घर खरीदने का सपना या किराये पर रहने की आजादी? क्या है बेहतर, नफा-नुकसान का ये है सही कैलकुलेशन
किराये पर रहना या घर खरीदना - इसका फैसला करना है जरूरी फाइनेंशियल डिसिजन है. यह कुल मिलाकर व्यक्ति की आर्थिक स्थिति, प्राथमिकताओं और लाइफस्टाइल पर निर्भर करता है. किराये पर रहने के फायदे हैं तो कई नुकसान भी हैं और घर खरीदने के भी नफा-नुकसान हैं. इन फैक्टर्स को समझ कर आप अपने लिए सही फैसला ले सकेंगे.
Buying home vs Rent: किराये पर रहें या खुद का घर खरीदें? इस सवाल का जितनी बार जवाब खोजेंगे उतनी बार अपको नई-नई बातें पता चलेंगी. असल में तो यह एक ऐसा सवाल है जिसका कोई सीधा जवाब नहीं है. कई लोग सोचते हैं कि घर खरीदना एक सुरक्षित निवेश है, जबकि कुछ को लगता है कि किराये पर रहना ज्यादा सुविधाजनक है. लेकिन आपको इस सवाल का जवाब तब मिलेगा जब आप इसके फायदे-नुकसान को अपने तराजू में रख कर तोलेंगे और दूसरों के ओपिनियन से बचेंगे. अधिकतर लोगों के लिए आज भी घर केवल कोई चार दीवारें नहीं हैं, उनके लिए वह एक इमोशन भी है. चलिए यहां आपको टैक्स, खर्च और लॉन्ग-टर्म फायदे-नुकसान गिनाते हैं फिर आप अपना नजरिया डालकर फैसला ले सकते हैं.
किराये पर रहने के फायदे और नुकसान
टैक्स बेनिफिट्स: अगर आप पुरानी टैक्स व्यवस्था यानी ओल्ड रिजीम के तहत टैक्स भरते हैं तो हाउस रेंट अलाउंस (HRA) पर छूट मिलती है. अगर आपकी सैलरी में HRA शामिल नहीं है (जैसे कि आप फ्रीलांसर या कंसल्टेंट हैं), तो आप 5,000 रुपये प्रति माह तक की कटौती का फायदा ले सकते हैं.
और ये तो साफ है कि नई टैक्स व्यवस्था में HRA की छूट नहीं मिलती है.
HRA की छूट इन तीन में से सबसे कम रकम पर मिलती है:
- किराया: (बेसिक सैलरी + महंगाई भत्ता) का 10%
- बड़ी मेट्रो सिटी (दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई) में सैलरी का 50% और बाकी शहरों में 40%
- या जो HRA आपको मिला हो.
अन्य फायदे
- कई मामलों में किराया EMI से कम हो सकता है.
- लोकेशन चुनने की ज्यादा आजादी होती है, किराए का मकान आपको आपके ऑफिस के पास मिल सकता है.
- अगर जरूरत हो तो शहर के किसी भी हिस्से में आसानी से शिफ्ट हो सकते हैं.
- पुरानी टैक्स व्यवस्था में टैक्स छूट का फायदा उठा सकते हैं.
नुकसान
- भले ही आप कितना भी किराया दें, वह आपकी संपत्ति कभी नहीं बनेगी.
- हर साल किराये में बढ़ोतरी होती है, जिससे खर्च बढ़ता जाता है.
- घर में कोई बड़ा बदलाव या अपने अनुसार चीजें नहीं बदल सकते.
- मकान मालिक कभी भी घर खाली करने को कह सकता है.
घर खरीदने के फायदे और नुकसान
टैक्स बेनिफिट्स: घर खरीदने पर टैक्स छूट सिर्फ पुरानी टैक्स व्यवस्था में मिलती है.
- होम लोन का प्रिंसिपल अमाउंट चुकाने पर सेक्शन 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की कटौती मिलती है. स्टांप ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन शुल्क और अन्य खर्च भी इसमें शामिल होते हैं.
- होम लोन के ब्याज पर छूट मिलती है. ₹2 लाख तक की छूट मिलती है. अगर घर खाली पड़ा है, तब भी यही नियम लागू होता है. अगर घर किराये पर दिया है, तो न सिर्फ ब्याज की छूट मिलेगी, बल्कि म्यूनिसिपल टैक्स और किराये पर 30% की स्टैंडर्ड कटौती भी मिलेगी.
- लॉस सेट-ऑफ और कैरी फॉरवर्ड, अगर आप आपके घर के होम लोन के ब्याज का पेमेंट कर रहे हैं, तो यह ₹2 लाख तक के नुकसान के रूप में दिखाया जा सकता है. अगर यह नुकसान ₹2 लाख से ज्यादा है, तो इसे अगले 8 साल तक “हाउस प्रॉपर्टी इनकम” के खिलाफ एडजस्ट किया जा सकता है.
- मान लीजिए अगर किसी के पास तीन या अधिक घर हैं, तो सरकार पहले दो को ही आपका घर मानती है लेकिन बाकी को “किराये पर दिया हुआ घर” मानकर टैक्स लगाती है. यानी, भले ही आपने किसी को किराये पर न दिया हो, सरकार एक अनुमानित किराया मानकर उसे आपकी आय में जोड़ देगी और उस पर टैक्स लगेगा.
अन्य फायदे
- घर एक लॉन्ग-टर्म एसेट (संपत्ति) बनता है.
- हर EMI आपकी संपत्ति बनाने में योगदान देती है.
- होम लोन पर टैक्स बेनिफिट्स मिलते हैं लेकिन केवल पुरानी टैक्स व्यवस्था में.
नुकसान
- डाउन पेमेंट और रजिस्ट्रेशन शुल्क जैसे भारी शुरुआती खर्च होते हैं.
- प्रॉपर्टी टैक्स और मेंटेनेंस का बोझ उठाना पड़ता है.
- घर खरीदने के बाद जरूरत पड़ने पर जल्दी बेचना मुश्किल होता है.
- संपत्ति की कीमतें हमेशा नहीं बढ़ती, यानी निवेश पर उम्मीद के मुताबिक रिटर्न नहीं मिल सकता.
- EMI हर महीने देनी होगी, चाहे आपकी आमदनी में कमी हो या नहीं.
तो किराये पर रहना बेहतर या घर खरीदना?
अगर आप बार-बार नौकरी बदलते हैं, अलग-अलग शहरों में रहना पसंद करते हैं, या तुरंत बड़ा खर्च नहीं करना चाहते, तो किराये पर रहना बेहतर हो सकता है. लेकिन आप स्थायी ठिकाना चाहते हैं, लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए तैयार हैं, और होम लोन चुकाने की क्षमता रखते हैं, तो घर खरीदना समझदारी हो सकता है. यह पूरी तरह व्यक्ति की आर्थिक स्थिति, प्राथमिकताओं और लाइफस्टाइल पर निर्भर करता है.