Old vs New Tax Regime किसमें ITR फाइल करना फायदेमंद, कहां बचेगा टैक्स, जानें कौन-सा विकल्प बेहतर
अगर आप भी नये और पुराने टैक्स रिजीम को लेकर कंफ्यूजन में हैं और पता नहीं हैं कि किसमें ज्यादा फायदा होगा और किस विकल्प को चुनने पर टैक्स ज्यादा बचा सकेंगे, आज हम आपको इसके कैलकुलेशन और फायदे और नुकसान के बारे में बताएंगे.
Old vs New Tax Regime: अप्रैल 2020 से नई टैक्स रिजीम लागू हुई है, तब से लोगों के मन में सवाल बना हुआ है कि आखिर सैलरी क्लास के लिए कौन-सा टैक्स रिजीम बेहतर है. क्या लोगों को अपनी पुरानी टैक्स व्यवस्था पर ही बनें रहना चाहिए या फिर नई टैक्स व्यवस्था में शिफ्ट हो जाना चाहिए, दोनों टैक्स विकल्प में आखिर उनके लिए कौन-सा फायदेमंद है. नई टैक्स व्यवस्था के लागू होने के चार साल बाद भी लोग इनके बीच एक को चुनने में आज भी कंफ्यूज्ड हैं.
यह सवाल इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि 1 फरवरी को बजट आने वाला है और उसके बाद नए वित्तीय वर्ष 2025-26 में आपको आईटीआर भरना होगा. ऐसे में कौन-सा टैक्स रिजीम चुनना सही होगा, दोनों में क्या फर्क है और किसमें आप ज्यादा टैक्स बचा सकते हैं आज हम आपको इसी के बारे में बताएंगे.
नई व्यवस्था में कैसे कैलकुलेट होता है टैक्स?
अगर आप नई टैक्स रिजीम को चुनते हैं तो आप HRA, LTA, LTC, 80D और कई अन्य सेक्शन के तहत टैक्स छूट नहीं ले सकते हैं. यही वजह है कि टैक्स पेयर्स को यह नई रजिस्ट्रीम ज्यादा रास नहीं आई. हालांकि टैक्स पेयर्स को नई व्यवस्था में शिफ्ट करने के लिए सरकार ने बजट 2023 में पांच बदलाव किए थे, जिनमें हायर टैक्स छूट सीमा को ₹7 लाख कर दिया गया. इसके अलावा ₹50,000 के स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाकर ₹75,000 किया गया. वहीं फैमिली पेंशन पर जहां पहले ₹15,000 की डिडक्शन थी उसे भी बढ़ाकर ₹25,000 कर दिया गया है. ₹5 करोड़ से अधिक इनकम पर 37% टैक्स को घटाकर 25% करने का ऐलान हुआ है.
पुरानी टैक्स व्यवस्था के क्या है नियम?
पुरानी टैक्स व्यवस्था में ₹5 लाख तक कोई टैक्स नहीं लगता है. इस व्यवस्था में HRA, LTA समेत 70 से अधिक सेक्शन के तहत आप टैक्स छूट ले सकते हैं जिससे आपको कम टैक्स देना पड़ता है. इसमें सबसे लोकप्रिय है सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स छूट, जिसमें सीधे आपको डेढ़ लाख रुपए का टैक्स डिडक्शन मिलता है. इसके अलावा आप एचआरए, एलटीए, होम लोन, हेल्थ इंश्योरेंस और एनपीएस के तहत अपना टैक्स बचा सकते हैं.
दोनों में बेहतर कौन?
नई या पुरानी टैक्स रिजीम में बेहतर कौन-सी है इसको समझने के लिए पहले टैक्स स्लैब को समझना होगा. नए टैक्स रिजीम में जीरो से तीन लाख तक इनकम पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होता. वहीं तीन से सात लाख रुपए तक की इनकम पर 5%, सात से 10 लाख की इनकम पर 10%, 10 से 12 लाख पर 15%, 12 से 15 लाख पर 20% और 15 लाख से अधिक इनकम पर सीधा 30% का टैक्स देना होगा. जबकि पुराने टैक्स रिजीम में ढाई लाख तक कोई टैक्स नहीं है, ढाई लाख से पांच लाख तक 5%, पांच से 10 लाख पर 20% और 10 से अधिक इनकम पर सीधा 30% का टैक्स देना होगा.
टैक्स डिडक्शन का भी रखें ध्यान
दोनों टैक्स व्यवस्था में से एक को चुनते समय टैक्स डिडक्शन को ध्यान में रखना जरूरी है क्योंकि इससे आपको यह निष्कर्ष निकालने में मदद मिलेगी कि आप इससे कितना टैक्स बचा सकते हैं. पुरानी टैक्स व्यस्था टैक्स पेयर्स को ज्यादा सेविंग्स करने की आदत डालती है, वहीं नई टैक्स रजिस्ट्रीम कम कमाई और निवेश वाले एम्प्लॉइज़ के लिए बेहतर है क्योंकि इसमें कम टैक्स छूट मिलती है. हालांकि नई टैक्स रजिस्ट्रीम को ज्यादा सुरक्षित और सरल माना जाता है क्योंकि इसमें कम रिकॉर्ड शामिल हैं और टैक्स चोरी और धोखाधड़ी की संभावना भी कम हो जाती है. ऐ
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