इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग में बदला ये नियम, नए और पुराने ITR में मिसमैच पर आ सकता है नोटिस
Income Tax: इनकम टैक्स को लेकर फिर नया बदलाव हो आ गया है. इसके एक सेक्शन 143(1) में एक संशोधन किया जा रहा है. इससे टैक्सपेयर को फायदा मिलने की संभावना है. चलिए जाते हैं ये सेक्शन कौन सा है और बदलाव क्या हुआ है?

Income Tax Rule: इनकम टैक्स नियम में एक और बदलाव आया है. ये बदलाव इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 143(1) को लेकर है. संसद में वित्त विधेयक 2025 पारित करते समय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसमें संशोधन का प्रस्ताव रखा है. इस नए बदलाव पर इनकम टैक्स की वेबसाइट पर भी अक्सर पूछे जाने वाले सवाल यानी FAQs जारी हुए हैं. इसके तहत आपका पिछला इनकम टैक्स रिटर्न और इस बार के रिटर्न का मिलान किया जाएगा. गड़बड़ी निकलने पर आईटीआर फाइल करने वालों को नोटिस भी मिल सकता है. चलिए जानते हैं क्या बदला और आपको अब क्या करना होगा?
क्या बदला?
इनकम टैक्स की वेबसाइट के अनुसार, “सेक्शन 143(1) में संशोधन किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पिछले वर्षों के इनकम टैक्स रिटर्न और वर्तमान वर्ष के रिटर्न में किसी भी तरह की असंगति की जांच की जा सके, जैसा कि नियमों के अनुसार निर्धारित किया जाएगा.”
हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि किन असंगतियों की जांच होगी. लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि यदि किसी टैक्सपेयर ने पिछले रिटर्न में किसी क्रेडिट का दावा किया है, लेकिन वर्तमान रिटर्न में वही आंकड़ा मेल नहीं खा रहा है तो टैक्सपेयर को समस्या झेलनी पड़ सकती है.
क्या है सेक्शन 143(1)?
सेक्शन 143(1) इनकम टैक्स रिटर्न के प्रोसेसिंग से जुड़ी होती है. जब कोई टैक्सपेयर अपना इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करता है और उसे वेरिफाय करता है, तो इनकम टैक्स विभाग इस रिटर्न की जांच करता है. विभाग इसमें आंकड़ों को लेकर हुई गलतियां जांचता है और अगर कोई गलती पाई जाती है तो जरूरी संशोधन किए जाते हैं.
इस बदलाव का टैक्सपेयर पर क्या असर?
टैक्स एक्सपर्ट के अनुसार, इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पिछले और वर्तमान वर्ष के इनकम टैक्स रिटर्न में किसी भी तरह का मिसमैच हो तो वो रिटर्न की प्रोसेसिंग के दौरान ही पकड़ लिया जाए. इससे टैक्सपेयर्स को बाद में इनकम टैक्स विभाग की ओर से नोटिस मिलने की संभावना कम होगी.
किस तरह के मिसमैच हो सकता है?
- रिपोर्ट की गई इनकम
- घोषित संपत्तियां
- आगे बढ़ाए गए नुकसान या कटौतियां (कैरी फॉर्वर्ड लॉस और डिडक्शन)
- बिजनेस या पेशे का नेचर और स्केल
- ऑडिट रिपोर्ट से संबंधित डिटेल्स
यह भी पढ़ें: सरकार ने जारी किया नया Income Tax Calculator, कौन सी रिजीम बेहतर; कितना बचेगा टैक्स – सब बताएगा
बदलाव फायदेमंद या मिलेगा नोटिस
ET रिपोर्ट के अनुसार, यह संशोधन टैक्सपेयर के लिए फायदेमंद हो सकता है क्योंकि इससे रिटर्न प्रोसेसिंग के समय ही गलतियों को सुधारा जा सकेगा और भविष्य में टैक्स नोटिस से बचा जा सकेगा.
हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह प्रोसेस कैसे काम करेगा. क्या इनकम टैक्स विभाग पहले टैक्सपेयर्स को ईमेल या नोटिस भेजेगा और फिर संशोधन करेगा? या फिर वह सीधे बदलाव करेगा और बाद में टैक्सपेयर को सूचित करेगा?
इसके अलावा, इनकम टैक्स विभाग को यह भी तय करना होगा कि किन असंगतियों की जांच रिटर्न प्रोसेसिंग के दौरान होगी और किन मामलों में टैक्स नोटिस भेजा जा सकता है.
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