50, 100 या 200 वेटिंग, कितने पर टिकट होगा कंफर्म, रेलवे ने बता दिया फॉर्मूला
अक्सर जब हम ट्रेन से यात्रा की योजना बनाते हैं और टिकट बुक करते हैं, तो टिकट बुक तो हो जाता है, लेकिन वह वेटिंग लिस्ट में अटक जाता है. इसे लेकर भारतीय रेलवे ने जानकारी दी है कि वेटिंग लिस्ट के टिकट कैसे कंफर्म होते हैं और कन्फर्मेशन के लिए किस फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है.
भारत में ट्रेन से यात्रा करने वाले यात्रियों को कंफर्म टिकट बुक करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. अक्सर हमें कहीं जाने से पहले एक से दो महीने पहले टिकट बुक कराना पड़ता है. कई बार ऐसा भी होता है कि हम समय पर टिकट तो बुक कर लेते हैं, लेकिन वह टिकट वेटिंग लिस्ट का मिलता है. वेटिंग लिस्ट में टिकट होने पर यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि वह आखिरी समय पर कंफर्म होगा या नहीं. इससे यात्रा की प्लानिंग करना मुश्किल हो जाता है. वैसे तो वेटिंग लिस्ट वाले टिकट दो तरीकों से कंफर्म होते हैं . पहला, सामान्य टिकट कैंसिलेशन के कारण और दूसरा रेलवे के इमरजेंसी कोटे के जरिए. लेकिन अब इस सस्पेंस को दूर करने की कोशिश भारतीय रेल ने की है. रेलवे ने जानकारी दी है कि वेटिंग लिस्ट के टिकट कैसे कंफर्म होते हैं और कन्फर्मेशन के लिए कौन-सा फॉर्मूला अपनाया जाता है.
कैसे कंफर्म होता है टिकट?
आमतौर पर करीब 21 फीसदी यात्री टिकट बुक कराने के बाद अपना टिकट कैंसल कर देते हैं. इसका मतलब है कि वेटिंग लिस्ट वाले टिकट के कंफर्म होने की संभावना करीब 21 फीसदी होती है. इसे एक उदाहरण से समझते हैं, मान लीजिए, 72 सीटों वाले स्लीपर कोच में यदि 21 फीसदी लोग अपना टिकट कैंसल कर देते हैं, तो इस हिसाब से करीब 15 सीटें उपलब्ध हो सकती हैं. वहीं, 4 से 5 फीसदी ऐसे लोग भी होते हैं जिनका टिकट कंफर्म हो गया होता है, लेकिन वे यात्रा नहीं करते हैं. इस कंडीशन में टिकट कंफर्म होने की संभावना और बढ़ जाती है.
सभी कोच पर है लागू
इस तरह से, स्लीपर कोच में वेटिंग लिस्ट के करीब 18 टिकट तक कन्फर्म हो सकते हैं. अगर एक ट्रेन में 10 स्लीपर कोच हैं और हर कोच में 18 सीटें खाली होती हैं, तो इसका मतलब है कि पूरी ट्रेन में करीब 180 वेटिंग लिस्ट टिकट कंफर्म हो सकते हैं. यही फॉर्मूला थर्ड एसी, सेकंड एसी और फर्स्ट एसी कोच पर भी लागू होता है.
इमरजेंसी कोटे के जरिए बढ़ती है कन्फर्मेशन की संभावना
रेल मंत्रालय इमरजेंसी कोटे के तहत 10 फीसदी सीटें आरक्षित रखता है. ये सीटें रेलवे के विवेक पर बीमार या जरूरतमंद यात्रियों को दिया जाता हैं. अगर रिजर्व सीटों में से केवल 5 फीसदी का ही उपयोग किया जाता है, तो बची हुई 5 फीसदी सीटें वेटिंग लिस्ट में शामिल यात्रियों के लिए उपलब्ध हो जाती हैं. इससे वेटिंग लिस्ट के टिकटों के कंफर्म होने की संभावना और बढ़ जाती है.
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