ITR, TDS, TCS समेत इनकम टैक्स के 11 नियमों में आज से हो गया बदलाव, जानें क्या होगा आपकी जेब पर असर
1 अप्रैल 2025 से 12 लाख तक की इनकम पर टैक्स छूट वाला नियम तो लागू हो ही गया है लेकिन इसके साथ ही 10 और ऐसे इनकम टैक्स से जुड़े कानून हैं जो आज से लागू होने जा रहे हैं. इन नए इनकम टैक्स कानूनों का टैक्सपेयर्स पर सीधा असर पड़ेगा. कुछ मामलों में टैक्सपेयर्स को राहत मिलेगी, जबकि कुछ नए नियम सख्त भी हैं.

Income Tax Rule: आज यानी 1 अप्रैल 2025 से नया वित्तीय वर्ष शुरू हो गया है. नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत के साथ ही कई नए इनकम टैक्स नियम प्रभाव में आ जाएंगे. इन नए इनकम टैक्स कानूनों को समझना जरूरी है क्योंकि ये इस बात को प्रभावित करेंगे कि आपकी सैलरी, इंट्रेस्ट से हुई इनकम और अन्य सोर्स से टैक्स कैसे कटेगा और वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान आपको कितना टैक्स देना होगा. चलिए बताते हैं इनकम टैक्स से जुड़े कितने नियम आज से लागू हो रहे हैं.
11 इनकम टैक्स नियम आज से लागू
नए टैक्स सिस्टम के तहत नई इनकम टैक्स स्लैब लागू होंगी. अब 24 लाख रुपये से अधिक की इनकम पर 30% का उच्चतम टैक्स दर लागू होगा. इसके अलावा, सरकार ने यह भी घोषणा की है कि 12 लाख रुपये तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं देना होगा, लेकिन यह केवल तभी लागू होगा जब व्यक्ति वित्त वर्ष 2025-26 में नई टैक्स रिजीम अपनाएगा. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने की जरूरत नहीं होगी. आपको ITR तो फाइल करना ही होगा ताकि आपको इस छूट का फायदा मिल सके.
इनकम टैक्स स्लैब | इनकम टैक्स रेट |
---|---|
4-8 लाख रुपये | 5% |
8-12 लाख रुपये | 10% |
12-16 लाख रुपये | 15% |
16-20 लाख रुपये | 20% |
20-24 लाख रुपये | 25% |
24 लाख रुपये से ऊपर | 30% |
ULIP
वित्त वर्ष 2025-26 से ULIPs के टैक्सेशन में बदलाव किया गया है. बजट 2025 में संशोधन के अनुसार, जो ULIPs सेक्शन 10 (10D) के तहत टैक्स फ्री नहीं हैं, उन्हें कैपिटल एसेट माना जाएगा और वे इक्विटी-ओरिएंटेड फंड की परिभाषा में आएंगे. इसका मतलब है कि ऐसे ULIP के फायदों को अब कैपिटल गेन की श्रेणी में रखा जाएगा. यदि ULIP से प्राप्त राशि सेक्शन 10 (10D) के तहत टैक्स फ्री नहीं है, तो इस पर शॉर्ट टर्म गेन के लिए 20% और लॉन्ग टर्म गेन के लिए 12.5% टैक्स लगाया जाएगा, जिसमें इंडेक्सेशन का फायदा नहीं मिलेगा. हालांकि, यदि ULIPs की एनुअल प्रीमियम राशि 2.5 लाख रुपये से अधिक नहीं है, तो इसे टैक्स फ्री रखा गया है.
TDS
बजट 2025 में कुछ TDS प्रावधानों में भी संशोधन किया गया है. इसमें कुछ दरों में बदलाव और उन प्रावधानों की लिमिट में बढ़ोतरी की गई है. उदाहरण के लिए, सेक्शन 194LBC के तहत अब TDS दरों को घटाया गया है. पहले यह दर 25% (व्यक्तियों और HUF के लिए) और 30% (अन्य के लिए) थी, लेकिन अब इसे घटाकर 10% कर दिया गया है. इसी तरह, सेक्शन 193, 194A, 194, 194K, 194B, 194BB, 194D, 194G, 194H, 194-I, 194J और 194LA के लिए भी लिमिट में बढ़ोतरी की गई है. इससे टैक्सपेयर्स के हाथ में अधिक पैसा रहेगा.
TDS/TCS
सरकार ने ITR दाखिल न करने वालों के लिए लागू ऊंची TDS/TCS दरों को समाप्त कर दिया है. पहले, यदि किसी व्यक्ति ने निर्धारित वर्षों में ITR दाखिल नहीं किया था, तो उस पर ऊंची दर से TDS/TCS लगाया जाता था. अब 1 अप्रैल 2025 से यह नियम लागू नहीं होगा और ITR न भरने वालों पर अतिरिक्त TDS/TCS नहीं लगेगा.
NPS वात्सल्य
बजट 2025 में सरकार ने NPS वात्सल्य योजना में किए गए योगदान को सेक्शन 80CCD के तहत टैक्स कटौती के दायरे में लाया है. हालांकि, यह छूट केवल उन्हीं टैक्सपेयर्स को मिलेगी जो पुरानी टैक्स रिजीम को चुनेंगे.
मेडिकल
इसके अलावा, सरकार ने मेडिकल खर्चों पर टैक्स फ्री लिमिट को भी बढ़ाया है. 1 अप्रैल 2025 से, यदि कोई कर्मचारी या उसके परिवार का सदस्य विदेश में ट्रीटमेंट कराता है और उसका खर्च नियोक्ता वहन करता है तो इसे टैक्स फ्री माना जाएगा.
प्रॉपर्टी
सरकार ने मकान की एनुअल वैल्यू के कैलकुलेशन को भी सरल बना दिया है. अब टैक्सपेयर्स आसानी से अपना आईटीआर दाखिल कर सकते हैं क्योंकि वे अपने दो मकानों की एनुअल वैल्यू को ‘शून्य’ मान सकते हैं. सरकार ने खुद के मकान की एनुअल वैल्यू की परिभाषा को संशोधित किया है, जिससे संपत्ति मालिकों को बिना किसी जटिल कैलकुलेशन के अपने घरों का एनुअल मूल्य निर्धारित करने में आसानी होगी.
TCS पेमेंट में देरी
सरकार ने कुछ विशेष मामलों में TCS की देर से जमा करने पर अभियोजन से छूट भी दी है. नए नियम के अनुसार, यदि व्यक्ति ने निर्धारित समय के अंदर सरकार के खाते में TCS का पेमेंट कर दिया है, तो उसे अभियोजन से छूट मिल जाएगी.
अपडेटेड रिटर्न
सरकार ने इनकम रिटर्न दाखिल करने की डेडलाइन को भी बढ़ा दिया है. पहले टैक्सपेयर को अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने के लिए 24 महीने की डेडलाइन दी जाती थी, लेकिन अब यह अवधि बढ़ाकर 48 महीने कर दी गई है.
नया vs पुराना ITR
1 अप्रैल 2025 से इनकम टैक्स विभाग टैक्सपेयर्स के वर्तमान और पिछले वर्षों के ITR की तुलना करेगा ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता की पहचान की जा सके. हालांकि, विभाग ने अभी यह स्पष्ट नहीं किया है कि किन अनियमितताओं की जांच की जाएगी.