PM Awas Yojana पर बड़ा अपडेट! यूपी सरकार ने बदला नियम, अब सिर्फ महिलाओं के नाम पर घर लेने पर मिलेगी छूट

जरूरतमंदों के घर का सपना पूरा करने के मकसद से सरकार की ओर से चलाए जा रहे प्रधानमंत्री आवास योजना के नियमों में यूपी में अहम बदलाव किया गया है. इसमें महिलाओं की भूमिका को तवज्‍जो दी गई है. ऐसे में उनके नाम पर घर लेने पर योजना का लाभ मिलेगा.

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PM Awas Yojana: लोगों के घर का सपना पूरा करने के लिए सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के जरिए उनकी आर्थिक मदद करती है. इसका लाभ शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के लोग उठा सकते हैं. मगर अब इस योजना में यूपी सरकार ने एक बड़ा बदलाव किया है. अब उत्तर प्रदेश में महिला के नाम पर घर लेना जरूरी होगा. तभी योजना का फायदा मिल सकेगा. सरकार ने यह कदम महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए उठाया है. इससे महिलाएं अपने घरों की मालकिन बनकर आत्मनिर्भर बन सकेंगी.

यूपी सरकार के नए नियम के तहत प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) और मुख्यमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के नियमों में बदलाव किया गया है. इसके तहत अब राज्य में सभी नए आवास केवल महिला मुखिया के नाम से ही स्वीकृत किए जाएंगे. यानी अब अगर घर लिया जाता है तो उसमें महिला का नाम होना जरूरी होगा. इतना ही नहीं, जिन पुरुषों के नाम पहले से आवास मंजूर हो चुके हैं, उनमें भी अब महिला मुखिया का नाम जोड़ा जाएगा.

क्‍या है प्रधानमंत्री आवास योजना?

प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत केंद्र सरकार ने साल 2015 में की थी. इसका मकसद गरीब और जरूरतमंद लोगों को पक्के घर दिलवाना है. इसके तहत सरकार आर्थिक मदद देती है जिससे हर व्यक्ति के घर का सपना पूरा हो सके. इस योजना को दो भागों में बांटा गया है, जिसमें प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण (PMAY– G) और प्रधानमंत्री आवास योजना – शहरी (PMAY–U) शामिल है.

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बाकी राज्‍यों में क्‍या है नियम?

प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर प्रत्‍येक राज्‍य में अलग-अलग नियम हैं. अभी यूपी में महज बदलाव किया है. बाकी कई राज्‍यों में पति-पत्‍नी दोनों को ज्‍वाइंट में इस योजना का लाभ मिल रहा है. हालांकि मध्य प्रदेश और बिहार में महिलाओं को घर के स्वामित्व में प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन यहां संयुक्त स्वामित्व की भी छूट मिलती है. राजस्थान में महिलाओं को घरों के स्वामित्व में प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन पुरुष भी उनके साथ मालिकाना हक के दावेदार हो सकते हैं. छत्तीसगढ़ और झारखंड में भी संयुक्त स्वामित्व का नियम लागू है.