आपकी WhatsApp चैट, Email पढ़ सकते हैं अधिकारी, नए इनकम टैक्स बिल में और क्या-क्या है

Income Tax Bill 2025 टैक्स अधिकारियों को आपके WhatsApp, ईमेल, बैंक ट्रांजैक्शन और यहां तक कि क्रिप्टो लेनदेन के एक्सेस का भी अधिकार दे सकता है. हालांकि सरकार का कहना है कि इससे टैक्स चोरी रोकने में मदद मिलेगी, लेकिन यह बिल आपकी प्राइवेसी के लिए कितना सुरक्षित है? यह भी एक सवाल है...

इनकम टैक्स बिल 2025 Image Credit: Money9live/Canva

Income Tax Bill: क्या आपने भी यही सुना है कि इनकम टैक्स विभाग आपकी Whatsapp chats को एक्सेस कर सकता है? क्योंकि आपने सही सुना है. टैक्स सिस्टम में फिर बड़ा बदलाव आ सकता है. प्रस्तावित इनकम टैक्स बिल 2025 टैक्स अधिकारियों को WhatsApp, ईमेल और सोशल मीडिया जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को एक्सेस करने की अनुमति दे सकता है. अगर यह बिल पास होता है, तो टैक्स चोरी की जांच के लिए आपके प्राइवेट चैट्स, क्लाउड स्टोरेज और यहां तक कि एन्क्रिप्टेड मैसेजेस भी टैक्स अधिकारियों के स्कैन में आ सकते हैं. सरकार का कहना है कि यह कदम टैक्स चोरी रोकने के लिए जरूरी है, लेकिन इसमें प्राइवेसी को लेकर सवाल उठेगा.

क्यों लाया जा रहा है नया बिल?

इनकम टैक्स बिल 2025 अब इनकम टैक्स एक्ट 1961 की जगह लेने के लिए लाया जा रहा है. सरकार का मानना है कि मौजूदा कानून पुराने दौर के हिसाब से बने थे, जो आज की डिजिटल तकनीक के अनुरूप नहीं हैं. इसलिए इसमें कुछ ऐसे बदलाव किए गए हैं, जो टैक्स अधिकारियों को डिजिटली एक्सेस देंगे.

क्या-क्या बदलाव हो सकते हैं?

नया बिल “वर्चुअल डिजिटल स्पेस” के बारे में विस्तार से बताता है, जिसमें ईमेल सर्वर, सोशल मीडिया अकाउंट्स, ऑनलाइन निवेश और ट्रेडिंग अकाउंट्स, क्लाउड स्टोरेज और WhatsApp, Telegram, ईमेल जैसे डिजिटल कम्यूनिकेशन प्लेटफॉर्म शामिल किए गए हैं.

अगर कोई व्यक्ति अपने डिजिटल अकाउंट्स जैसे ईमेल, WhatsApp, क्लाउड स्टोरेज का एक्सेस टैक्स अधिकारियों को नहीं देता, तो नए बिल के तहत अधिकारी सिक्यॉरिटी को बायपास कर आपके डेटा तक पहुंच बना सकते हैं.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बात को स्वीकार किया है कि WhatsApp और अन्य एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म्स पर मिले मैसेजेस से टैक्स चोरी और बेहिसाब संपत्ति का खुलासा हुआ है. अब इस बिल में इस तरह के डिजिटल सबूतों को औपचारिक रूप से मान्यता दी जाएगी और इनका इस्तेमाल टैक्स मामलों में किया जाएगा.

इस विधेयक में “अघोषित आय” की परिभाषा को और विस्तार दिया गया है, जिसमें क्रिप्टो संपत्तियां और अन्य डिजिटल संपत्तियां भी शामिल होंगी. अगर कोई व्यक्ति WhatsApp या अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ऐसे लेन-देन की चर्चा करता है, तो उस पर भी टैक्स अधिकारियों की नजर होगी.

जो लोग डिजिटल डेटा, अकाउंट्स या दस्तावेजों को अपने वर्चुअल स्पेस में रखते हैं, उन्हें अब टैक्स अधिकारियों को उनकी जांच के लिए सभी जरूरी एक्सेस और पासवर्ड उपलब्ध कराने होंगे.

प्राइवेसी को लेकर चिंता

कई लोगों का मानना है कि यह प्रावधान सरकार को जरूरत से ज्यादा अधिकार दे सकता है, जिससे निजता के अधिकार का हनन हो सकता है.

बिल में इस बात का स्पष्ट उल्लेख नहीं है कि टैक्स अधिकारी कब और कैसे डिजिटल डेटा तक पहुंच सकते हैं, जिससे मनमानी जांच और सरकारी दखलंदाजी का खतरा बढ़ सकता है.

WhatsApp और Telegram जैसी कंपनियां एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का इस्तेमाल करती हैं, जिससे मैसेज को कोई तीसरा व्यक्ति पढ़ नहीं सकता. यह अभी साफ नहीं है कि सरकार इस एन्क्रिप्शन को तोड़ने की योजना बना रही है या सिर्फ यूजर्स के डिवाइस से डेटा हासिल करेगी.

इस विधेयक को लागू करने के लिए टैक्स अधिकारियों को नई तकनीकों में ट्रेन करना होगा और मजबूत आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाना होगा.