Income Tax Bill 2025: कृषि भूमि बेचने पर कितना लगता है टैक्स, जानें आबादी और दूरी का फॉर्मूला

कृषि भूमि टैक्स से जुड़े कई नियम लागू होते हैं. ग्रामीण कृषि भूमि बेचने पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, लेकिन शहरी कृषि भूमि पर कैपिटल गेन टैक्स देना होगा. जनसंख्या और दूरी के आधार पर जमीन की श्रेणी तय होगी. कुछ राज्यों में गैर-किसानों को कृषि भूमि बेचने पर स्थानीय प्रशासन की अनुमति जरूरी होगी.

ग्रामीण कृषि भूमि बेचने पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, लेकिन शहरी कृषि भूमि पर कैपिटल गेन टैक्स देना होगा. Image Credit: GETTY IMAGE

Agricultural Land Tax Rule: 13 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने Income Tax Bill 2025 पेश किया. इस नए बिल में कई पुराने सेक्शन्स को संशोधित किया गया है और कुछ नए सेक्शन्स जोड़े गए हैं. सरकार का उद्देश्य इनकम टैक्स कानून को सरल और पारदर्शी बनाना है, ताकि इसे समझना आसान हो. इस बिल में कृषि आय (Agricultural Income) से जुड़े कई बदलाव किए गए हैं. अब डेयरी, पोल्ट्री और मछली पालन को गैर-कृषि आय (Non-Agricultural Income) माना जाएगा और इन पर टैक्स लगेगा.

इनकम टैक्स बिल में कृषि से होने वाले कमाई से जुड़े नियमों में बदलाव के बाद, कई लोग कृषि जमीन पर लगने वाले टैक्स के बारे में जानना चाहते है तो आइए, कृषि भूमि पर लगने वाले टैक्स से जुड़े प्रावधानों को विस्तार से समझते हैं. आम तौर पर यह धारणा होती है कि देश में खेती की जमीन यानी कृषि योग्य भूमि बेचने पर कोई टैक्स नहीं लगता, लेकिन इसमें कई शर्तें लागू होती हैं. यदि आप कोई कृषि भूमि खरीदने या बेचने की योजना बना रहे हैं, तो इन शर्तों को समझना जरूरी है, वरना आपको आर्थिक नुकसान हो सकता है. सभी कृषि भूमि पर टैक्स छूट नहीं मिलती, कई ऐसी खेती की जमीनें होती हैं जिन्हें बेचने पर टैक्स लगाया जाता है. आइए जानते हैं किस तरह की खेती की जमीन पर कोई टैक्स नहीं लगता और कौन सी जमीन बेचने पर टैक्स देना पड़ता है.

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कृषि भूमि कितने प्रकार की होती है?

असल में खेती की जमीन दो तरह की होती है, पहली ग्रामीण कृषि भूमि और दूसरी शहरी कृषि भूमि. तो आइए पहले जानते हैं कि ग्रामीण कृषि भूमि क्या होती है. ग्रामीण कृषि भूमि (Rural Agricultural Land) वह जमीन होती है जो नगर पालिका (Municipality) या कैंटोनमेंट बोर्ड (Cantonment Board) की सीमा में न आती हो. इसके अलावा गांव की खेती की जमीन के लिए जनसंख्या का पैमाना तय किया गया है. इसके तहत कैंटोनमेंट और नगर पालिका से दूरी के नियम भी तय किए गए हैं. आइए जानते हैं दूरी और जनसंख्या के आधार पर क्या नियम हैं…

जनसंख्या के आधार पर दूरी की फार्मुला

यदि नगर पालिका या कैंटोनमेंट बोर्ड की जनसंख्या 10,000 से 1 लाख के बीच हो तो खेती की जमीन को कम से कम 2 किमी दूर होनी चाहिए. तभी वह ग्रामीण कृषि भूमि मानी जाएगी.

इसी तरह यदि जनसंख्या 1 लाख से 10 लाख के बीच हो, तो खेती की जमीन कम से कम 6 किमी दूर होनी चाहिए.
वहीं यदि जनसंख्या 10 लाख से अधिक हो, तो जमीन कम से कम 8 किमी दूर होनी चाहिए.
और केवल ग्रामीण कृषि भूमि बेचने से हुई कमाई पर कोई टैक्स देनदारी नहीं बनती है.

दूरी कैसे मापी जाती है?

यह दूरी सीधी रेखा में मापी जाती है, सड़क की लंबाई को ध्यान में नहीं रखा जाता, क्योंकि सड़कें अक्सर घुमावदार होती हैं. यदि सड़क सही से जुड़ी न हो, तो जमीन गलती से शहरी सीमा में आ सकती है, इसलिए सीधी दूरी का नियम लागू होता है.

शहरी कृषि भूमि पर कर लगाया जाएगा

जो कृषि ग्रामीण कृषि भूमि की कैटेगरी में नहीं आती है, वह शहरी कृषि भूमि कहलाती है. इसके लिए नियम जनसंख्या के आधार पर पर तय हैं. जो ऊपर बताया गया है.

  • यदि कोई भूमि शहरी कृषि भूमि (Urban Agricultural Land) की कैटेगरी में आती है, तो उसे बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gains Tax) देना होगा. अगर भूमि 2 साल के अंदर बेची जाती है. इससे होने वाला मुनाफा शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा और यह जमीन मालिक की आयकर स्लैब दर के अनुसार टैक्सेबल होगा.
  • अगर भूमि 2 साल के बाद बेची जाती है. इससे होने वाला मुनाफा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) माना जाएगा और इस पर 12.5% टैक्स लगेगा. (इसमें इंडेक्सेशन नहीं लागू होगा. अगर इंडेक्सेशन लागू होता है तो 20 फीसदी टैक्स देना होगा)
    राज्य के कानून

राज्य के कानून होते है प्रभावी

सभी राज्यों में कृषि भूमि को गैर-किसानों को बेचने की अनुमति नहीं होती, जब तक कि स्थानीय प्रशासन (Local Authority) से अनुमति न ली जाए. उदाहरण, महाराष्ट्र और गुजरात में कुछ शर्तों के तहत गैर-किसानों को कृषि भूमि बेचना प्रतिबंधित है. इसे बेचने के लिए स्थानीय प्रशासन की मंजूरी जरूरी होती है. लैंड सीलिंग, हर राज्य में कृषि भूमि रखने की अधिकतम सीमा तय होती है, यानी कोई व्यक्ति एक निश्चित सीमा से ज्यादा कृषि भूमि नहीं खरीद सकता.