हेलमेट नहीं पहनने पर पगड़ीधारी सिख को बीमा कंपनी ने नहीं दिया मुआवजा, कोर्ट ने कहा- अब 1.95 करोड़ दो
एक सिख पगड़ीधारी दोपहिया चालक को मुआवजा राशि 1.95 करोड़ रुपये मिली है. बीमा कंपनी ने कोर्ट में कहा कि चालक हेलमेट की जगह पगड़ी पहना था, लेकिन कोर्ट ने कहा हेलमेट की जगह पगड़ी पहनना लापरवाही नहीं है.
Insurance Claim: अक्सर देखा जाता है कि बाइक एक्सीडेंट की स्थिति में बीमा कंपनियां किसी न किसी वजह से चालक पर लापरवाही का आरोप लगाकर मुआवजा राशि देने से बचने की कोशिश करती हैं. एक घटना पंजाब में देखी गई. जब दोपहिया चालक ने अपना क्लेम कर मुआवजा मांगा, तो बीमा कंपनी ने दलील दी कि उसने हेलमेट नहीं पहना था और वह लापरवाह था. इस तरह की दलील देकर बीमा कंपनी क्लेम देने से बचने का प्रयास कर रही थी.
अमर उजाला की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दोपहिया दुर्घटना का शिकार हुआ व्यक्ति पेशे से इंजीनियर है. दुर्घटना के बाद उन्होंने बीमा कंपनी से मुआवजा राशि की मांग करने के लिए मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (MACT) में याचिका दाखिल की. इंजीनियर ने मुआवजा राशि 70 लाख रुपये की मांग की थी. हालांकि, यह मुआवजा राशि साल 2013 में मांगी गई थी. लेकिन मुआवजा राशि कम करने के लिए बीमा कंपनी ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की, लेकिन बीमा कंपनी को यह याचिका दाखिल करना भारी पड़ गया.
बीमा कंपनी ने क्या दी दलील
बीमा कंपनी ने अपील में कहा कि बाइक चालक ने लापरवाही की है और उसपर लापरवाही का मामला बनता है, क्योंकि उसने दोपहिया वाहन चलाते हुए हेलमेट नहीं पहना था. हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़ित पगड़ी पहने हुए था और दुर्घटना के समय उसने पगड़ी बांध रखी थी. ऐसे में कोर्ट का कहना है कि पगड़ीधारी सिख के मामले में हेलमेट न पहनना लापरवाही के दायरे में नहीं आता. हाईकोर्ट ने कई मामलों का हवाला देते हुए कहा कि हेलमेट न पहनने को लापरवाही नहीं माना जा सकता, जब तक यह साबित न हो कि दुर्घटना इससे प्रभावित हुई.
अदालत ने सुनाया फैसला
अदालत ने पीड़ित की ओर से दायर अपील पर मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग को समीक्षा के लिए उपयुक्त माना. कोर्ट ने पीड़ित की 100 प्रतिशत दिव्यांगता को देखते हुए अदालत ने ट्रिब्यूनल की ओर से तय 70 लाख रुपये की राशि बढ़ाकर 1.95 करोड़ रुपये कर दी. कोर्ट ने यह फैसला भविष्य की संभावित आय, मेडिकल खर्च और दूसरे कारकों को ध्यान में रखकर दिया. अदालत ने स्पष्ट किया कि यह दुर्घटना पीड़ित के जीवन को पूरी तरह से बदल चुकी है, इसलिए उसे न्याय संगत मुआवजा मिलना चाहिए.
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