New Tax Regime: NPS या EPF, जानें कहां बचेगा ज्यादा पैसा
NPS or EPF: रिटायरमेंट के लिए दो पॉपुलर स्कीम्स हैं- नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) और एंप्लाई प्रोविडेंड फंड (EPF). कोई भी व्यक्ति NPS अकाउंट खेल सकता है. वहीं, EPF में कंट्रीब्यूशन के लिए फुल टाइम नौकरी करनी होगी.
NPS or EPF: भारत में सैलरीड क्लास के लिए रिटायरमेंट प्लानिंग सिर्फ बचत करने से कहीं बढ़कर है. लोग नौकरी के दौरान ही अलग-अलग स्कीम्स में निवेश अपनी रिटायरमेंट की प्लानिंग शुरू कर देते हैं. लेकिन रिटायरमेंट की प्लानिंग करते समय सही ऑप्शन चुनान सबसे अहम होता है. रिटायरमेंट के लिए दो पॉपुलर स्कीम्स हैं- नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) और एंप्लाई प्रोविडेंड फंड (EPF). कोई भी व्यक्ति NPS अकाउंट खेल सकता है. वहीं, EPF में कंट्रीब्यूशन के लिए फुल टाइम नौकरी करनी होगी. हालांकि, कुछ एंप्लॉयर अब दोनों सुविधाएं प्रदान करते हैं, जिससे कर्मचारी टैक्स बेनिफिट के साथ अपनी रिटायरमेंट की राशि बढ़ा सकते हैं. लेकिन अब सवाल ये है कि क्या आपको दोनों में से कोई एक चुनना चाहिए और ये आपकी टेक-होम सैलरी को कैसे प्रभावित करता है?
NPS और EPF कंट्रीब्यूशन
सभी एंप्लॉयर NPS ऑफर नहीं करते हैं. लेकिन अगर आपका एंप्लॉयर ऐसा करता है, तो आप अनुरोध कर सकते हैं कि वे एंप्लॉयर कंट्रीब्यूशन को आपकी सैलरी का हिस्सा बना दें. अगर आप अपने हाथ में आने वाली सैलरी को कम करने में सहज हैं, तो आप इसे EPF में नियोक्ता और कर्मचारी के कंट्रीब्यूशन के साथ जोड़ सकते हैं. हालांकि एनपीएस ऑप्शनल है, लेकिन ज्यादातर मामलों में EPF अनिवार्य है.
न्यू टैक्स रिजीम में एंप्लॉयर आपकी बेसिक सैलरी का 14 फीसदी आपके NPS के खाते में कंट्रीब्यूट कर सकता है. EPF के मामले में यह 12 फीसदी है. नियोक्ता योगदान के लिए पात्र होने के लिए EPF में कर्मचारी का योगदान अनिवार्य है, जो आम तौर पर समान अमाउंट होता है.
NPS पर टैक्स के नियम
NPS अधिक फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करता है. कर्मचारियों को एंप्लॉयर बेनिफिट्स प्राप्त करने के लिए योगदान करने की आवश्यकता नहीं है. एंप्लॉयर कंट्रीब्यूशन अलग-अलग हो सकते हैं और कर्मचारी इसे बेसिक सैलरी के 14% तक किसी भी स्तर पर रखने का अनुरोध कर सकते हैं. NPS में एंप्लॉयर कंट्रीब्यूशन, जो आपकी ग्रॉस सैलरी का हिस्सा है, इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80CCD (2) के तहत कर कटौती के लिए योग्य है. ग्रॉस सैलरी वह टोटल राशि है, जो कर्मचारी को किसी भी कटौती से पहले मिलती है. इसमें बेसिक सैलरी, बोनस और भत्ते शामिल हैं.
EPF पर टैक्स
EPF में एंप्लॉयर का कंट्रीब्यूशन आपकी सीटीसी का हिस्सा हो सकता है. यह टैक्स फ्री है. हालांकि, अगर NPS, EPF और अन्य सुपरएनुएशन फंड में कुल कंट्रीब्यशन 7.5 लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक है, तो अतिरिक्त राशि टैक्सेबल हो जाती है. EPF या NPS में कर्मचारी के योगदान पर नई टैक्स व्यवस्था में कोई टैक्स डिडक्शन नहीं मिलता है.
EPF vs NPS
नौकरी बदलते समय EPF का ट्रांसफर करना मुश्किल होता है, क्योंकि कर्मचारी के मौजूदा और नए नियोक्ता दोनों इस प्रक्रिया में भूमिका निभाते हैं. इसके विपरीत, NPS फ्लेक्सिबल और निरंतरता प्रदान करता है. आपके कंट्रीब्यूशन को रोकने या अपना खाता ट्रांसफर करने के लिए नियोक्ता की मंजूरी की आवश्यकता नहीं है.
अगर आपका नया एंप्लॉयर NPS बेनिफिट प्रदान करता है, तो आप बिना किसी रुकावट के योगदान जारी रख सकते हैं. नौकरी छोड़ने के बाद भी आपका NPS अकाउंट एक्टिव रहता है. आप अपने NPS खाते को सभी सिटीजन मॉडल में भी बदल सकते हैं. इसमें ISS फॉर्म भरकर सेल्फ कंट्रीब्यूशन की अनुमति है. इसके अलावा, NPS रिटर्न मार्केट से लिंक्ड होते हैं और EPF की तुलना में अधिक दर पर कंपाउंड होते हैं. EPFO सालाना EPF दरें निर्धारित करता है. वित्त वर्ष 2025 के लिए यह 8.25 फीसदी है.
NPS | EPF | |
एंपलॉयर कंट्रीब्यूशन | आपकी सैलरी का 14 फीसदी तक | 15,000 का 12 फीसदी या बेसिक सैलरी |
एम्प्लॉई कंट्रीब्यूशन | कोई लिमिट नहीं, जीरो हो सकता है | 15,000 का 12 फीसदी या बेसिक सैलरी |
एंपलॉयर कंट्रीब्यूशन पर टैक्स | डिडक्टबल (कटौती योग्य) | CTC का हिस्सा, लेकिन टैक्स फ्री |
एम्प्लॉई कंट्रीब्यूशन पर टैक्स | नॉट डिडक्टबल (कटौती योग्य नहीं) | नॉट डिडक्टबल (कटौती योग्य नहीं) |
रिटर्न | मार्केट लिंक्ड | EPFO सालाना रेट्स का ऐलान करता है |
पोस्ट एम्पलॉयमेंट पोर्टेबिलिटी | कॉरपोरेट से किसी भी सिटीजन मॉडल में स्विच कर सकते हैं | स्विच करने की अनुमति नहीं |
रिटायरमेंट से पहले निकासी | कुल कंट्रीब्यूशन का 25% कभी भी 3 बार में निकाल सकते हैं | जॉब के दौरान आंशिक निकासी, नौकरी नहीं होने पर 100% |
रिटायरमेंट के बाद निकासी | 60% टैक्स फ्री निकासी, 40% एन्युटी पेंशन के लिए | पांच साल के बाद 100% टैक्स फ्री निकासी |
पेंशन | कॉर्पस के अनुसार | अधिकतम लिमिट 7500 प्रति माह |
पेंशन EPS
पेंशन EPS (कर्मचारी पेंशन योजना) के तहत उपलब्ध है. अगर कर्मचारी की बेसिक सैलरी 15,000 रुपये से कम है, तो नियोक्ता द्वारा ईपीएस में 8.33 फीसदी का कंट्रीब्यूशन दिया जाता है. कर्मचारी इसे अपनी रिटायरमेंट के बाद 7,500 रुपये प्रति माह की मैक्सिमम के साथ प्राप्त करते हैं.
EPS, EPF के तहत एक रिटायरमेंट बेनिफिट योजना है, जहां नियोक्ता कुछ शर्तों के तहत रिटायरमेंट के बाद मंथली पेंशन प्रदान करने के लिए कर्मचारी के वेतन का एक हिस्सा योगदान देता है.
अगर कोई कर्मचारी जो ईपीएफ या ईपीएस का सदस्य नहीं है. 1 सितंबर 2014 को या उसके बाद किसी नियोक्ता से जुड़ता है, जिसकी बेसिक सैलरी 15,000 रुपये से अधिक है, तो उसका पेंशन योगदान EPS में जाने के बजाय कर्मचारी के EPF के हिस्से में जोड़ा जाता है.