FD के ब्याज पर कैसे बचाएं TDS, यहां जानें आसान तरीका
अगर आप भी एफडी के ब्याज पर कटने वाले टीडीएस से परेशान हैं तो टेंशन न लें, क्योंकि सरकार ने टैक्सपेयर्स को राहत देने के लिए नियमों में कुछ ढील दी है, जिससे आप टैक्स बचा सकते हैं. इसके अलावा कुछ खास तरीके के फॉर्म भरकर भी आप इंटरेस्ट पर कटने वाले टीडीएस को बचा सकते हैं.

How to save TDS on FD: निवेश के लिए अभी भी बहुत से लोग फिक्स्ड डिपॉजिट यानी FD को बेहतर विकल्प मानते हैं. अगर आप भी एफडी में पैसा लगाते हैं, लेकिन रिटर्न में इसके ब्याज पर लगने वाले TDS यानी टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स से परेशान हैं, तो टेंशन न लें. क्योंकि आप कुछ खास तरीकों को अपनाकर इंटरेस्ट पर लगने वाले टीडीएस को बचा सकते हैं. तो क्या है ये मेथड जानें पूरी डिटेल.
TDS के नए नियम में सरकार ने दी ढील
सरकार ने TDS के नियमों को पहले के मुकाबले थोड़ा आसान बनाया है, जिससे FD कराने वालों को राहत मिली है. नए नियम के तहत अगर आप 60 साल से कम उम्र के हैं, तो अब सालाना ब्याज ₹50,000 से ज्यादा होने पर ही TDS कटेगा. इससे कम के इंटरेस्ट पर टैक्स नहीं कटेगा. वहीं सीनियर सिटीजन के लिए यानी जिनकी उम्र 60 साल से ऊपर है उनके लिए ये लिमिट ₹1,00,000 है. ऐसे में अगर इससे कम ब्याज है तो इस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा.
TDS से बचने के आसान टिप्स
अगर आप अपने FD के रिटर्न को बिना टैक्स की टेंशन के मजे से इस्तेमाल करना चाहते हैं और अगर आपकी कुल कमाई सिर्फ FD के ब्याज से है, लेकिन वो ₹4 लाख से कम है तो आप बैंक में एक फॉर्म देकर TDS से बच सकते हैं. सीनियर सिटीजन और 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए ये फॉर्म अलग-अलग हैं.
- अगर आप सीनियर सिटीजन हैं (60 साल से ऊपर), तो आपको फॉर्म 15H बैंक में जमा करना होगा, इससे एफडी के ब्याज पर TDS नहीं कटेगा.
- जिनकी उम्र 60 से कम है तो ऐसे लोग फॉर्म 15G के जरिए टैक्स बचा सकते हैं.
- ये फॉर्म हर फाइनेंशियल ईयर की शुरुआत में, यानी 1 अप्रैल से पहले, बैंक में जमा करना होता ऐसा करने से एफडी का पूरा ब्याज आपके हाथ आएगा.
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क्या होता है फॉर्म 15H और 15G?
फॉर्म 15H उन लोगों के लिए है जिनकी आयु 60 वर्ष या उससे अधिक हो और उनकी आय कर योग्य सीमा से कम होती है. यह सेल्फ डिक्लेयरेशन के रूप में पेश की जाती है. इससे उनकी जमा आय पर कोई टीडीएस नहीं लगता है. वहीं फॉर्म 15G का इस्तेमाल फिक्स्ड डिपॉजिट, सेविंग अकाउंट या रिकरिंग डिपॉजिट से अपनी ब्याज़ आय पर TDS से बचने के लिए किया जाता है. ये टैक्स योग्य लिमिट से कम आय वाले 60 वर्ष की उम्र से कम के व्यक्तियों के लिए वैलिड है.
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