हाई रिटर्न के लिए फेमस हैं ये 6 ऑप्शन, जानें कहां कितना बनता है पैसा
अगर आप उन निवेश विकल्पों की तलाश में हैं, जो हाई रिटर्न दे, तो यहां हम आपको 6 ऐसे निवेश विकल्पों के बारे में बता रहे हैं, जिनमें निवेश करके आप अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं. साथ ही फ्यूचर में बढ़ने वाली इन्फ्लेशन से बच सकते हैं.
आधुनिक समय में लोग अपने पैसे को केवल बैंक में जमा करने के बजाय उन विकल्पों की तलाश कर रहे हैं, जहां उन्हें बेहतर रिटर्न मिल सके. हालांकि, यह सच है कि अधिक रिटर्न के साथ जोखिम भी अधिक होता है. कम जोखिम वाले विकल्प आमतौर पर कम रिटर्न देते हैं, जबकि उच्च जोखिम वाले विकल्प बेहतर रिटर्न की संभावना रखते हैं. इसके साथ ही, इन्वेस्टमेंट का चयन करते समय इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि वह विकल्प समय के साथ होने वाली इन्फ्लेशन और लिक्विडिटी की कमी से स्थिर रहे. यहां हम आपको 6 ऐसे इन्वेस्टमेंट विकल्पों के बारे में बता रहे हैं, जहां आप निवेश करके उच्च रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं.
डॉयरेक्ट इक्विटी
डॉयरेक्ट इक्विटी का मतलब है स्टॉक मार्केट से किसी कंपनी के शेयर खरीदकर उसमें इन्वेस्ट करना. इससे आप कंपनी के आंशिक मालिक बन जाते हैं और कंपनी के मुनाफे में हिस्सेदारी पाते हो.
कैसे करें निवेश?
- आपको किसी ब्रोकरेज फर्म की मदद से डीमैट खाता खोलना होगा.
- बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर स्टॉक्स खरीदे और बेचे जाते हैं.
रिटर्न का ट्रैक रिकॉर्ड: सेंसेक्स ने पिछले 1 साल में 13%, 3 साल में 8%, और 5 साल में 12.5% का औसतन रिटर्न दिया है.
जोखिम: शेयर बाजार में अस्थिरता के कारण जोखिम अधिक होता है. हालांकि, लंबे समय तक निवेश करने पर जोखिम कम हो सकता है.
आईपीओ (Initial Public Offering)
आईपीओ वह प्रक्रिया है, जिसमें कंपनियां पहली बार अपने शेयर जनता को पेश करती हैं. इसमें निवेश करके आप कंपनी की शेयर पूंजी में भागीदार बन सकते हैं.
फायदे: साल 2024 में आईपीओ ने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है. इस साल कुल 76 कंपनियों ने अपने आईपीओ के जरिए बाजार से 1.54 लाख करोड़ रुपये जुटाए. इनमें से 55 आईपीओ अपने लिस्टिंग के बाद औसतन 69% का रिटर्न दिए.
जोखिम: अनलिस्टेड कंपनियों में पारदर्शिता और तरलता की कमी होती है. साथ ही कंपनी का वैल्यूएशन अनिश्चित हो सकता है.
Equity Fund: Mid Cap Smal Cap Scheme
मिड और स्मॉल कैप स्टॉक्स में निवेश करने वाले इक्विटी फंड्स अधिक रिटर्न की संभावना देते हैं, लेकिन इनमें अधिक उतार-चढ़ाव भी होता है. सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के अनुसार, मिड कैप फंड्स उन कंपनियों में निवेश करते हैं जिनकी मार्केट कैपिटलाइजेशन 101वीं से 250वीं रैंक के बीच होती है, जबकि स्मॉल कैप फंड्स उन कंपनियों पर फोकस करते हैं जिनकी रैंक 251 या उससे नीचे होती है.
मिड और स्मॉल कैप इक्विटी फंड्स में निवेश करने का जोखिम: मिड और स्मॉल कैप कंपनियों में निवेश करने से जोखिम अधिक होता है क्योंकि इन कंपनियों का आकार छोटा होता है, लेकिन यह अधिक लाभ भी दे सकते हैं. ऐसे फंड्स को निवेशक की जोखिम क्षमता के अनुसार चुनना चाहिए और इन्हें पूरे पोर्टफोलियो के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
Equity-Linked Savings Schemes (ELSS)
ELSS एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है, जो टैक्स सेविंग का लाभ देता है. आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत इसमें निवेश पर कर छूट मिलती है.
जोखिम: लॉक-इन अवधि के बाद भी फंड का प्रदर्शन अस्थिर हो सकता है. साथ ही निवेश से पहले फंड के प्रदर्शन की समीक्षा जरूरी है.
रियल एस्टेट
रियल एस्टेट को स्टेबल इन्वेस्टमेंट माना जाता है, क्योंकि यह इन्फ्लेशन से बचाव करता है.
जोखिम: संपत्ति की कीमतें लंबे समय तक स्थिर रह सकती हैं. इसमें कम लिक्विडिटी होती है और पर्याप्त पूंजी की आवश्यकता होती है.
पीयर-टू-पीयर (P2P) लेंडिंग
P2P लेंडिंग प्लेटफॉर्म निवेशकों को उन लोगों से जोड़ते हैं, जिन्हें धन की आवश्यकता होती है. ब्याज दरें प्लेटफॉर्म या दोनों पक्षों की सहमति से तय होती हैं.
जोखिम: उधारकर्ता और निवेशक के बीच सीधा संपर्क न होने से डिफॉल्ट का जोखिम बढ़ जाता है।