उपलब्ध साधनों का लाभ उठाएं: अपने सभी वित्तीय खातों के लिए दो-फेक्टर ऑथेंटिकेशन (2एफए) सक्रिय करें. पासवर्ड सहेजना बोझिल हो सकता है लेकिन आपकी रक्षा की पहली पंक्ति के सिपाही यही होते हैं. कई बैंक और फिनटेक प्लेटफॉर्म अब आपको सुरक्षा प्रदान करने के लिए टोकनाइजेशन और बायोमेट्रिक सर्टिफिकेशन प्रदान करते हैं, भले ही सुरक्षा की एक दीवार ढह गई हो.
सक्रिय रहें: अपने ऐप्स और ऑपरेटिंग सिस्टम को नियमित रूप से अपडेट करें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनमें नवीनतम सुरक्षा पैच उपलब्ध रहे. किसी भी असामान्य लेन-देन के लिए अपने खाते की गतिविधि की निगरानी करें और तुरंत रिपोर्ट करें. इस तरह की छोटी-छोटी सक्रियता साइबर अपराधियों से आगे रहने में महत्वपूर्ण कदम बन सकती हैं.
बैंक और नियामक मदद के लिए क्या कर रहे हैं
सतर्क रहना सिर्फ व्यक्तियों पर निर्भर नहीं है. बैंक और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जैसे विनियामक डिजिटल पेमेंट को सुरक्षित बनाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं. अक्सर मशहूर हस्तियों को शामिल कर सार्वजनिक अभियान चलाए जाते हैं, जिनका उद्देश्य यूजर्स को आम घोटालों के बारे में शिक्षित और जागरुक करना है. RBI के अल्टरनेटिव ऑथेंटिकेशन फ्रेमवर्क जैसे इनोवेशन लेन-देन में सुरक्षा की अतिरिक्त परत जोड़ते हैं. हालांकि, कोई भी तकनीकी प्रगति मानवीय सतर्कता की जगह नहीं ले सकती. धोखेबाजों को उम्मीद है कि यूजर्स घबराहट में काम करेंगे. सामान्य तौर पर दोबारा जांच करने या संदेह का एक पल आपको बड़े नुकसान से बचा सकता है.
संतुलन तलाशनाः सुविधा बनाम सावधानी
भारत का डिजिटल पेमेंट लैंडस्केप कायम रहने वाला है, जो बेजोड़ सुविधा और वित्तीय समावेशन लाता है. फिर भी, यह प्रगति सूचित और सतर्क रहने की जिम्मेदारी के साथ आती है. अगली बार जब आप ऑनलाइन पेमेंट करें या कोई अप्रत्याशित कॉल रिसीव करें, तो एक पल के लिए सोचें. क्या यह एक घोटाला हो सकता है?
इन सरल तरीकों को अपनाकर, आप धोखाधड़ी का शिकार हुए बिना डिजिटल लेन-देन का लाभ उठा सकते हैं. आखिरकार, आज थोड़ी सी सावधानी आने वाले कल के जीवन भर के पछतावे से बचा सकती है.
(लेखक कुणाल वर्मा Freo के को-फाउंडर और सीईओ हैं, प्रकाशित विचार उनके निजी हैं.)