12 लाख तक की इनकम टैक्स फ्री: अब घर खरीदें या रेंट पर रहे- जानें पूरा कैलकुलेशन

12 लाख तक की इनकम को टैक्स फ्री कर दिया गया है तो क्या 12 लाख की इनकम वाला व्यक्ति अब घर खरीद सकेगा? या उसे किराए पर रहना जारी रखना चाहिए. यहां दिया गया पूरा गणित इस फैसले को लेने में आपकी मदद कर सकता है. जानें अब कैसे होने चाहिए आपके फाइनेंशियल फैसले...

EMI देकर घर खरीदें या रेंट पर रहे, टैक्स बचत ने बदला कैलकुलेशन Image Credit: Freepik/Canva

Buy or Rent a House: नई टैक्स व्यवस्था में 12 लाख रुपये तक इनकम टैक्स फ्री और इससे ज्यादा इनकम पर कम टैक्स आम आदमी को काफी बचत करने में मदद करेगी. बचत का आंकड़ा बढ़ने से खर्च का बजट बढ़ेगा. ऐसे में कई लोग घर खरीदने की प्लानिंग करेंगे. तो क्या वाकई अब घर खरीदना ज्यादा सही रहेगा या रेंट पर रहना ही किफायती होगा. क्या बचत का पैसा EMI में डाला जा सकेगा या रेंट देना ही सही फाइनेंशियल फैसला होगा. चलिए ‘घर खरीदना चाहिए या किराए पर रहना चाहिए’ वाली बहस को फिर से समझ कर सुलझाते हैं.

घर खरीदने का प्लान करने वाले किन बातों का ध्यान रखें?  

जिन लोगों की सालाना कमाई 12 लाख रुपये है, वे हर साल लगभग 80,000 रुपये की बचत करेंगे. ऐसे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसी बचत को वे अपने घर खरीदने के बजट में जोड़ सकते हैं. लेकिन अभी भी घर खरीदने से पहले यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि आपके पास डाउन पेमेंट के लिए अच्छा पैसा होना चाहिए और EMI चुकाने के लिए आपकी वित्तीय स्थिति मजबूत होनी चाहिए.

इसके अलावा, यह आपको यह भी देखना होगा कि होम लोन की EMI आपके मौजूदा किराए के मुकाबले कितनी ज्यादा होनी चाहिए. इस मामले में आमतौर पर सलाह दी जाती है कि आपकी सैलरी का 30% से ज्यादा किराए पर खर्च नहीं होना चाहिए.

बजट 2025 का ज्यादा फायदा कैसे उठाएं?  

बजट 2025 में टैक्स स्लैब में बदलाव से लोगों की खर्च करने लायक इनकम बढ़ेगी, जिससे EMI पर ज्यादा खर्च किया जा सकेगा और इससे होम लोन लेना भी ज्यादा मुश्किल नहीं होगा.

फाइनेंशियल एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि बजट 2025 के तहत मिलने वाली अतिरिक्त टैक्स बचत को सिर्फ EMI चुकाने के लिए इस्तेमाल करने की बजाय अपनी फाइनेंशियल स्थिति को बेहतर करने के रूप में देखा जाना चाहिए. जैसे अगर आपकी इनकम 12 लाख है, तो आपको इस अतिरिक्त टैक्स बचत का 50% डाउन पेमेंट के लिए, 30% इमरजेंसी फंड में और 20% निवेश करना चाहिए.

आमतौर पर यही सलाह दी जाती है कि कुल EMI आपकी नेट इनकम का 30-35% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. नेट इनकम वह है जो टैक्स कटने के बाद बचती है. लेकिन अगर आपकी उम्र 25-35 साल के बीच है, ज्यादा जिम्मेदारी नहीं है तो आप 40-45% तक की EMI दे सकते हैं. हालांकि युवाओं के पास भी 6 महीने का इमरजेंसी फंड, हेल्थ इंश्योरेंस तो तो होना ही चाहिए.

कितना है डाउन पेमेंट?

अगर आप अकेले कमाई करने वाले हैं और इनकम 12 लाख है तो क्या आप ज्यादा डाउन पेमेंट के लिए जमा कर पाएंगे. ये मुश्किल हो सकता है. लेकिन हां अगर आप और आपका पार्टनर मिलकर सालाना 24 लाख कमाते हो तो वे घर खरीदने के लिए ये स्थिति बेहतर होगी.

मान लीजिए, अगर आपकी सैलरी 1 लाख रुपये है, जिसका 25,000 किराए में और 50,000 बाकी खर्चों में जा रहा है और 18,333 रुपये बचत है, बाकी टैक्स. तो अब नई टैक्स स्लैब के हिसाब से आप हर महीने 6,666 की टैक्स बचत करेंगे (80,000 सालाना). अगर पहले आप पहले 18,333 हर महीने बचा रहे थे, तो अब आप (18,333 + 6,666) यानी 25,000 हर महीने बचा सकते हैं.  

उदाहरण के हिसाब से अगर आपके पास पहले से 6 लाख की बचत है तो इसमें 80 हजार जुड़कर 6.80 लाख हो जाएंगे. अब अगर आप 45 लाख का घर भी खरीद रहे हैं तो इसके 20% यानी 9 लाख का डाउन पेमेंट चाहिए जो 6.80 लाख से काफी कम है.

लेकिन अगर पति-पत्नी मिलकर सालाना 24 लाख कमा रहे हैं तो अब टैक्स बचत 1.60 लाख होगी और अगर उन्होंने मिलकर 15 लाख की बचत की हुई है, तो उनकी कुल बचत 16.60 लाख हो जाएगी. ऐसे में 70 लाख का घर खरीदने के लिए 20% यानी 14 लाख का डाउन पेमेंट चाहिए होगा, जो उनकी बचत से पूरा किया जा सकता है.  

कब घर खरीदना बेहतर होगा?  

आमतौर पर सलाह दी जाती है कि अगर आप घर कम से कम 10-12 साल तक रहने के लिए खरीद रहे हैं, तो यह सही फैसला हो सकता है. इसके अलावा, अगर आपकी EMI आपकी नेट इनकम के 40% से कम है और आपके पास 6 महीने का इमरजेंसी फंड है, तो घर खरीदना फायदेमंद हो सकता है.  

साथ ही, घर खरीदने का फैसला लेने से पहले प्रॉपर्टी की कीमत और सालाना किराए का अनुपात भी देखना चाहिए. जैसे अगर यह अनुपात 20 गुना से ज्यादा है, तो किराए पर रहना ज्यादा समझदारी होगी. मान लीजिए अगर कोई अपार्टमेंट 1 करोड़ का है लेकिन उसका किराया महीने का 20,000 ही है, तो उसे खरीदने की बजाय किराए पर रहना बेहतर होगा.  

लेकिन अगर आपको अपने घर के इंटीरियर को अपने हिसाब से बनाना है, मकान मालिक की परेशानी से बचना है और स्थिरता चाहिए तो घर खरीदना ही सही होगा.

कब किराए पर रहना बेहतर होगा?  

अगर आपकी नौकरी या करियर स्थिर नहीं है या अगले 5-7 सालों में आपको शहर बदलना पड़ सकता है, तो घर खरीदने से बचना ही चाहिए.  

अगर किराए का रिटर्न (सालाना किराया ÷ घर की कीमत) 2.5% से कम है, तो खरीदने की बजाय किराए पर रहना बेहतर होगा.  

अगर आप मुंबई या बेंगलुरु जैसे महंगे शहरों में रहते हैं, जहां EMI किराए से काफी ज्यादा होगी, तो किराए पर रहना फायदेमंद हो सकता है.  

अगर आप अपने पैसों को निवेश करना चाहते हैं और लिक्विडिटी बनाए रखना चाहते हैं, तो किराए पर रहना बेहतर है, क्योंकि रियल एस्टेट में पैसा लगाने के बाद उसे निकालना मुश्किल होता है.  

बस ध्यान रखें कि हर महीने आपका किराया आपकी कुल इनकम के 30% से ज्यादा नहीं होना चाहिए.  

कुल मिलाकर घर खरीदना या किराए पर रहना, यह पूरी तरह से आपकी मौजूदा वित्तीय स्थिति, करियर स्थिरता और भविष्य की प्लानिंग पर निर्भर करता है. अगर आपकी इनकम और बचत काफी है, तो घर खरीदना एक अच्छा फैसला हो सकता है, लेकिन अगर करियर अस्थिर है या जल्द ही शिफ्ट होने की संभावना है, तो किराए पर रहना समझदारी होगी.