घर खरीदने का सपना या किराये पर रहने की आजादी? क्या है बेहतर, नफा-नुकसान का ये है सही कैलकुलेशन

किराये पर रहना या घर खरीदना - इसका फैसला करना है जरूरी फाइनेंशियल डिसिजन है. यह कुल मिलाकर व्यक्ति की आर्थिक स्थिति, प्राथमिकताओं और लाइफस्टाइल पर निर्भर करता है. किराये पर रहने के फायदे हैं तो कई नुकसान भी हैं और घर खरीदने के भी नफा-नुकसान हैं. इन फैक्टर्स को समझ कर आप अपने लिए सही फैसला ले सकेंगे.

घर खरीदें या किराय पर लें? Image Credit: Freepik/Canva

Buying home vs Rent: किराये पर रहें या खुद का घर खरीदें? इस सवाल का जितनी बार जवाब खोजेंगे उतनी बार अपको नई-नई बातें पता चलेंगी. असल में तो यह एक ऐसा सवाल है जिसका कोई सीधा जवाब नहीं है. कई लोग सोचते हैं कि घर खरीदना एक सुरक्षित निवेश है, जबकि कुछ को लगता है कि किराये पर रहना ज्यादा सुविधाजनक है. लेकिन आपको इस सवाल का जवाब तब मिलेगा जब आप इसके फायदे-नुकसान को अपने तराजू में रख कर तोलेंगे और दूसरों के ओपिनियन से बचेंगे. अधिकतर लोगों के लिए आज भी घर केवल कोई चार दीवारें नहीं हैं, उनके लिए वह एक इमोशन भी है. चलिए यहां आपको टैक्स, खर्च और लॉन्ग-टर्म फायदे-नुकसान गिनाते हैं फिर आप अपना नजरिया डालकर फैसला ले सकते हैं.

किराये पर रहने के फायदे और नुकसान  

टैक्स बेनिफिट्स: अगर आप पुरानी टैक्स व्यवस्था यानी ओल्ड रिजीम के तहत टैक्स भरते हैं तो हाउस रेंट अलाउंस (HRA) पर छूट मिलती है. अगर आपकी सैलरी में HRA शामिल नहीं है (जैसे कि आप फ्रीलांसर या कंसल्टेंट हैं), तो आप 5,000 रुपये प्रति माह तक की कटौती का फायदा ले सकते हैं.  

और ये तो साफ है कि नई टैक्स व्यवस्था में HRA की छूट नहीं मिलती है.  

HRA की छूट इन तीन में से सबसे कम रकम पर मिलती है:  

  1. किराया: (बेसिक सैलरी + महंगाई भत्ता) का 10%  
  2. बड़ी मेट्रो सिटी (दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई) में सैलरी का 50% और बाकी शहरों में 40%  
  3. या जो HRA आपको मिला हो.  

अन्य फायदे  

नुकसान  

घर खरीदने के फायदे और नुकसान  

टैक्स बेनिफिट्स: घर खरीदने पर टैक्स छूट सिर्फ पुरानी टैक्स व्यवस्था में मिलती है.  

अन्य फायदे  

नुकसान

तो किराये पर रहना बेहतर या घर खरीदना?

अगर आप बार-बार नौकरी बदलते हैं, अलग-अलग शहरों में रहना पसंद करते हैं, या तुरंत बड़ा खर्च नहीं करना चाहते, तो किराये पर रहना बेहतर हो सकता है. लेकिन आप स्थायी ठिकाना चाहते हैं, लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए तैयार हैं, और होम लोन चुकाने की क्षमता रखते हैं, तो घर खरीदना समझदारी हो सकता है. यह पूरी तरह व्यक्ति की आर्थिक स्थिति, प्राथमिकताओं और लाइफस्टाइल पर निर्भर करता है.