50,000 रुपये से ज्यादा देते हैं किराया , तो समझ लें TDS का यह नियम; वरना भरनी पड़ सकती है पेनाल्टी
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ₹50,000 या अधिक मासिक किराया देने वाले किरायेदारों को TDS न काटने पर नोटिस जारी किए हैं. अक्टूबर 2024 से किराए पर TDS 2 फीसदी अनिवार्य है (पहले 5 फीसदी). TDS न काटने पर जुर्माना (1-1.5 फीसदी प्रति माह) लग सकता है. यदि मकान मालिक किराया पर इनकम टैक्स चुका दिया है, तो छूट संभव है.

TDS Rule on House Rent: अगर आप किसी प्रॉपटी के लिए 50,000 रुपये से ज्यादा किराया देते हैं, लेकिन इस पर TDS नहीं कटवाते हैं, तो आपकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस संबंध में नोटिस जारी किया है. यह नोटिस उन टैक्सपेयर्स के लिए है जिनका मासिक किराया 50,000 रुपये या उससे ज्यादा है और जिन्होंने TDS नहीं कटवाया है. यह नोटिस आकलन वर्ष 2023-24 और 2024-25 के लिए जारी किया गया है. टैक्स कॉन्सेप्ट के मुताबिक, विभाग ने नोटिस में कहा है कि इस अवधि में टैक्सपेयर्स ने HRA का दावा तो किया है लेकिन TDS नहीं काटा है. हालांकि, टैक्सपेयर्स को अपडेटेड रिटर्न दाखिल टैक्सने का विकल्प दिया गया है. अगर वे अपडेटेड रिटर्न दाखिल नहीं करते हैं, तो विभाग उन पर जुर्माना लगा सकता है.
क्या है TDS कटौती का नियम?
नियमों के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति किसी संपत्ति के लिए 50,000 रुपये या उससे अधिक किराया दे रहा है, तो उसे किराए पर 2 फीसदी TDS काटना अनिवार्य है. (पहले यह 5 फीसदी था, लेकिन अक्टूबर 2024 से इसे 2 फीसदी टैक्स दिया गया है.) किरायेदार को TDS काटकर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में जमा करना होगा और शेष राशि मकान मालिक को देनी होगी.
TDS नहीं काटने पर क्या होगा?
अगर किरायेदार TDS नहीं काटता है, तो उसे डिफॉल्टर (Assessee in Default) माना जाएगा और 1 फीसदी से 1.5 फीसदी प्रति माह की दर से ब्याज और जुर्माना देना पड़ सकता है. यह जुर्माना व्यक्ति के केस और समय पर निर्भर करेगा और अलग-अलग हो सकता है.
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कब मिल सकता है छूट?
इस नियम के तहत छूट भी संभव है, लेकिन यह तभी मिलेगा जब मकान मालिक अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में किराये की इनकम दिखाकर उस पर टैक्स चुका दिया हो. हालांकि, इसकी पुष्टि के लिए टैक्सपेयर्स को दस्तावेज पेश करने होंगे. अगर टैक्सपेयर्स ऐसा कर देता है, तो उसे डिफॉल्टर नहीं माना जाएगा और कोई जुर्माना नहीं लगेगा. हालांकि, कई मकान मालिक अपनी वित्तीय जानकारी साझा करने में सहज नहीं होते, इसलिए सलाह दी जाती है कि सभी किरायेदार समय पर TDS काटकर जमा करें ताकि किसी भी परेशानी से बचा जा सके.
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