इंडेक्स फंड vs ETFs: इन 5 बड़े अंतर से समझे कहां निवेश करना आपके लिए होगा ज्यादा फायदेमंद

ETFs और इंडेक्स फंड्स, दोनों ही भारतीय निवेशकों के लिए पैसिव इन्वेस्टमेंट विकल्प हैं. हालांकि, सही विकल्प चुनना आपकी निवेश रणनीति, लिक्विडिटी की जरूरत और वित्तीय लक्ष्यों पर निर्भर करता है.

शेयर बाजार में निवेश का फॉर्मूला Image Credit: FreePik

Index Fund Vs ETFs: निवेशकों के बीच अब पैसिव इन्वेस्टमेंट का चलन तेजी से बढ़ रहा है. खासकर भारत में जहां हाल ही में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की लगातार बिकवाली के कारण शेयर बाजार में शॉर्ट टर्म रिटर्न प्रभावित हुआ है, वहां पैसिव इंवेस्टमेंट के लिए अपनी रुचि दिखा रहे हैं. ऐसे में इंडेक्स फंड्स और एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETFs) निवेशकों के लिए आकर्षक विकल्प बनकर उभरे हैं. हालांकि, दोनों का उद्देश्य किसी निश्चित बाजार इंडेक्स के प्रदर्शन को दोहराना होता है लेकिन उनके संचालन, लिक्विडिटी और अन्य पहलुओं में अंतर है. इस रिपोर्ट में हम आपको कुछ अहम अंतर के बारे में जानकारी देंगे.

ट्रेडिंग का तरीका

ETFs शेयर बाजार में किसी भी अन्य स्टॉक की तरह ट्रेडिंग के दौरान खरीदे और बेचे जा सकते हैं. उनका प्राइस बाजार की वास्तविक मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है. दूसरी ओर, इंडेक्स फंड्स की ट्रेडिंग केवल दिन में केवल एकल बार होती है, जब बाजार बंद हो रहा हो. इनका मूल्य नेट एसेट वैल्यू (NAV) के आधार पर तय किया जाता है.

निवेश का लचीलापन (Flexibility)

ETFs में निवेशक दिनभर के बाजार उतार-चढ़ाव का लाभ उठा सकते हैं और सही समय पर खरीद-बिक्री कर सकते हैं. वहीं, इंडेक्स फंड्स में यह सुविधा नहीं होती क्योंकि इन्हें सिर्फ बाजार बंद होने के समय खरीदा या बेचा जा सकता है. इस वजह से अगर आप रियल-टाइम ट्रेडिंग का फायदा उठाना चाहते हैं तो ETFs बेहतर विकल्प हो सकते हैं.

डीमैट अकाउंट की जरूरत

ETFs में निवेश के लिए निवेशकों को डीमैट अकाउंट की जरूरत होती है क्योंकि ये स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड होते हैं. वहीं, इंडेक्स फंड्स में निवेश के लिए डीमैट अकाउंट की आवश्यकता नहीं होती, जिससे वे उन निवेशकों के लिए अधिक सुविधाजनक हो जाते हैं जो सीधे शेयर बाजार में भाग नहीं लेना चाहते.

सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान की सुविधा

इंडेक्स फंड्स में निवेशक सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए से नियमित रूप से छोटी-छोटी राशि निवेश कर सकते हैं. हालांकि, ETFs में SIP की सुविधा ज्यादातर मामलों में उपलब्ध नहीं होती जिससे वे उन निवेशकों के लिए कम आकर्षक हो जाते हैं जो एक सिस्टमेटिक तरीके से निवेश करना चाहते हैं.

खर्च और लागत (Expense Ratio)

सामान्य तौर पर ETFs की लागत इंडेक्स फंड्स की तुलना में कम होती है क्योंकि वे पैसिव इंवेस्टमेंट स्ट्रैटजी का पालन करते हैं और उनका ऑपरेशनल खर्च भी कम होता है. यही कारण है कि लॉन्ग टर्म निवेशक जो कम शुल्क पर मार्केट इंडेक्स में निवेश करना चाहते हैं अक्सर ETFs को प्राथमिकता देते हैं.